Schizophrenia Causes Symptoms Treatment: 1981 बैच के आईपीएस अधिकारी और कर्नाटक के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश (68 साल) 2015 से 2017 तक कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक रहे. उनकी हत्या के मामले में उनकी पत्नी पल्लवी को गिरफ्तार किया गया है. बताया जा रहा है कि पूर्व डीजीपी की पत्नी पल्लवी सिजोफ्रेनिया से ग्रसित थी जो कि एक मानसिक बीमारी है. इस बीमारी में इंसान वास्तविकता से अलग दुनिया में रहने लगता है और उसकी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है.
क्लेवेंडर क्लीनिक के मुताबिक, दुनिया भर में हर 1 लाख लोगों में से 221 लोग इससे पीड़ित हैं. अब ऐसे में हर कोई जानना चाहेगा कि सिजोफ्रेनिया क्या है, यह किन लोगों को होती है, लक्षण, कारण और ट्रीटमेंट क्या है? तो आइए इस बारे में डिटेल में जानते हैं.
क्या है सिजोफ्रेनिया (What is Schizophrenia)
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो लोगों के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है. इसमें हेलूसिनेशन, कन्फ्यूजन और अव्यवस्थित बातें और अजीबो-गरीब बिहेवियर शामिल हो सकते हैं. सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर करने में कठिनाई हो सकती है.
हेलूसिनेशन में ऐसी चीजें देखना या सुनना शामिल है जो दूसरों द्वारा नहीं देखी जाती या सुनी जाती हैं. भ्रम यानी ऐसी चीजों पर विश्वास करना शामिल है जो वास्तविक नहीं होती हैं. वहीं अव्यवस्थित बातें यानी इंसान खुद नहीं समझ पाता कि वह बोल क्या रहा है.
सिजोफ्रेनिया अक्सर आपके प्रोफेशनल, पर्सनल या अन्य रिलेशन को भी प्रभावित करती है. यह आपको अपने विचारों को व्यवस्थित करने में भी परेशानी पैदा कर सकती है.
क्लेवेंडर क्लीनिक के मुताबिक, मनोचिकित्सकों ने सिजोफ्रेनिया के कई प्रकारों के बारे में बताया है लेकिन वो ट्रीटमेंट में उपयोगी नहीं थे. इसके बजाय एक्सपर्ट अब सिजोफ्रेनिया को कंडिशन के एक स्पेक्ट्रम के रूप में देखते हैं और उसी आधार पर इसकी ट्रीटमेंट करते हैं. इसमें शामिल हैं:
ये कंडिशंस हेल्थ एक्सपर्ट को सिजोफ्रेनिया के असामान्य रूपों को पहचानने और उनको ट्रीट करने में मदद करते हैं.
सिजोफ्रेनिया किन्हें होता है?
पुरुषों में सिजोफ्रेनिया 15 से 25 वर्ष की उम्र के बीच और महिलाओं में 25 से 35 वर्ष की उम्र के बीच शुरू हो सकता है. सिजोफ्रेनिया के लगभग 20 प्रतिशत नए मामले 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होते हैं. ये मामले पुरुषों में अधिक होते हैं. बच्चों में सिजोफ्रेनिया दुर्लभ है लेकिन संभव है. जब सिजोफ्रेनिया बचपन में शुरू होता है तो यह आमतौर पर अधिक गंभीर होता है और इसका इलाज करना कठिन होता है.
सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या हैं?
सिजोफ्रेनिया के अलग-अलग लोगों में बहुत अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं. किसी व्यक्ति में बीमारी किस तरह से सामने आती है और आगे बढ़ती है, यह लक्षणों की शुरुआत, गंभीरता और समय पर निर्भर करती है. सिजोफ्रेनिया से पीड़ित बहुत से लोग यह नहीं पहचान पाते कि उनमें सिजोफ्रेनिया के लक्षण हैं. लेकिन आपके आस-पास के लोग शायद यह पहचान लें. सिजोफ्रेनिया के ये 5 मुख्य लक्षण हैं:
भ्रम (Delusions): ये इंसान की ऐसी गलत धारणाएं होती हैं जिन्हें आप तब भी मानते हैं जब कि वो पूरी तरह से गलत होते हैं. उदाहरण के लिए सिजोफ्रेनिया से पीड़ित इंसान को लग सकता है कि आप उसके सोचने या करने की क्षमता को कंट्रोल कर रहे हैं जबकि ऐसा पॉसिबल नहीं होता.
हेलूसिनेशन (Hallucinations): ये वो स्थिति होती है जिसमें इसान को लगता है कि वह ऐसी चीजें देख, सुन, सूंघ, छू या चख सकता है जो अस्तित्व में नहीं हैं, जैसे किसी परछाई को देखना या आवाजें सुनना.
अव्यवस्थित बोलना (Disorganized speaking): बोलते समय आपको अपने विचारों को व्यवस्थित करने में परेशानी हो सकती है. ऐसा लग सकता है कि आपको उस टॉपिक पर बात करने में परेशानी हो रही है या आपके विचार इतने उलझे हुए हो सकते हैं कि लोग आपको समझ नहीं पाएं.
अव्यवस्थित या असामान्य हरकतें (Disorganized or unusual movements): आप अपने आस-पास के लोगों की अपेक्षा से अलग तरीके से चल सकते हैं. उदाहरण के लिए, आप बिना किसी स्पष्ट कारण के बहुत ज्यादा घूम सकते हैं, दिन भर चल सकते हैं या फिर दिन भर नहा सकते हैं.
नकारात्मक लक्षण (Negative symptoms): ये आपकी अपेक्षा के अनुसार काम करने की क्षमता में कमी या हानि को दर्शाते हैं. उदाहरण के लिए, आप चेहरे के भाव बनाना बंद कर सकते हैं या आपके अंदर फीलिंग्स खत्म हो सकती हैं.
सिजोफ्रेनिया के कारण?
सिजोफ्रेनिया का कोई एक कारण नहीं है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिजोफ्रेनिया अलग-अलग कारणों से होता है जिसके 3 मुख्य कारण हो सकते हैं. पहला दिमाग के सेल का सेल से कम्यूनिकेशन के लिए मस्तिष्क द्वारा जो कैमिकल यूज होता है, उसका असंतुलन. दूसरा जन्म से पहले ब्रेन सही से डेवलप न होना और तीसरा दिमाग के विभिन्न एरिया का एक दूसरे से कनेक्शन टूटना.
सिजोफ्रेनिया का पता कैसे लगाया जाता है?
हेल्थ एक्सपर्ट आपसे पूछे गए सवालों के जवाब, आपके द्वारा बताए गए लक्षणों या आपके कामों का अवलोकन करके सिजोफ्रेनिया या इससे रिलेटेड डिसऑर्डर से इसका पता लगा सकते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट आपके लक्षणों को देखकर या अन्य कारणों को जानने के लिए कुछ अन्य सवाल भी करते हैं और फिर उन जवाबों की तुलना करते हैं.
डीएसएम-5 के अनुसार , सिजोफ्रेनिया के निदान के लिए आपको 5 मुख्य लक्षणों में से कम से कम दो होना जरूरी हैं. आपमें कम से कम एक महीने से लक्षण मौजूद हों या फिर आपके लक्षण आपकी कार्य करने की क्षमता या आपके रिलेशन को प्रभावित कर रहा हो.
इमेजिंग टेस्टिंग, ब्लड, यूरिन, मस्तिष्कमेरु लिक्विड और ब्रेन एक्टिविटी टेस्टिंग से सिजोफ्रेनिया का पता लगाया जा सकता है.
सिजोफ्रेनिया का इलाज कैसे होता है?
सिजोफ्रेनिया का पूरी तरह ठीक होना संभव नहीं है लेकिन इसका इलाज संभव है. कुछ मामलों में लोग सिजोफ्रेनिया से पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है क्योंकि यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि कौन फिर से बीमार होगा और कौन नहीं?
सिजोफ्रेनिया के इलाज में आमतौर पर दवा, थेरेपी और सेल्फ-मैनेजमेंट टेक्नीक का कॉम्बिनेशन शामिल है. आपका डॉक्टर आपको दवा और थेरेपी को काम करने में कितना समय लगेगा यह बता सकता है क्योंकि अलग-अलग दवाओं के असर दिखने में अलग-अलग समय लगता है.
यदि आपको या आपके किसी परिचित में ये लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत किसी एक्सपर्ट से संपर्क करें क्योंकि समय के साथ ये अधिक गंभीर हो सकता है.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क