गुल्लक में हुआ छिनैती सीन रियल लाइफ से था प्रेरित, 'अन्नू की मम्मी' गीतांजलि कुलकर्णी ने किया खुलासा

साहित्य आजतक 2024 में टीवीएफ अरिजिनल्स के हेड श्रेयांश पांडे, एक्ट्रेस एहसास चन्ना और एक्ट्रेस गीतांजलि कुलकर्णी ने बातचीत की. सेशन के मॉडरेटर निखिल नाज रहे, जिन्होंने तीनों सितारों से उनके शो को लेकर मजेदार सवाल किए. सेशन के दौरान एहसास और गीतांजलि ने ऑडियंस के सवाल के जवाब भी दिए और अपने कुछ पर्सनल एक्सपीरिएंस शेयर किए.

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गीतांजलि कुलकर्णी, एहसास चन्ना (फोटो क्रेडिट: के आसिफ) गीतांजलि कुलकर्णी, एहसास चन्ना (फोटो क्रेडिट: के आसिफ)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

दिल्ली में हुए साहित्य आजतक 2024 के तीसरे और आखिरी दिन सितारों ने खूब मस्ती की. इस इवेंट के सेशन टीवीएफ का हिट फैक्ट्री में टीवीएफ अरिजिनल्स के हेड श्रेयांश पांडे, एक्ट्रेस एहसास चन्ना और एक्ट्रेस गीतांजलि कुलकर्णी ने बातचीत की. सेशन के दौरान एहसास और गीतांजलि ने ऑडियंस के सवाल के जवाब भी दिए और अपने कुछ पर्सनल एक्सपीरिएंस शेयर किए.

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टीवीएफ ने करवाई मजदूरी

'गुल्लक' सीरीज में अन्नू की मम्मी उर्फ शांति मिश्रा का किरदार निभाने वाली गीतांजलि कुलकर्णी हम सभी की फेवरेट हैं. उन्होंने बताया कि फैंस आज भी उन्हें अन्नू की मम्मी के नाम से ही बुलाते हैं. 'गुल्लक' के सीजन 4 के एपिसोड 'छिनैती' के बारे में गीतांजलि ने मंच पर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे अपने पर्सनल एक्सपीरिएंस को उन्होंने एपिसोड में इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा, 'ऐसी बात है कि गुल्लक सीजन 1 के पहले मैं रिहर्सल करके जा रहे थी घर. दो दिन बाद हमें जाना था शूट के लिए और ऑटो से मेरा बैग चोरी हो गया था. घर की चाबी, स्क्रिप्ट, पैसे वगैरह सब चले गए थे. मेरे पति घर पर नहीं थे. मैं पुलिस स्टेशन पहुंची तो मुझे कहा गया आपके साथ कोई है उनको बुलाओ. तो मेरे घर पर काम करते हैं जो भी लोग मैंने सबको पुलिस स्टेशन बुलाया. उस एक्सपीरिएंस का इस्तेमाल मैंने छिनैती एपिसोड में किया था, क्योंकि मैं जानती थी कि कैसा लगता है.'

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शांति मिश्रा के किरदार के बारे में बात करते हुए गीतांजलि ने बताया कि उन्होंने इसके लिए तैयारी कैसे की थी. गीतांजलि मुंबई की रहने वाली हैं. ऐसे में उन्होंने यूपी की मम्मी का किरदार कैसे निभाया. इसपर एक्ट्रेस ने कहा कि मुझे लगता है कि मां हर जगह की एक जैसे ही होती है. हालांकि टीवीएफ ने उनके एक्सेंट को लेकर काफी मेहनत करवाई थी. एक्ट्रेस ने कहा, 'मेरे एक्सेंट के लिए टीवीआफ ने मुझसे मजदूरी करवाई है. हमने 10 दिन रिहर्सल की थी और मुझे पहले से बोल दिया था कि मराठी में मत बोलिए. मेरे साथ काम करने वाले जमील (खान), अन्नू (वैभव राज गुप्ता), अमन (हर्ष मायर), सब मुझपर नजर रखते थे कि मैं मराठी तो नहीं बोल रही. पूरे एक महीने मैंने हिंदी में बात की थी. घर से फोन आने पर भी मैं थोड़ी बहुत बात करती थी.'

एहसास का करियर रहा स्मूद

एहसास चन्ना ने इंडस्ट्री में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट शुरुआत की थी. उन्होंने बचपन में लड़कों के रोल निभाए और बाद में लोगों को पता चल कि वो असल में लड़की हैं. इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'बहुत सारे लोगों के लिए अभी भी ये रेवेलेशन है कि वो छोटा बच्चा मैं हूं. बहुत-सी लड़कियां हैं जो कहती हैं कि तुम मेरा क्रश थे और तुम लड़की निकले.' एक्ट्रेस ने बताया कि वो इतने लंबे वक्त से इंडस्ट्री में काम कर रही हैं कि 25 की उम्र में उनके पास 22 साल का एक्सपीरिएंस हो गया है.

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एहसास से पूछा गया कि उन्हें लड़के के रोल करने के बाद लड़की के रूप में पर्दे पर दिखने में दिक्कत आई थी. लड़के की इमेज की वजह से उन्हें किसी मुश्किल का सामने करना पड़ा था. इसपर उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है चाइल्ड एक्टर के तौर पर मुझे जो जर्नी मिली, उससे मुझे कई मौके मिले, एक्टर्स के साथ काम करने को मिला. वो सबकुछ स्मूदली हो गया. कभी अलविदा न कहना फिल्म के बाद मुझे एक लड़की के तौर पर फूंक फिल्म मिल गई थी. फिर विज्ञापन मिले, फिर टीवीएफ हो गया. माय फ्रेंड गणेशा फिल्म के लिए भी मैं आभारी हूं. मैं वो आर्टिस्ट थी कि जो लड़के का रोल प्ले करती थी तो वो मेरी अलग पहचान थी. मेरी जर्नी बहुत स्मूद रही. मैं इस नजर से उस चीज को देखती हूं.'

करियर के बारे में था डाउट?

सेशन के दौरान एहसास चन्ना से ये भी पूछा गया कि क्या उन्होंने बड़े होते हुए पूछा था कि वो बड़े होकर एक्टर के बजाय कुछ और बनना चाहती हैं. इसपर उन्होंने कहा, 'हां, मैंने सोचा था. ये करियर 4 साल की उम्र में मेरे लिए चुना गया था. मुझे बाद में इससे प्यार हो गया. मैं 3 साल की थी और मुझे गब्बर के डायलॉग याद थे. मेरी मां ने ये देखा और उन्होंने मुझे एक्टिंग में डाला. 18 साल की उम्र में मुझसे पूछा गया था कि आगे क्या करना है. मैंने सोचा लेकिन मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं एक्टिंग के अलावा कुछ नहीं कर सकती हूं. वो मेरी रग-रग में भरी हुई है. मुझे उससे प्यार हो गया है. अब मुझे बॉलीवुड की हीरोइन बनना है. इसकी हम पूरी कोशिश कर रहे हैं. ओटीटी मेरे बचपन में नहीं था. मैं 17-18 साल की हुई तब मैंने टीवीएफ देखा था. मैंने नहीं सोचा था कि मैं इसमें काम करूंगी. लेकिन और भी बहुत कुछ मुझे करना है. मैं इसके लिए मेहनत कर रही हूं. उम्मीद है कि मैं सफल हो पाऊंगी.'

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ट्राइबल्स के लिए काम कर रहीं गीतांजलि  

गीतांजलि कुलकर्णी और उनके पति और एक्टर अतुल कुलकर्णी मिलकर एक एनजीओ चला रहे हैं. इसके तहत वो आदिवासी बच्चों के लिए काम करते हैं. सेशन के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर एक्ट्रेस ने बताया, 'एनजीओ हमने शुरू किया था क्वालिटी एजुकेशन सपोर्ट ट्रस्ट. उसके बाद उस गांव में हमने घर लिया. उसके बाद हमें लगा कि उसके आगे भी जाना चाहिए. वहां के बच्चों के साथ कनेक्ट होना जरूरी है, क्योंकि हमें जो सहूलियत मिली है, आसानी से पढ़ाई मिली है, किताबें मिली हैं. जो एक्सपोजर मिला है वो अभी भी गांव के बच्चों तक नहीं पहुंचा है. आदिवासी बच्चों तक तो बिल्कुल नहीं पहुंचा है, क्योंकि उनकी भाषा ही अलग होती है.'

उन्होंने आगे कहा, 'उस वजह से हम बहुत आसानी से आरक्षण के बारे में बोल देते हैं, स्कॉलरशिप्स के लिए बोल देते हैं. लेकिन जब मैं गई आदिवासी बच्चों के लिए जो स्कूल हैं वहां पर, तब मैंने समझा कि मुझे इतनी सहूलियत मिली तो मुझे कहां तक जाना चाहिए. इनको थोड़ी बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. तो मुझे लगा कि NSD में जो मैंने पढ़ाई की है. एक नागरिक के तौर पर, एक थिएटर में काम करने वाली के तौर पर, जो सरकार ने मुझे स्कॉलरशिप दी है, तो ये तो बनता है कि मैं अपने हिस्से का कुछ काम करूं, जिससे मुझे ही खुशी मिलती है. तो वो बच्चों के साथ हम थिएटर प्रोग्राम करते हैं. बच्चों को क्लाउनिंग सिखाते हैं, आर्ट सिखाते हैं, पॉपअप लाइब्रेरी का आयोजन करते हैं, कुछ दो-तीन बच्चे जो बड़े हो गए हैं उन्हें लाइब्रेरी प्रोग्राम कैसे चलाते हैं और किताबें कितनी जरूरी है, उनसे कैसे दोस्ती हो सकती है, ये सब सिखाते हैं. मुझे बहुत अच्छा लगता है. मुझे भी इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. वो बच्चे बहुत समझदार हैं, बहुत एनर्जी है उनमें, बहुत मजा आता है उनके साथ काम करने में. इसलिए नहीं सिर्फ कि ये हमारी जिम्मेदारी है, इसलिए भी कि इससे हम बेहतर इंसान बनते हैं.'

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