साहित्य आजतक 2019: 'उसका हंसकर नजर झुका लेना, सारी शर्तें कुबूल हों जैसे..'

साहित्य आजतक 2019 के तीसरे और आखिरी दिन मुशायरा का आयोजन किया गया. इस मुशायरे में कई जाने-माने शायरों ने शिरकत की.

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साहित्य आजतक 2019 के मुशायरे में नवाज देवबंदी साहित्य आजतक 2019 के मुशायरे में नवाज देवबंदी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST

  • 'साहित्य आजतक 2019' के तीसरे और आखिरी दिन सजी मुशायरे की महफिल
  • साहित्य आजतक 2019 में मुशायरे में कई जाने-माने शायर हुए शामिल

'साहित्य आजतक 2019' के तीसरे और आखिरी दिन मुशायरे की महफिल सजी. इस मुशायरे में कई जाने-माने शायर शामिल हुए. मुशायरे में वसीम बरेलवी, राहत इंदौरी, नवाज देवबंदी, अभिषेक शुक्ला, जीशान नियाजी, कुंवर रंजीत चौहान ने शिरकत की और अपने शेरों से खूब वाहवाही लूटी.

साहित्य आजतक 2019 में हुए मुशायरे में नवाज देवबंदी ने कई शेर पढ़े. नवाज देवबंदी के शेर मोहब्बत के ही इर्द गिर्द रहे. नवाज देवबंदी के शेर कुछ तरह से रहे...

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अपना न कहा जाए तो बेगाना कहा जाए,
दीवाना हूं, दीवाने को दीवाना कहा जाए..
मयखाने को मयखाना तो कहती है दुनिया,
उन झील सी आंखों को भी मयखाना कहा जाए.

उसकी बातें तो फूल हो जैसे,
बाकि बातें बबूल हो जैसे,
उसका हंसकर नजर झुका लेना,
सारी शर्तें कुबूल हों जैसे..

बेख्याली में भी ख्याल उसका,
मेरे क्या है ये है कमाल उसका.
ये जो सब मेरा हाल पूछते हैं,
पूछना चाहते हैं हाल उसका.
खुश्बूएं उस पर जान देती हैं,
आईना रखता है ख्याल उसका.
उसकी जुल्फों के साए कहते हैं,
शिमला उसका है, नैनीताल उसका.

मेरे जख्मे दिल की दवा तो कर,
ये हैं खुश्क, इसको हरा तो कर.
तू भी खुश रहे, मैं भी खुश रहूं,
मुझे जख्म देकर हंसा तो कर.

जुगनुओं की तरह जला हूं मैं,
बेचिरागों का आसरा हूं मैं.
आप बैसाखियों के बल पर हैं,
अपने पैरों पर चल रहा हूं मैं.
बारिशें मुझको क्या मिटाएंगी,
उसके दिलपर छपा हुआ मैं.
बादशाहत मेरी चिरागों पर,
जानते हो मुझे, हवा हूं मैं.
खुश्क पत्ते का मर्सिया सुन लो,
शाख पर बोझ बन गया हूं मैं.
सोचकर तफसरा करो मुझपर,
आपका दोस्त रह चुका हूं मैं.

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