WHO कब करता है महामारी की घोषणा, जानें एपिडेमिक और पैनडेमिक में क्या फर्क

डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष डॉक्टर टेडरोज गेब्रेयेसोस ने कहा है कि कोरोना वायरस के लिए अब वो महामारी शब्द का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि इस वायरस ने पूरी दुनिया में चिंता का माहौल बना दिया है.

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किन परिस्थितियों में WHO महामारी की घोषणा करता है? किन परिस्थितियों में WHO महामारी की घोषणा करता है?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

कोरोना वायरस अब तक 100 से ज्यादा देशों में फैल चुका है. इस जानलेवा वायरस को तेजी से फैलते देख विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया है. डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष डॉक्टर टेडरोज गेब्रेयेसोस ने कहा है कि कोरोना वायरस के लिए अब वो 'महामारी' शब्द का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि इस वायरस ने पूरी दुनिया में चिंता का माहौल बना दिया है.

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क्या है एपिडेमिक और पैनडेमिक?

अब सवाल उठता है कि डब्ल्यूएचओ किस स्थिति में किसी बीमारी को महामारी घोषित करता है. इसके लिए पैनडेमिक और एपिडेमिक के बीच के फर्क को समझना जरूरी है. दरअसल कोई बीमारी निश्चित दायरे या सीमा में रहते हैं तो उसे एपिडेमिक कहा जाता है, लेकिन जब वो दूसरे देशों में दाखिल होने लगे और उसके फैलने का खतरा और ज्यादा बढ़ने लगे तो उसे पैनडेमिक कहा जाता है.

इबोला है एपिडेमिक

साल 2014-15 में पश्चिमी अफ्रीका में फैले इबोला को एपिडेमिक घोषित किया गया क्योंकि ये बीमारी इसकी सीमाओं से लगते कुछ चुनिंदा देशों में ही फैली थी. जब किसी बीमारी को महामारी घोषित कर दिया जाता है तो इसका मतलब बीमारी लोगों के बीच आपस में एक-दूसरे में फैलेगी. सरकार के लिए एक तरह अलर्ट होता है.

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कब होती है महामारी की घोषणा?

किसी बीमारी के महामारी होने की घोषणा उसके कारण होने वाली मौतों और पीड़ितों की संख्या पर निर्भर करती है. 2003 में SARS कोरोना वायरस सामने आया था. उससे 26 देश प्रभावित हुए थे. इसके बावजूद उसे को महामारी घोषित नहीं किया गया था. किसी बीमारी को महामारी घोषित करने का फैसला डब्ल्यूएचओ को लेना होता है.

क्यों पहले ही नहीं की जाती महामारी की घोषणा?

बीमारी को महामारी घोषित करते ही दुनियाभर में डर का माहौल बन जाता है. महामारी घोषित करने के बाद इस बात का खतरा भी होता है कि डर में लोग पलायन करने लगते हैं. ऐसे लोगों के पलायन करने की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. 2009 में ‘स्वाइन फ्लू’ को महामारी घोषित करने के बाद ऐसा ही हुआ था.

आखिरी बार कब घोषित हुई थी महामारी?

साल 2009 में आखिरी बार स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था. इस जानलेवा बीमारी के चलते करीब दो लाख लोगों की मौत हुई थी. महामारी होने की अधिक संभावना तब होती है जब वायरस बिल्कुल नया हो. आसानी से लोगों में संक्रमित हो रहा हो और लोगों के बीच संपर्क से फैल रहा हो. कोरोना वायरस इन सभी पैमानों को पूरा करता है.

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कोरोना को पहले क्यों नहीं बताया महामारी?

फरवरी के आखिर में डॉक्टर टेडरोज ने कहा था कि कोरोना वायरस में महामारी बनने की क्षमता है लेकिन अभी ये महामारी नहीं है क्योंकि अभी तक इसके दूसरे देशों में तेजी से फैलने के प्रमाण सामने नहीं आए हैं. चीन, इटली और ईरान समेत करीब 114 देशों में वायरस फैलने के बाद ही इसे महामारी घोषित किया गया है. पूरी दुनिया में अब तक इसके एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.

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