सविता सिंह की पुस्तक ‘एक सूरज स्याह सा’ का विमोचन, 10 लघु कहानियों का शानदार संग्रह

पुस्तक विमोचन समारोह के अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि सविता जी की कहानियों को पढ़ते हुए कई बार मेरे रोंगटे खड़े हो गए, आंखें छलछला आईं. ये कहानियां हमें अतीत की तरफ ले जाती हैं मगर उनमें एक आगे की भी दृष्टि है. लेखिका सविता सिंह के बारे में प्रधान ने कहा कि आप देर से आईं, लेकिन दुरुस्त आईं.  

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सविता सिंह की पुस्तक ‘एक सूरज स्याह सा’ का विमोचन सविता सिंह की पुस्तक ‘एक सूरज स्याह सा’ का विमोचन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

नवोदित लेखिका सविता सिंह द्वारा लिखित और दिल्ली स्थित प्रकाशन गृह ‘द फ्री पेन’ द्वारा प्रकाशित हिंदी पुस्तक  ‘एक सूरज स्याह सा’ का विमोचन हिंदी भवन, नई दिल्ली में हुआ. ये पुस्तक व्यापक मुद्दों पर महिलाओं के दृष्टिकोण को साझा करने वाली 10 लघु कहानियों का संग्रह है. इस मौके पर लेखिका सविता सिंह ने कहा कि वो पिछले चार-पांच दशकों से लिख रही हैं, लेकिन बात कभी प्रकाशन तक नहीं पहुंची. अब परिवार और दोस्तों के आग्रह पर उनकी कहानियां इस पुस्तक के रूप में सबके सामने हैं.

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मध्यमवर्गीय जीवन के उतार-चढ़ाव, दुःख-दर्द, रिश्तों की पेचीदगियां, छोटी-बड़ी खुशियां और मानव जीवन के रोजमर्रा के संघर्ष उन भावनाओं में से हैं, जिनकी पुस्तक में चर्चा की गई है. पुस्तक विमोचन समारोह के अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि सविता जी की कहानियों को पढ़ते हुए कई बार मेरे रोंगटे खड़े हो गए, आंखें छलछला आईं. ये कहानियां हमें अतीत की तरफ ले जाती हैं मगर उनमें एक आगे की भी दृष्टि है. लेखिका सविता सिंह के बारे में प्रधान ने कहा कि आप देर से आईं, लेकिन दुरुस्त आईं.  

कॉमन कॉज के निदेशक विपुल मुदगल ने कहा कि सविता जी जिस नज़रिये से स्त्री-पुरुष संबंधों को देखती हैं, उसमें न्याय है, गज़ब की स्वतंत्रता है, और गज़ब की बराबरी भी है. उन्होंने सवाल किया कि तो फिर बचा क्या? यही सब तो संविधान में भी है. शिक्षक एवं समीक्षक प्रभात रंजन ने कहा कि ये किताब एक छुपा हुआ खजाना थी जो अब हमारे हाथ लगा है. इसमें स्त्री विमर्श को देखने की एक नई दृष्टि है. हमें सविता जी की नई कहानियों का बेसब्री से इंतज़ार है.

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कहानियों में स्त्री चेतना का नया स्वर सुनाई देता है 

लेखक एवं पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्र ने कहा कि कहने के लिए ये सविता जी की पहली पुस्तक है लेकिन इसके पात्र हिंदी साहित्य के बेहतरीन पात्रों से कम नहीं दिखते. पढ़ते वक्त लगता है कि हम पात्रों के साथ उनकी जीवन यात्रा में शामिल हैं. शिक्षक-समीक्षक बिंदु ने कहा कि सविता जी की कहानियों में स्त्री चेतना का नया स्वर सुनाई दे रहा है. इसमें पारिवारिक, सामाजिक रिश्तों की कड़वाहट है, तो मर्म का एक सूत्र भी जो सभी को आपस में बांधे रहता है. इसके कथा सूत्रों में अभूतपूर्व संतुलन है. 

लेखक एवं आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि अतीत के प्रासंगिक अनुभवों से निकली कहानियों का संकलन 'एक सूरज स्याह सा' न केवल स्त्री विमर्श का एक पठनीय दस्तावेज़ है बल्कि यह किताब एक महिला के अंतर्विरोधों और आधी आबादी के दिल और दुनिया के बीच के द्वंद्व से बाहर आने के साहस की एक डायरी भी है.
 
सविता सिंह द्वारा लिखी गई इन कहानियों के पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने तक की यात्रा में असामान्य रूप से महिला टीम की भागीदारी रही. लेखिका के अलावा रूपम मल्लिक दत्ता (प्रकाशक), अमृता दास (स्केच कलाकार) और रिम्मी शर्मा (पाण्डुलिपि को डिजिटाइज किया)  इस टीम में सक्रिय रहीं. पुस्तक के विमोचन समारोह में साहित्य, पत्रकारिता, कला और शिक्षा जगत से जुड़े तमाम गण्यमान लोग उपस्थित थे.

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