'आजकल के गानों की जात बदल गई है, दिल में नहीं पैरों पर लगते हैं', बोले सुरेश वाडकर

दिग्गज सिंगर सुरेश वाडकर हाल ही में साहित्य आजतक 2025 के मंच पर आए. जहां आकर उन्होंने पुराने गानों को नए गानों से कंपेयर किया. सुरेश का कहना रहा कि पहले के गानों में शब्द रामबाण होते थे, लेकिन अब ये प्रक्रिया बदल चुकी है.

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पुराने गानों से आजकल के गानों को सुरेश वाडकर ने किया कंपेयर (Photo: Atul Kumar Yadav, Vidushi Mehrotra) पुराने गानों से आजकल के गानों को सुरेश वाडकर ने किया कंपेयर (Photo: Atul Kumar Yadav, Vidushi Mehrotra)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:00 AM IST

सिंगर सुरेश वाडकर ने साहित्य आजतक 2025 के मंच पर आकर चार चांद लगा दिए. जब उन्होंने अपने फेवरेट गीत गुनगुनाए तो वहां मौजूद हर कोई थिरकने को मजबूर हो गया. हां, ये बात सही है कि आजकल के गानों पर ऑडियन्स का पैर डांस करने के लिए ज्यादा उठता है. लेकिन पुराने गाने भी काफी सारे ऐसे हैं जो आपको थिरकने पर मजबूर करते हैं. सुरेश ने पुराने गानों और आजकल के गानों को लेकर अपनी राय रखी. 

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लिरिक्स और क्वालिटी पर बोले सुरेश
सुरेश ने कहा कि उस जमाने के डायरेक्टर्स ऐसे थे कि सिंगर का इंतजार करते थे. उसी से गंवाते थे, जिससे वो गंवाना चाहते थे. लेकिन आज की चीजें बदल गई हैं. म्यूजिक और लिरिक्स की क्वालिटी में गिरावट आई है. पर इस तरह भी नहीं कह सकते हम. आज का म्यूजिक भी अच्छा चल रहा है. 'सतरंगा' गाना श्रेयस पुराणिक ने कंपोज किया है. इन्हें मैंने ही सिखाया है. 

एक जो राम बाण होता था शब्दों का पहले वो अब नहीं है. शब्दों की वजह से गाना डायरेक्ट जाकर दिल पर लगता था, वो बाण अभी पैरों में लगता है, क्योंकि सबको अभी नाचना होता है. हर गाने पर हर किसी को नाचना होता है. सेलिब्रेशन में भी लोग नाचते हैं तो गाने आजकल उसी तरह के बन रहे हैं. लोगों को ऐसा ही म्यूजिक पसंद आ रहा है. हमारे मेकर्स भी कहते हैं कि पब्लिक को जो अच्छा लगता है वो करना चाहिए. सुनने वाले जो लोग हैं, उनके ऊपर डाला जाता है कि उनको जो पसंद है, वही हम देते हैं. माइबाप और मेकर्स इनके बीच की चीजें हैं. हम तो पोपट हैं, हम तो सिर्फ गा देते हैं.  

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किशोर दा, रफी साहब, आशा जी कहिए, उन्होंने भी लोगों को नचाया है, मगर ऐसा नहीं है कि उस वक्त उस तरह के गाने नहीं होते थे. मगर थोड़ी सी गोने की जात बदल गई है. आज के जमाने का जो गाना है वो अगर देखा जाए तो सिंगर्स गाते हैं, लेकिन अगर उन्हें 'इंडियन आइडल' टाइप जैसा कोई खिताब जीतना होता है तो वो पुराने गाने गाकर ही जीतते हैं. नया गाना गाकर नहीं जीतते. आज भी पुराने गानों को लोग पसंद करते हैं.

किशोर दा या रफी दा का गाना जो आप गाना चाहते थे?
सुरेश ने कहा- सैकड़ों गाने हैं जो लगता है कि काश ये गाना मुझे मिल जाता. लता जी ने मुझे कहा था कि सुरेश, तू अगर 25 साल पहले आता इंडस्ट्री में उस समय तो मेकर्स तेरे से खूब गाने गंवाते. आजकल का जमाना हम लोगों से भी ज्यादा टैलेंटेड बच्चों का है. एक्टर भी अच्छे हैं. बड़े फाइन लोग आ रहे हैं. हमें खुशी है. मगर वो जो गाने हैं, जैसे पल पल दिल के पास..., जिंदगी का सफर... ये सारे 50 साल पुराने गाने हैं. इन्हें लोग आज भी पसंद करते हैं. 

सुरेश ने आगे कहा- आज के जो हमारे टॉप मोस्ट सिंगर्स हैं, अपने 6-8 गाने गाकर यही पुराने गाने गाते हैं अपने प्रोग्राम में, क्योंकि ये आइसिंग ऑन द केक बोला जा सकता है कि ये आइसिंग रखे बिना आपका प्रोग्राम पूरा नहीं होता. तो कितनी जरूरत है इन गानों की, ये समझ आता है. 

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