साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: ये कथाएं क्या कहती हैं! वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह और उनके कथाकार

'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला आखिरी चरण में है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में 'श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह' और उनके रचनाकारों की सूची में असग़र वजाहत, उदय प्रकाश, कुमार अम्बुज, सूर्यबाला, रूपा सिंह और संदीप मील के अलावा और किन कथाकारों के कौन से कहानी-संग्रह शामिल हैं.

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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह

जय प्रकाश पाण्डेय

  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला आखिरी चरण में है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में 'श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह' और उनके रचनाकारों की सूची में असग़र वजाहत, उदय प्रकाश, कुमार अम्बुज, सूर्यबाला, रूपा सिंह और संदीप मील के अलावा और किन कथाकारों के कौन से कहानी-संग्रह शामिल हैं.
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शब्द की दुनिया समृद्ध हो और बची रहे पुस्तक-संस्कृति इसके लिए इंडिया टुडे समूह के साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने पुस्तक-चर्चा पर आधारित एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत वर्ष 2021 में की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
साहित्य तक के 'बुक कैफे' में इस समय पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं. इन कार्यक्रमों में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन एक पुस्तक की चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृति पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद होता है. इनके अतिरिक्त 'आज की कहानी' के तहत कहानी पाठ का विशेष कार्यक्रम भी बेहद लोकप्रिय है. 
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे 'बुक कैफे' में प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता बढ़ती ही गई. हमारे इस कार्यक्रम को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो यह कोशिश की गई कि कोई भी पुस्तक; आम पाठकों, प्रतिबद्ध पुस्तक-प्रेमियों की नजर से छूट न जाए. आप सभी तक 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की जानकारी सही समय से पहुंच सके इसके लिए सप्ताह में दो दिन- हर शनिवार और रविवार को - सुबह 10 बजे 'किताबें मिलीं' कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया. यह कार्यक्रम 'नई किताबें' के नाम से इस वर्ष भी जारी रहेगा.  
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 में ही पूरे वर्ष की चर्चित पुस्तकों में से उम्दा पुस्तकों के लिए 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की थी, ताकि आप सब श्रेष्ठ पुस्तकों के बारे में न केवल जानकारी पा सकें, बल्कि अपनी पसंद और आवश्यकतानुसार विधा और विषय विशेष की पुस्तकें चुन सकें. तब से हर वर्ष के आखिरी में 'बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची जारी होती है. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे भारतीय साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों के बीच खूब आदर प्राप्त है. 
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'. 
हमें खुशी है कि हमारे इस अभियान में प्रकाशकों, लेखकों, पाठकों, पुस्तक प्रेमियों का बेपनाह प्यार मिला. हमने पुस्तक चर्चा के कार्यक्रम को 'एक दिन, एक किताब' के तहत दैनिक उत्सव में बदल दिया है. वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कहानी श्रेणी की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं. वर्ष 2022 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. साहित्य तक ने इन पुस्तकों को कभी क्रमानुसार कोई रैंकिंग करार नहीं दिया, बल्कि हर चुनी पुस्तक को एक समान टॉप 10 का हिस्सा माना. यह पूरे वर्ष भर पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण का द्योतक है. फिर भी हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक पहुंची ही न हों, संभव है कुछ श्रेणियों में कई बेहतरीन पुस्तकें बहुलता के चलते रह गई हों. संभव है कुछ पुस्तकें समयावधि के चलते चर्चा से वंचित रह गई हों. पर इतना अवश्य है कि 'बुक कैफे' में शामिल ये पुस्तकें अपनी विधा की चुनी हुई 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकें अवश्य हैं. 
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के श्रेष्ठ 10 कहानी-संग्रह और उनके कथाकार हैं:
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* 'मज़ाक़'- कुमार अम्बुज

- समकालीन हिंदी साहित्य के एक महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर अम्बुज का यह दूसरा कहानी संग्रह है. 'किवाड़', 'क्रूरता', 'अनंतिम', 'अतिक्रमण', 'अमीरी रेखा' और 'उपशीर्षक' अम्बुज के प्रकाशित प्रसिद्ध कविता-संकलन हैं. 'इच्छाएं' नामक कहानी संकलन के बाद 'मज़ाक़' से अम्बुज ने कथा-जगत में भी अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है. अम्बुज शब्दों के जादूगर हैं और अपने लेखन से वे संघर्षशील मनुष्य की वैचारिक और सामाजिक लड़ाई को रेखांकित करते हैं. आज के क्रूर सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में आम मानुष के पैरों तले की जिस ज़मीन को लगातार छीना जा रहा है, उसे फिर से पा लेने की शाश्वत आकांक्षा अम्बुज की इन कहानियों का अनुपेक्षणीय स्वर है. ये कहानियां चारों तरफ़ से घिरे मनुष्‍य के संकटों, उसकी रोज़मर्रा की दारुण सच्‍चाइयों को पठनीय रूपकों, अनोखे मुहावरों में रखते हुए जिजीविषा के सर्वथा नये रूपों से हमारा परिचय कराती हैं. आज संसार में निजी एकांत तलाशने, धरना देने हेतु जगह मांगने या जीवन में खोया विश्वास जगाने, संबंधों में प्रेमिल चाह या कोई सहज मानवीय इच्‍छा भी किस कदर दुष्‍कर, प्रहसनमूलक और अव्यावहारिक हो चली है, इस विडंबना को इस संग्रह की कहानियों से बखूबी समझा जा सकता है.
- प्रकाशक: राजपाल एंड संस
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* 'अन्तिम नीबू' - उदय प्रकाश

- नामवर सिंह लिखते हैं कि हिंदी साहित्य के पिछले सौ सालों में के इतिहास में कवि और कथाकार के रूप में समान रूप से लेखन करने वाले तीन ही लेखक हुए हैं, और वह हैं- जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय और उदय प्रकाश. अगर हिंदी कहानी के पिछले सौ वर्षों में, मैं आठ नाम लूं, तो उसमें भी उदय प्रकाश सम्मिलित होंगे. ये आठ नाम हैं- प्रेमचन्द, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल, फणीश्वरनाथ रेणु, भीष्म साहनी, हरिशंकर परसाई और निर्मल वर्मा. अभिनेता इरफान खान की नज़र में वे विश्व साहित्य के ऐसे श्रेष्ठ कथाकार हैं, जो नंबरों से ऊपर हैं. कवि, आलोचक, प्राध्यापक, चिंतक, अनुवादक, निर्देशक उदय प्रकाश की साहित्यिक मेधा की बानगी समेटने वाले इस संग्रह में उनकी पहली कहानी भी है तो इस संग्रह के प्रकाशन तक की आखिरी कहानी भी. कथाकार के रूप में यह उनकी विशेषता है कि उनकी हर महत्त्वपूर्ण कहानी 'हिंदी कहानी' के परंपरागत सांचे को तोड़ती है. केवल इतना ही नहीं, कई बार वे अपने ही बनाये सांचे को तोड़ते हैं. वे एक ऐसे सर्जक हैं,  जिन्हें उर्दू, मराठी आदि भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, जर्मन, फ़्रेंच जैसी विदेशी भाषाओं में भी भरपूर सम्मान मिला है. तय है कि इस संग्रह के उल्लेख के बिना हिंदी कथा-साहित्य का वर्ष 2023 का फलक पूरा नहीं होता.   
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'जंगलगाथा' - लोकबाबू

इस संग्रह में 12 रोचक, अनूठी कहानियां संकलित हैं. समकालीन हिंदी कथा साहित्य में अपने कथ्य और प्रस्तुतीकरण के ठेठ देसी अंदाज़ के कारण लोकबाबू की अपनी एक पहचान है. किसानों के सवाल, आदिवासी जीवन, छोटे शहरों और कस्बों में मध्यवर्गीय परिवारों के चित्र उनके कथा-साहित्य का निर्माण करते हैं. इस संग्रह में छत्तीसगढ़ के वनांचल के अनदेखे जीवन का जीवंत वर्णन है. 'जंगलगाथा' कहानी जहां आदिवासी जीवन के उस प्रसंग को उजागर करती है, जिसके बहाने मध्यवर्ग की सामाजिक विडम्बना को देखा जा सकता है, तो 'मुखबिर मोहल्ले का प्रेम' नक्सली गतिविधियों के बीच डरे-सहमे एक प्रेमी जोड़े की कहानी है. 'होशियार आदमी' में कोरोना के भयग्रस्त जीवन की झलक है और 'मुजरिम' किसान आत्महत्या का विषाद पैदा करती है. सशक्त भाषा, स्थानीय बोली, मुहावरों की छटा और भारत के हृदय प्रदेश के जीवन का यह रंग-बिरंगा कोलाज निश्चय ही रुचिकर है. 
- प्रकाशक: राजपाल एंड संस
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* 'सिस्टर लिसा की रान पर रुकी हुई रात' - विजयश्री तनवीर

- यह कथा-संग्रह उन बेहद मामूली औरतों के ना-तमाम क़िस्सों का जोड़ है जो अपने हालात या हादसों के चलते औचक ही ख़ास हो गईं. इन कहानियों में उन आम औरतों का उजास और अंधेरा, उनके आकर्षण और विकर्षण, उनके डर और पछतावे, उनके हासिल नाहासिल सिमटे हुए हैं. लेखिका का मानना है कि इनमें उनकी स्मृति में ठहरे कुछ अपनों की परछाइयां हैं, कुछ धुंधरित घटनाओं के अमिट चित्र हैं जिन्हें पन्नों पर उतारकर वह अपने मन-मानस पर रखे भार से मुक्त हो गई हैं. 
- प्रकाशक: हिन्द युग्म
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* 'कूड़ा समय' - असग़र वजाहत

1976 में देश में आपातकाल के दौरान वजाहत ने छोटी प्रतीकात्मक कहानियां लिखनी शुरू कीं और उनकी 'कोशिश यह रही कि शैली एक-सी न हो. कहीं वे पंचतंत्र की कहानियां जैसी लगें, कहीं वे आधुनिक मुहावरों में हों, कहीं केवल संवाद में हों, कहीं अमूर्तन हों तो कहीं सूफ़ी परम्परा की कहानियां जैसी लगें. ये छोटी कहानियां अपने अर्थ और संदर्भ में छोटी नहीं थीं.' लेखक का मानना है कि आज लोगों के दिमाग में धर्म, जाति, देश, एकाधिकारवाद, घृणा और नफ़रत का ऐसा कूड़ा भरा जा रहा है जिसके कारण चारों तरफ़ बढ़ती हिंसा देखने को मिलती है. उनके शब्दों में 'कूड़े को हटाने की कोशिश कूड़ा पहचानने से शुरू होती है.' यह संग्रह इस दिशा में एक छोटी-सी कोशिश है. हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकर असग़र वजाहत का मानना है कि आज लोगों के दिमाग में धर्म, जाति, राष्ट्र आदि के नाम पर एकाधिकारवाद, घृणा और नफ़रत का ऐसा कूड़ा भरा जा रहा है, जिसके कारण चारों तरफ़ बढ़ती हिंसा देखने को मिलती है. उनके मुताबिक, 'कूड़े को हटाने की कोशिश कूड़ा पहचानने से शुरू होती है.' 37 लघु कहानियों का यह संग्रह इसी दिशा में एक छोटी-सी कोशिश है.
- प्रकाशक: राजपाल एंड संस
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* 'दुखाँ दी कटोरी: सुखाँ दा छल्ला' - रूपा सिंह

- ये कहानियां सुलगते-तपते अनुभवों की कहानियां हैं. ये कहानियां जैसे समय की एक नोक पर टिकी हैं, बंधी हैं. उनके ठिठके से चरित्र अपने भीतर वर्षों और कभी-कभी दशकों के तूफ़ान छुपाये रखते हैं. इन कहानियों में किशोर होती बेटियों के अपने द्वन्द्व हैं, मां की अपनी फ़िक्र, दोनों के बीच सनसनाती वर्जनाओं के वे प्रदेश हैं जिन्हें लांघते हुए अमूमन हिंदी कथाकारों के पांव थरथराते हैं. लेकिन रूपा जैसे भाषा के स्थूल रूपों को छोड़ एक सूक्ष्म शब्दावली का निर्माण करती हैं और बहुत सहजता से ये कहानियां कह लेती हैं. सिहरती हुई पारदर्शी भाषा इन कहानियों को एक अलग त्वरता और तरलता प्रदान करती है. इन कहानियों में हिंदी की एक अलग सी भाषिक छौंक मिलती है जो कृष्णा सोबती की याद दिलाती है. पंजाबी की सोंधी खुशबू से भरी यह भाषा अपना एक पर्यावरण बनाती हैं, जो जितना दुख के धागों से सिला गया है उतना ही उल्लास के रंगों में डूबा हुआ है. दुख और सुख के दोनों किनारों को अपनी तरह से छूतीं ये कहानियां विभाजन की विभिषिका के बीच कोमल मन की संवेदनाओं और उनके बीच पनपे प्रेम से  हिंदी के पाठकों के लिए एक नया संसार रचती हैं.
 - प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'बोल काश्तकार' - संदीप मील

- नये दौर में भारतीय ग्रामीण समाज के विश्वसनीय और प्रामाणिक चित्र कम आ रहे हैं. मील उन कथाकारों में हैं जो गांव से निकलकर शहर में आए लेकिन गांव का जीवन अभी भी उनके दैनंदिन जीवनानुभवों का हिस्सा है. इस संग्रह के किरदार असल जिंदगी में बहुत टूटे और हारे हुए लोग हैं लेकिन जब वे कागज पर विकसित होते हैं तो उनका मनोविज्ञान निडरता से बेलाग जमाने का सच कह रहा होता है. यहां गांव की भावुक स्मृतियां नहीं हैं और न शहरी जीवन की विसंगतियों को ग्रामीण जीवन के समक्ष लाकर कथाकार कोई तुलना करता है. यह हमारे समय का वह दृश्य है जहां दोनों इकाइयों का अच्छा-बुरा जीवन अपने तमाम रंगों के साथ मिलता है. कथाकार की उपलब्धि इस बात में है कि वह अपने तीसरे कहानी संग्रह में किसानों पर 'बोल काश्तकार' जैसी कहानी लिखते हैं, तो कैम्पस के नौजवान छात्र-छात्राओं पर 'राष्ट्रवाद, विश्वविद्यालय और टैंक' भी. नागरिक जीवन के किंचित भिन्न दृश्य 'शहर पर ताले', 'जुर्माना' और 'पदयात्री' कहानी में आए हैं. उनकी लेखनी का अपना रंग 'चाँद पहलवान' सरीखी कहानी में मिलता है, जहां किस्सागोई का आनंद जीवन की तमाम विडम्बनाओं के मध्य निकलकर आता है. कहना न होगा कि हमारे उपभोगवादी दौर में ये कहानियां सहेजकर रखने लायक रचनाएं हैं. 
 - प्रकाशक: राजपाल एंड संस
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* 'ये दिल है कि चोर दरवाज़ा' -किंशुक गुप्ता

-  प्रेम को चाहने वाला एक दूसरा वर्ग भी है- एल. जी. बी.टी. क्यू. समुदाय. यह वर्ग न जाने कब से प्रेम पाने की लड़ाई लड़ रहा है और चोर दरवाज़े से मुख्य दरवाज़े तक आने की जी-तोड़ कोशिश में लगा है. कथाकार ने एक वीडियो देखा, जिसमें एक इंडोनेशियन नागरिक को शहर के बीचों-बीच अधनंगा कर कोड़े लगाए जा रहे थे. कोड़े लगाने वाला, नीली वर्दी पहने पुलिस का एक आदमी था. गुनाह था, दूसरे पुरुष से प्रेम करने का दुस्साहस. निर्ममता से चलते उस आदमी के रूखे हाथ; लड़के के शरीर पर बने लाल चकत्ते, माथे पर पड़ी त्योरियाँ, बेवस आहे; लोगों के मखौल भरे चेहरे कुछ समय के लिए मुझे लगा जैसे हम जॉर्ज ऑरवेल के 1984 जैसी किसी डिस्टोपियन दुनिया में जी रहे हैं. समाज का एक वर्ग चाहे समलैंगिकता को प्रकृतिस्थ स्थिति मानकर स्वीकार करता है, मैंने यही पाया कि उनकी स्वीकार्यता के भी विभिन्न स्तर हैं. कुछ माता-पिता से बात करते हुए पाया कि सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रगतिशील विचारों के बावजूद वे अपने खुद के बच्चों का समलैंगिक होना बर्दाश्त नहीं कर पाते. समलैंगिकता अभी भी समाज के लिए एक एग्ज़ॉटिक मुद्दा बना हुआ है, जिसके आयाम केवल एक 'थीम' भर तक ही सीमित हैं. यह कृति 'आजतक साहित्य जागृति उदीयमान लेखक सम्मान 2023' से सम्मानित है.
 - प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'मारण मंत्र' - विमल चन्द्र पाण्डेय

- इस संग्रह ली कहानियों में गजब का आमादापन और बेधड़क लड़कपन है, फिर भी इसके पात्र लम्पट नहीं हैं. अपनी सारी कमजोरियों और बदमाशियों के बावजूद उनके पास एक तेज और सनसनाती वर्ग चेतना है, धधकती हुई भावनाएं हैं और सुलगती हुई गहराइयां भी जो 'मारण मंत्र' जैसी कहानी को सम्भव बनाती हैं. इस संग्रह की कहानियों की मार्मिकता जितनी विध्वंसक है उतनी ही आत्मघाती भी. प्रेम, रहस्य, वीभत्स तांत्रिक साधना और कामुकता के घातक मिश्रण को जाति और वर्ग भेद के कॉम्‍पलेक्‍स और ज्यादा जहरीला बना देते हैं. इन कहानियों में फटीचरों, मुफलिसों और गांजा-चरस या शराब पीने वाले नशेड़ियों का हुजूम जिस धरातल पर खड़ा है, उस धरातल के तापमान को पहचानने की जरूरत है. ये बिखरे और बिफरे हुए लोग जिस स्थायित्व और सम्मान के हकदार हैं वह उन्हें नहीं मिला तो हमारी पूरी सामाजिक संरचनाएं तार-तार हो सकती हैं. 
 - प्रकाशक: लोकभारती प्रकाशन
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* 'बहनों का जलसा' - सूर्यबाला

- मैं अक्सर कहा करती हूं कि इस बाहरी दुनिया के समानान्तर हमारे अन्दर भी एक भरी-पूरी दुनिया बसती है... बहुत करुण, बहुत मधुर, बहुत गहरी और छोर-अछोर विस्तृत.. वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यबाला की यह पंक्तियां उन कहानियों की ओर इशारा करती हैं, जो उनके नवीन कहानी-संग्रह 'बहनों का जलसा' में मौजूद हैं. यह इस वरिष्ठ कथाकार की कहानियों का नया संकलन है. अपनी कहानियों के बारे में उनका कहना है: 'मनुष्य में से मनुष्यता का खारिज होते जाना ही मेरी कहानियों की दुखती रग है.' और इसे वे सभ्यता की उस दिशा से जोड़ती हैं, जिधर वह जा रही है, जिधर हम जा रहे हैं. बिना किसी आन्दोलन का हिस्सा हुए, और बिना किसी विमर्श का सायास अनुकरण किए.  ये कहानियां पठनीयता और प्रवाह को बरकरार रखते हुए, सभ्यता की संवेदनहीन यात्रा में असहाय चलते पात्रों का अत्यन्त सजीव चित्र हैं. बेहद साधारण और जीवन में रचे-बसे मध्यवर्गीय चरित्रों के मनोजगत से कथाकार उन पीड़ाओं का संधान करती हैं, जिनके दायरे में पूरी मानवता आ जाती है. रिश्तों और भावनात्मक निर्भरता के जो धागे भारतीय समाज को विशिष्ट बनाते हैं, उनकी टूटन खासतौर पर कथाकार का ध्यान खींचती है. दुःखद विसंगतियां, विडम्बनाएं, मन की तहों के भीतर हरदम चलते संघर्ष आदि को कथाकार यथासम्भव नेकनीयती के साथ तलाशती और सहेजती रहती हैं; और यही नेकनीयती- उनकी लेखकीय और नागरिक चेतना का सत्व है; और उनकी कहानियों का प्राण भी.
- प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
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वर्ष 2023 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!

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