भारत में C-सेक्शन डिलीवरी में ये है कॉमन फैक्टर, रिसर्च में हुआ खुलासा

हाल में हुए एक रिसर्च में पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में ज्यादा पढ़ी-लिखी महिलाओं में C-सेक्शन डिलीवरी करवाने की संभावना ज्यादा होती है. इससे पता चलता है कि जो ज्यादा समृद्ध हैं और जिन तक सुविधाओं की पहुंच ज्यादा है, वो C-सेक्शन डिलीवरी ज्यादा करवाते हैं.

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C-सेक्शन डिलीवरी C-सेक्शन डिलीवरी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

आजकल सिजेरियन ऑपरेशन (C-सेक्शन ) से डिलीवरी करवाने का चलन काफी बढ़ गया है. कुछ महिलाएं हेल्थ इश्यू की वजह से C-सेक्शन करवाती हैं, तो कई महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले लेबर पेन से बचने के लिए  C-सेक्शन डिलीवरी करवाती हैं.

C-सेक्शन डिलीवरी है क्या?

C-सेक्शन डिलीवरी एक सर्जिकल टेक्निक है. जिसमें मां के पेट में चीरा लगाकर बच्चे को निकाला जाता है. अगर इस प्रोसेस को सही मेडिकल प्रोसस से किया जाता है, तब तो मां और बच्चा दोनों सेफ रहते हैं. वहीं, अगर इसमें लापरवाही की जाती है तो इसका असर मां और बच्चे  के हेल्थ पर पड़ता है, साथ ही खर्च भी ज्यादा पड़ता है.

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अमीर ज्यादा करा रहे C-सेक्शन डिलीवरी

हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार, 'अमीर महिलाएं C-सेक्शन (caesarean section) से डिलीवरी ज्यादा करवा रही हैं. यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में भी यह रिसर्च लैंसेट रीजनल हेल्थ-साउथईस्ट एशिया में प्रकाशित हुआ है.(जो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वें- 5 (2019-21) में पब्लिश्ड C-सेक्शन डिलीवरी रेट डेटा के क्रॉस-सेक्शनल रिपोर्ट पर आधारित है) .

इस रिसर्च में पाया गया कि सिर्फ 6% गरीब महिलाओं ने ही सरकारी अस्पतालों में C-सेक्शन डिलीवरी कराई. बाकियों ने नॉर्मल डिलीवरी कराई. इसके अनुसार, गरीब 11%, मिडिल क्लास 18%, अमीर 21% और ज्यादा अमीर 25% ने सरकारी अस्पतालों में C-सेक्शन डिलीवरी कराई थी.

जागरूकता की कमी से गरीब कम करा रहे C-सेक्शन डिलीवरी

डॉक्टरों का कहना है कि फ्री में C-सेक्शन डिलीवरी की सुविधा होने के बाद भी गरीब परिवार इसे नहीं कराते. इसकी मुख्य वजह उनमें जागरूकता की कमी हो सकती है. इसके अलावा, गरीब महिलाएं समय पर उस सेंटर तक नहीं पहुंच पातीं  जहां C-सेक्शन डिलीवरी की सुविधा होती है. या फिर इनके पास इतना पर्याप्त पैसा या साधन नहीं होते कि यहां तक पहुंच सकें. यहां तक कि कई गरीब परिवारों को सरकारी योजना के बारे में बहुत कम पता होता है.

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रिसर्च में यह भी कहा गया है कि केरल, तमिलनाडु और आध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में 60% तक डिलीवरी C-सेक्शन से होती है. तो वहीं, बिहार, असम और छत्तीसगढ़ जैसे गरीब आबादी वाले राज्यों में C-सेक्शन डिलीवरी दर बेहद कम है.


रिसर्च में क्या निकला?

एक्सपर्ट का कहना है कि जहां कम C-सेक्शन डिलीवरी कराई गई, वह इस बात का संकेत है कि इस प्रोसेस की उन तक अभी पहुंच नहीं है. जिसका असर मां और नवजात शिशु पर पड़ता है. दूसरी ओर बिना मेडिकल सुविधा के C-सेक्शन डिलीवरी मां और बच्चे के हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है.

आईआईटी-मद्रास के रिसर्च ने पाया कि 2016 से 2021 तक पूरे भारत में C-सेक्शन डिलीवरी 17% से बढ़कर 21.5% हो गया है. तो वहीं, प्राइवेट सेक्टर में 2016 में  C-सेक्शन डिलवरी 43% था और 2021 में यह बढ़कर 50% तक पहुंच गया. इससे पता चलता है कि प्राइवेट सेक्टर में लगभग दो में से एक डिलीवरी C-सेक्शन होती है.

रिसर्च ने पाया कि शहरी क्षेत्रों में ज्यादा पढ़ी-लिखी महिलाओं में C-सेक्शन डिलीवरी करवाने की संभावना ज्यादा होती है. इससे पता चलता है जो ज्यादा समृद्ध हैं और जिन तक सुविधाओं की पहुंच ज्यादा है, वो C-सेक्शन डिलीवरी ज्यादा करवाते हैं.

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