साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: 'लोकप्रिय' श्रेणी में पाठक, रंगनाथन, खातून, बगड़िया के अलावा और किनकी पुस्तकें

साल 2022 में 'साहित्य तकः बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की कड़ी में आज 'लोकप्रिय' श्रेणी की पुस्तकों की बारी. इनमें सुरेंद्र मोहन पाठक, जयंती रंगनाथन, अफ़साना खातून, अमित बगड़िया और अमित खान के अलावा किन-किन लेखकों की पुस्तकें शामिल हैं. देखें, पूरी सूची- पाएं जानकारी

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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: 'लोकप्रिय' श्रेणी की पुस्तकें साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: 'लोकप्रिय' श्रेणी की पुस्तकें

जय प्रकाश पाण्डेय

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST

भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब इंडिया टुडे समूह के साहित्य के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने हर दिन किताबों के लिए देना शुरू किया. इसके लिए एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की गई...इस कार्यक्रम में 'एक दिन एक किताब' के तहत हर दिन किसी पुस्तक की चर्चा होती है. पूरे साल इस कार्यक्रम में पढ़ी गई पुस्तकों में से 'बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला वर्ष के अंत में होती है. इसी क्रम में आज 'लोकप्रिय' श्रेणी की पुस्तकों की बात की जा रही है.
साल 2021 की जनवरी में शुरू हुए 'बुक कैफे' को दर्शकों का भरपूर प्यार तो मिला ही, भारतीय साहित्य जगत ने भी उसे खूब सराहा. तब हमने कहा था- एक ही जगह बाजार में आई नई किताबों की जानकारी मिल जाए, तो किताबें पढ़ने के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'. 
हमारा लक्ष्य इन शब्दों में साफ दिख रहा था- "आखर, जो छपकर हो जाते हैं अमर... जो पहुंचते हैं आपके पास किताबों की शक्ल में...जिन्हें पढ़ आप हमेशा कुछ न कुछ पाते हैं, गुजरते हैं नए भाव लोक, कथा लोक, चिंतन और विचारों के प्रवाह में. पढ़ते हैं, कविता, नज़्म, ग़ज़ल, निबंध, राजनीति, इतिहास, उपन्यास या फिर ज्ञान-विज्ञान... जिनसे पाते हैं जानकारी दुनिया-जहान की और करते हैं छपे आखरों के साथ ही एक यात्रा अपने अंदर की. साहित्य तक के द्वारा 'बुक कैफे' में हम आपकी इसी रुचि में सहायता करने की एक कोशिश कर रहे हैं."
हमें खुशी है कि हमारे इस अभियान में प्रकाशकों, लेखकों, पाठकों, पुस्तक प्रेमियों का बेपनाह प्यार मिला. इसी वजह से हमने शुरू में पुस्तक चर्चा के इस साप्ताहिक क्रम को 'एक दिन, एक किताब' के तहत दैनिक उत्सव में बदल दिया. साल 2021 में ही हमने 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला भी शुरू की. उस साल हमने केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता श्रेणी में टॉप 10 पुस्तकें चुनी थीं.
साल 2022 में हमें लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों से हज़ारों की संख्या में पुस्तकें प्राप्त हुईं. पुस्तक प्रेमियों का दबाव अधिक था और हमारे लिए सभी पुस्तकों पर चर्चा मुश्किल थी, इसलिए 2022 की मई में हम 'बुक कैफ़े' की इस कड़ी में 'किताबें मिली' नामक कार्यक्रम जोड़ने के लिए बाध्य हो गए. इस शृंखला में हम पाठकों को प्रकाशकों से प्राप्त पुस्तकों की सूचना देते हैं.
इनके अलावा आपके प्रिय लेखकों और प्रेरक शख्सियतों से उनके जीवन-कर्म पर आधारित संवाद कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' और किसी चर्चित कृति पर उसके लेखक से चर्चा का कार्यक्रम 'शब्द-रथी' भी 'बुक कैफे' की पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने वाली कड़ी का ही एक हिस्सा है.
साल 2022 के कुछ ही दिन शेष बचे हैं, तब हम एक बार फिर 'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' की चर्चा के साथ उपस्थित हैं. इस साल कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई हैं. साहित्य तक किसी भी रूप में इन्हें कोई रैंकिंग करार नहीं दे रहा. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक पहुंची ही न हों, या कुछ पुस्तकों की चर्चा रह गई हो. पर 'बुक कैफे' में शामिल अपनी विधा की चुनी हुई ये टॉप 10 पुस्तकें अवश्य हैं. 
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों के प्रति सहयोग देने के लिए आप सभी का आभार.
साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' साल 2022 की 'लोकप्रिय' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं ये
* 'गैंग ऑफ फोर', सुरेंद्र मोहन पाठक. यह साठ के दशक वाला चीन का गैंग ऑफ फोर नहीं बल्कि अपने चहेतों में एसएमपी के नाम से मशहूर भारत में क्राइम थ्रिलर उस्ताद का विमल सीरीज का नया उपन्यास है. अपनी चुटीली शैली, पंजाबी, उर्दू और हिंदी मिश्रित भाषा और शायरी की चाशनी ने क्राइम फ़िक्शन की दुनिया में अपना अलग ही मुकाम बनाया है, जिसे ओटीटी की दुनिया और इंटरनेट का प्रभाव भी तोड़ नहीं सका. क्राइम फिक्शन की कहानियां बताई नहीं जातीं, इसलिए आप यहां इतना भर जानें कि पाठक अब भी अपनी विधा में देश के सबसे अधिक बिकने वाले लेखक हैं. प्रकाशक- पेंगुइन इंडिया रैंडम हाउस इम्प्रिंट के तहत हिंद पॉकेट बुक्स
* 'शैडो', जयंती रंगनाथन. सस्पेंस, थ्रिल और एडवेंचर से भरपूर इस उपन्यास का कथानक शुरू से अंत तक हर पन्ने के साथ पाठक को चौंकाता है. मयंक कथाकार है. एक दिन वह जो उपन्यास लिख रहा था उसी की एक महिला किरदार उसके सामने आकर खड़ी हो गई. वह कहानी की किरदार काव्या की तलाश में दिल्ली से वायनाड तक चला गया. इस बीच उसके साथ-साथ उसकी गर्लफ़्रेंड पूर्वा, पड़ोस में रहने वाली उमा, उसे लेकर प्यार से भरी मारिया के साथ ऐसी घटनाएं घटने लगती हैं कि उसे समझ नहीं आता कि वह क्या करे. रहस्य, रोमांच, पूर्वजन्म और संयोग पर आधारित यह उपन्यास अपनी नई विषयवस्तु के चलते भी इस सूची का हिस्सा है.  प्रकाशक- हिन्द युग्म
* 'शेल्टर होम शेल्टर', अफ़साना खातून. यह उपन्यास उन तमाम सामाजिक एवं राजनीतिक दावों को बेनक़ाब करता है, जो नारी उत्थान के लिए किए जाते हैं. उपन्यास बताता है कि आज 21वीं सदी में भी नारी की हैसियत वस्तुतः वही है जो वर्षों पहले थी. पुरुष प्रधान समाज और संस्थाएं बड़ी चतुराई से गरीब, असहाय और लावारिस बालिकाओं और महिलाओं का शारीरिक दोहन 'आश्रय और सुधार' के नाम पर करती हैं. यह उपन्यास मानवीय मूल्यों को लहूलुहान करने वाले किरदारों की ऐसी ज़ंजीर के साथ पाठकों के सामने आता है, जिसमें फेरीवाले, रिक्शा चालक, पुलिस से लेकर महिलाओं में रहने वाले सफेदपोश तक अनगिनत कड़ियां सामने आती हैं. प्रकाशक- सर्व भाषा ट्रस्ट
* 'Money कथा अनंता', कुशल सिंह, यह नोटबंदी की कहानी बयान करता एक कॉमिक थ्रिलर है. जिसमें नोटबंदी और उस समय की परिस्थितियों का ज़िक्र है.नशे में झूमते तीन दोस्तों को नोटों से भरा एक बैग मिलता है. मगर इसकी ख़ुशी एक रात भी नहीं चल पाती क्योंकि उसी रात नोटबंदी हो जाती है. अब ऐसे में जब लोग दो- चार हजार रुपयों को बदलने-बदलवाने के लिए बैंक में जूतम पैजार कर रहे हों, वहां नोटों का पूरा बैग बदलने के बीच इनके साथ जो घटता है, वह समाज की सच्चाई दिखलाता है. उपन्यास बताता है कि इंसान के मन में उपजा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, जिससे ये दुनिया भरी पड़ी है, कैसे सीधे सादे मनुष्यों को भी उनके मूल कर्तव्य से दूर रखती है. प्रकाशक- हिन्द युग्म प्रकाशन
* 'Pok भारत में वापस', अमित बगड़िया. यह रोमांचक औपन्यासिक कृति है जो राजनीतिक अस्थिरता की कल्पना के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे का बयान करती है. काल्पनिक कथानक फौज के साहस, खुफ़िया जांच एजेंसियों की सतर्कता और सियासत में बढ़ते हुए दबाव और उस दबाव में लिए गए फ़ैसले को बहुत विस्तार से रखकर पाठक को सोचने के लिए बाध्य करता है. कथानक अनोखा है और घटनाएं तेज गति से घटती हैं. भारत और पाकिस्तान के खट्टे-मीठे रिश्तों के अलावा यह ऐतिहासिक घटनाओं के साथ देश की खुफिया ताकत, राजनीति, कूटनीति और नौकरशाही के दबाव को भी दर्शाता है.  अंग्रेज़ी में 'Spies, Lies & Red Tape' नाम से  प्रकाशित इस कृति का हिंदी अनुवाद राजेन्द्र कुमार राज ने किया है. प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन
* 'बॉम्बे टापू किस्सा जंक्शन', सारंग उपाध्याय. यह अनूठी कहानियों का संकलन है जो तब के बॉम्बे, जिसे आज हम मुंबई के नाम से जानते हैं,  पर आधारित है. मुंबई की चमकीली और उतनी ही काली दुनिया, जहां नगरीकरण के चरम में हिंसा, नशा, और दौलत की अनगिनत परतों के बीच आदमी न जिंदा है न मरा हुआ. इस संकलन में मुंबई की पृष्ठभूमि में जीने और जिंदा रहने की कोशिश पर आधारित कुल 7 कहानियां हैं. मुंबई की भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में रची गई इन कहानियों को पढ़ना मुंबई शहर उसके संघर्ष और उसमें बसे जीवन को देखना है. प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ
* 'नायिका', अमित खान. फ़िल्म निर्माता महेश भट्ट ने इसे 'आउटस्टेंडिंग थ्रिलर' करार दिया, और वाकई इस क्राइम थ्रिलर के सवाल पाठक को उलझाते हैं. क्या है हत्याओं का राज़! आखिर वो कौन है, जो कर रहा है लाशों पर अट्टहास? आखिर वो कौन है, जो इन वारदातों को अंजाम दे रहा है और फिर इन हत्याओं का तरीका क्या है? यहां तक कि पाठक सोचता है कि हत्यारा क्या किसी पागलखाने में छिपा हो सकता है. मौत के तांडव की ऐसी सनसनीख़ेज़ कहानी, जिसे पढ़कर हत्यारे से नफ़रत नहीं होती. सस्पेंस और रोमांच से भरपूर. प्रकाशक-पेंगुइन रैंडम हाउस इम्प्रिंट के तहत हिंद पॉकेट बुक्स
* 'बवाली कनपुरिया', डॉ संजीव मिश्र. यूपी के विकास दुबे की वह अपराधगाथा, जो 2020 में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया, और तभी सामने आया उसका वह बेखौफ चेहरा जिसने आम आदमी तो दूर पुलिस अफसरों तक को ना छोड़ा. यह किताब अपराधी के कई ऐसे पहलुओं को सामने लाती है जहां वह इंसान नहीं बल्कि हैवान बन जाता था. पुस्तक यह भी बताती है कि अपराधी विकास का उदय कैसे हुआ? वो कौन सी ताकतें थीं जिसने सालों उसे बचाए रखा, महज़ बचाए ही नहीं रखा बल्कि नेता तक बना दिया. यह विकास दुबे के जीवन का ऐसा कच्चा-चिट्ठा है जो यह पड़ताल भी करता है कि एक साधारण से परिवार का मेधावी बच्चा  कैसे अपराध के गर्त में गिर गया और फिर वहां से निकल नहीं पाया. प्रकाशक- पेंगुइन रैंडम हाउस के तहत हिंद पॉकेट बुक्स
* 'ड्रैगन्स गेम', रणविजय. वह काल्पनिक उपन्यास चीन के भारत को महाशक्ति बनने से रोकने के षड्यंत्र को दर्शाता है. यह उपन्यास चीनी खुफिया एजेंसी को बेनकाब करता है और उसके नापाक इरादों पर चोट करता है. उपन्यास अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में परमाणु परीक्षण से घबराए चीन की बौखलाहट को उजागर करता है, और इस बहाने चीन और भारत की खुफ़िया एजेंसियों की तनातनी, दांवपेंच और भारतीय जासूसों के खतरा उठाने के साहस को दर्शाता है और अंततः बताता है कि किस तरह भारतीयों ने विपरीत हालातों में भी जीत हासिल की. प्रकाशक- हिंद युग्म 
* 'प्रतिहारी अंधकार का दैत्य', अभिनव जैन. यह एक प्रतिहारी के दिव्य महाशक्ति हासिल कर लेने की रहस्यमय अद्भुत गाथा वाला उपन्यास है. लेखक ने पहला उपन्यास 'प्रतिहारी कालच्रक का खेल' नाम से लिखा था, जिसकी सफलता से उत्साहित होकर उसी कड़ी को आगे बढ़ाया गया है. उपन्यास काल्पनिक कालखंड में ऐसा रोमांच पैदा करता है, जिसमें युद्ध है, दिव्यशक्तियां हैं, असुर हैं और तमाम तरह के हथियार हैं, जो हर पन्ने पर रोमांचित करते हैं. साथ ही भूतकाल की रहस्य-रोमांच गाथा में वह थ्रिल है, जो बांधे रखता है. प्रकाशक- फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स
सभी लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों को बधाई!

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