स्ट्रैच मार्क्स (Strech Marks) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक होते हैं. इनके बारे में लोगों को अक्सर गलत फहमी होते है कि ये पेट, कमर या सीने पर बनने वाले ऐसे सफेद या लाल निशान सिर्फ प्रेग्नेंसी की वजह से होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. ये पुरुष और महिला को किसी भी उम्र में हो सकते हैं. साइंस स्ट्रेच मार्क्स को मेडिकल की भाषा में Striae कहता है. अब हो सकता है आपने भी अपने ऊपरी आर्म्स, पेट, कमर, जांघ आदि जगह स्ट्रेस मार्क्स का अनुभव किया हो. तो आइए इनका कारण क्या होता है और क्या इन्हें सही किया जा सकता है, इस बारे में जान लीजिए.
साइंस कहता है कि स्ट्रेच मार्क्स तब आते हैं जब हमारी स्किन अपने सामान्य स्तर से अधिक तेजी से खिंच जाती है और अंदर मौजूद इलास्टिक फाइबर टूटने लगते हैं. ऐसे निशान ओवरवेट, प्रेगन्नेट महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और एथलीट में भी दिखाई देते हैं.
आसान शब्दों में समझें तो हमारी स्किन की तीन लेयर होती हैं. पहली एपिडर्मिस, दूसरी डर्मिस और तीसरी सबक्यूटेनियस लेयर. जब शरीर में किसी कारण वजन तेजी से बढ़ता या घटता है, शरीर की लंबाई अचानक बढ़की है या हार्मोनल बदलाव होते हैं तो बीच की स्किन की बीच वाली लेयर डर्मिस पर सीधे प्रेशर आता है.
इसके बाद डर्मिस में मौजूद कोलेजन और इलास्टिन फाइबर खिंचाव सहन नहीं कर पाते और उनमें छोटे-छोटे दरारें बन जाती हैं. इसी वजह से शुरुआत में स्ट्रेच मार्क्स के निशान लाल, गुलाबी या पर्पल दिखते हैं और समय के साथ सफेद या सिल्वर हो जाते हैं.
2022 में साइंस डायरेक्ट में पब्लिश हुए रिव्यू स्ट्राई डिस्टेंसे: पैथोजेनेसिस एंड थेरेपी ओवरव्यू (Striae Distensae: Pathogenesis & Therapy Overview 2022) के रिव्यू में बताया गया है कि स्किन में इलास्टिक और कोलेजन फाइबर टूटने से स्टेच मार्क बनते हैं.
2016 में विली ऑनलाइन लाइब्रेरी में पब्लिश हुई रिसर्च अनरेवेलिंग द मोलिक्यूल एंड सेलूलर मैकिनिज्म ऑफ स्ट्रेच मार्क्स से पता चला है कि स्किन में इलास्टिन-फाइब्रिल्स की क्रिया कम होती है और कोलाइटिस का उत्पादन कम हो जाता है जिससे स्ट्रेच मार्क्स आते हैं.
ओयूपी अकादमिक में स्किन बायोप्सी एनालेसिस से स्ट्रेच मार्क बनने की प्रवृत्ति का पता चलता है. स्टडी में कहा गया था कि स्टैच मार्क वाले लोगों में सामान्य त्वचा के घटक इलास्टिन और कोल का स्तर कम होता है.
ह्यूस्टन और न्यूयॉर्क में त्वचाविज्ञान और लेजर सर्जरी सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर अमेरिका के जाने-माने डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. पॉल फ्रीडमैन (Dr. Paul Friedman) का कहना है, 'स्ट्रेच मार्क्स सिर्फ प्रेग्नेंसी की वजह से नहीं बनते बल्कि ये शरीर में आने वाले हार्मोनल बदलावों और स्किन के अचानक खिंचने की वजह से भी होते हैं. स्ट्रेच मार्क्स का इलाज आसान नहीं होता और ये अक्सर तब बनते हैं जब हमारी त्वचा तेजी से फैलती है या शरीर में हार्मोन अचानक बदलते हैं.
'ये निशान पुरुषों और महिलाओं दोनों को किसी भी उम्र में हो सकते हैं जैसे जिम में हैवी एक्सरसाइज करने वाले पुरुषों के बाइसेप्स पर, प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों के हिप्स और ब्रेस्ट पर, और गर्भावस्था के बाद महिलाओं के पेट पर.'
इलाज के बारे में डॉ. फ्रीडमैन कहते हैं, 'लेजर थेरेपी, खासकर नॉन-अब्लेटिव फ्रैक्शनल लेजर, स्किन में कोलेजन और इलास्टिन को दोबारा बनाने में मदद करता है जिससे स्ट्रेच मार्क्स हल्के हो सकते हैं. हालांकि अभी तक कोई भी तरीका ऐसा नहीं है जो स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह मिटा सके.'
साइंस के मुताबिक, स्टेच मार्क सिर्फ स्किन के खिंचने से नहीं बल्कि हॉर्मोनल बदलावों से भी जुड़े होते हैं. जैसे कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने से स्किन पतली और कमजो हो जाती है. एंड्रोजेन हार्मोन बढ़ने से स्किन का इलास्टिक सपोर्ट कम हो सकता है. प्यूबर्टी के दौरान ग्रोथ हार्मोन तेजी से बढ़ते हैं जिससे शरीर अचानक फैलता है और ये समस्या आती है इसिलिए अक्सर वयस्क लड़कों और लड़कियों के कंधों, जांघों, सीने और पेट पर ऐसे निशान बन जाते हैं.
इसके अलावा तेजी से वजन बढ़ना, अचानक वजन कम होना, हैवी मसल्स गेन होना, स्टेरॉयड का इस्तेमाल, हार्मोनल मेडिकेशन या जेनेटिक फैक्टर के कारण स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं. पुरुषों में स्टेच मार्क अक्सर सीने, कंधों और बाजुओं पर दिखते हैं जबकि महिलाओं में पेट, कमर, हिप्स और ब्रेस्ट पर ज्यादा बनते हैं.
साइंस के मुताबिक, स्टेच मार्क पूरी तरह मिटाने का अभी तक कोई नेचुरल तरीका नहीं है लेकिन कुछ बेसिक तरीकों से इन्हें हल्का किया जा सकता है. इसके लिए मॉइस्चराइजर, विटामिन-E, बादाम तेल, कोकोआ बटर लगा सकते हैं. या फिर डॉक्टर की सलाह पर रेटिनॉइड क्रीम लगा सकते हैं.
यदि आप किसी ऐसी फील्ड में हैं जिसमें स्ट्रेच मार्क्स आपके एक्सपोजर को कम कर रहे हैं तो लेजर थेरेपी, माइक्रोनीडलिंग या केमिकल पील अपना सकते हैं. ये तरीके स्किन में कोलेजन बढ़ाकर निशानों को कम कर सकते हैं.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क