Sahitya Aajtak 2025: शब्द सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2025' का शुभारंभ आज से लखनऊ में हो चुका है. इसमें 'भक्ति, जीवन और माया' शीर्षक पर मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने अपने विचार व्यक्त किए. जहां जया किशोरी ने 'जीवन के लिए भक्ति ज्यादा जरूरी है या माया' इस बात से अपने सेशन की शुरुआत करी.
इस पर जया किशोरी कहती हैं कि, 'अगर आप वैराग्य ले रहे हैं तो माया बिल्कुल जरूर नहीं है लेकिन अगर आप सांसारिक जीवन जी रहे हैं तो भक्ति और माया दोनों ही महत्वपूर्ण है. दरअसल, भक्ति और माया एक दूसरे के बिना अधूरी है इन दोनों का जीवन में साथ बहुत ही आवश्यक है. '
नवयुवकों की महाकुंभ में सक्रियता
इस बार नवयुवक महाकुंभ में ज्यादा सक्रिय है इस पर जया किशोरी कहती हैं कि, 'मेरा देश बदल रहा है और हमारा देश भक्ति की ओर बढ़ रहा है. साथ ही, लोग खुली मानसिकता के साथ भक्ति और आध्यात्म की ओर बढ़ रहे हैं जो कि बहुत ही अच्छी बात है.'
आगे महाकुंभ में हुए हादसे पर जया किशोरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बोला कि, 'जिन लोगों के साथ ये हादसा हुआ उनके लिए कोई दवाई काम नहीं करेगी. हम उन लोगों के दर्द को कम नहीं कर सकते हैं लेकिन उनका साथ जरूर निभा सकते हैं. और जो हुआ उसके लिए माफी मांग सकते हैं. इतनी संख्या में लोगों का महाकुंभ में पहुंचना अच्छी बात है लेकिन उन्हें थोड़ा मर्यादा और नियम में रहना चाहिए.
क्या डुबकी लगाने से पाप धुलते हैं?
जया किशोरी कहती हैं कि, 'डुबकी लगाने से किसी के पाप नहीं धुलते हैं. बल्कि, डुबकी लगाने से वो पाप धुलते हैं जो गलती से किए गए हों या अनजाने में किए गए हों. सोची-समझी योजनाएं कभी भी डुबकी लगाने से नहीं धुलती हैं या आप किसी को जानबूझकर तकलीफ पहुंचा रहे हैं तो वो पाप गंगा मैय्या कभी नहीं धोएंगी और कभी न कभी उन कर्मों का फल भी मिलेगा.
क्या साहित्य के जरिए अध्यात्म तक पहुंच सकते हैं?
जया किशोरी ने इस पर उत्तर देते हुए कहा कि, 'बिल्कुल साहित्य के जरिए अध्यात्म तक पहुंचा जा सकता है. दरअसल, आध्यात्मिकता तो हर क्षेत्र से मिलती है, अगर आप अपना काम अच्छे से कर रहे हैं तो आप कहीं से भी आध्यात्मिकता ग्रहण कर सकते हैं.'
आध्यात्मिक होने का कैसे पता लगाया जा सकता है?
जया किशोरी ने इस पर उत्तर देते हुए कहा कि, ' जो व्यक्ति आध्यात्मिक हो जाता है वह व्यक्ति अपना काम बढ़ी ही ईमानदारी से करता है. जैसा कि गीता में भी कहा गया है कि कर्म की चिंता कर फल की चिंता मत कर. दूसरा, काम से किसी की मदद कैसे की जा सकती है और उस काम से अच्छी सोच कैसे ला सकते हैं. तीसरा, आध्यात्मिक व्यक्ति का ईश्वर या शक्ति से संबंध जरूर होना चाहिए.
क्या नास्तिक व्यक्ति आध्यात्मिक हो सकता है?
जया किशोरी इस पर उत्तर देते हुए कहती हैं कि, 'अगर आप आध्यात्मिक है तो शक्ति को मानना पड़ेगा. यहां उस शक्ति का मतलब कर्म से है. अगर आप सिर्फ अपने आप को ही सर्वोपरि मानेंगे तो आप आध्यात्मिक नहीं हैं.'
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किस तरह की भाषा का प्रयोग होना चाहिए
जया किशोरी कहती हैं कि, 'डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हमेशा सोच समझकर ही भाषा का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही, सिर्फ भाषा ही नहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आजकल जिस तरह का कंटेंट बच्चे बना रहे हैं उसका भी ध्यान रखना चाहिए. जब तक बच्चे समझदार न हो जाएं तब तक बच्चों को डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए सेंसरशिप होना चाहिए
जया किशोरी कहती हैं कि, 'आजकल के डिजीटल मिडिया के लिए सेंसरशिप होनी चाहिए. इसका ध्यान बच्चों के माता पिता को रखना चाहिए यानी एक उम्र के बाद ही बच्चों को डिजीटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि कई बार बच्चे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए ट्रोल भी हो जाते हैं जो उनका ट्रॉमा में पहुंचा देता है.
मोह-माया त्यागना जरूर नहीं है
आगे जया किशोरी कहती हैं कि, 'अच्छा जीवन जीने के लिए सिर्फ कमाएं. आजकल के बच्चों को पैसा कमाने के नए तरीके ढूंढने चाहिए. अगर अपने परिवार को अच्छी जिंदगी देनी है तो पैसा कमाओ. लेकिन, इन चीजों के लिए आध्यात्मिक होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि अध्यात्म हर चीज से जुड़ा हुआ है.'
क्या आध्यात्मिक वक्ता का जीवन साधारण होना चाहिए
जया किशोरी इस पर उत्तर देते हुए कहती हैं, 'ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आध्यात्मिक जीवन का मतलब माया छोड़ देना होता है क्योंकि यह बात गीता में भी कहीं नहीं लिखी है. अगर किसी को माया छोड़नी है तो उस व्यक्ति को सिर्फ वैराग्य ही अपनाना चाहिए.
विवाह की क्या उम्र होनी चाहिए?
जया किशोरी इस पर उत्तर देते हुए कहती हैं, 'विवाह तब करना चाहिए जब आप उस जिम्मेदारी को निभा पाएं क्योंकि शादी बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी होती है इसलिए तब ही विवाह करें. दूसरी बात, बायोजिकल क्लॉक के हिसाब से शादी करनी चाहिए. लेकिन फिर भी विवाह सोच समझकर ही करें.'
क्या आध्यात्मिक जीवन और सांसारिक जीवन एक साथ चल सकता है?
इस पर जया किशोरी कहती हैं कि, ' बिल्कुल आध्यात्मिक जीवन और सांसारिक जीवन एक साथ चल सकता है, हर व्यक्ति आज माया को साथ लेकर चल रहा है. आज के समय में पैसा ही पावर है. इसलिए, युवाओं को कमाना चाहिए और माया को नहीं त्यागना चाहिए. लोगों को बस मेहनत करनी चाहिए किसी दूसरे की नहीं सुननी चाहिए. किसी की मानसिकता पर भी ध्यान नहीं चाहिए.
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