Type 1 Diabetes: प्रियंका चोपड़ा के पति निक जोनस ने बताए टाइप 1 डायबिटीज के चार संकेत

Type 1 Diabetes: टाइप 1 डायबिटीज विश्व के 5 से 10 प्रतिशत लोगों में पाया जाता है. ज्यादातर इसके शिकार बच्चे होते हैं. अमेरिकन गायक निक जोनस को 13 साल की उम्र में टाइप 1 डायबिटीज था. उन्हें साल 2005 में इस बीमारी का पता लगा था. आइए जानते हैं कि टाइप 1 डायबिटीज क्या है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है.

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टाइप 1 डायबिटीज (PC: Getty images)-16:9 टाइप 1 डायबिटीज (PC: Getty images)-16:9

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

Type 1 Diabetes: अमेरिकन सिंगर और प्रियंका चोपड़ा के पति निक जोनस ने सोमवार को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में टाइप 1 डायबिटीज के बारे में बात की. निक जोनस को 13 साल की उम्र से ही टाइप 1 डायबिटीज है. उन्हें साल 2005 में इस बीमारी का पता लगा था.

निक जोनस ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों के बारे में बताया. जोनस ने बताया कि उन्हें बहुत ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा यूरिन आना, वजन कम और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण महसूस होते थे. उनके मुताबिक, इन लक्षणों को टाइप 1 डायबिटीज के सामान्य लक्षणों के रूप में देखा जा सकता है. 

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टाइप 1 डायबिटीज क्या होता है

डायबिटीज एक हार्मोनल कंडीशन है जिसमें रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है. डायबिटीज के 2 प्रकार हैं- टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज. टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी के कारण होता है, जो शरीर में इंसुलिन नहीं बनने देता है. ऑटोइम्यून बीमारी में इम्यून सिस्टम शरीर पर ही हमला करने लगता है. दुनिया के लगभग 5-10 प्रतिशत लोग टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं. 

मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल की डायबेटोलॉजिस्ट डॉ आरती उल्लाल के मुताबिक, टाइप 1 डायबिटीज इंसुलिन के ना बनने के कारण होता है. दरअसल, टाइप 1 डायबिटीज में शुरुआत से ही इलाज के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है.

टाइप 2 डायबिटीज इंसुलिन की कमी और इंसुलिन रेसिसटेंस की वजह से होती है. इंसुलिन रेसिस्टेंस का मतलब है जब शरीर में ग्लूकोज कोशिकाओं को अवशोषित करने और ऊर्जा के लिए ब्लड शुगर का उपयोग करने की क्षमता कम हो जाए. इसका इलाज पहले गोलियों से और बाद में इंसुलिन से किया जाता है. 

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द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, "साल 2021 में दुनिया के लगभग 8.4 मिलियन लोग टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित थे. यह संख्या साल 2040 तक बढ़कर 13.5 से 17.4 मिलियन हो जाने का अनुमान है. स्टडी के मुताबिक, यूएसए, भारत, ब्राजील, चीन, जर्मनी, यूके, रूस, कनाडा, सऊदी अरब और स्पेन विश्व में टाइप 1 डायबिटीज के 60 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.

टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण

टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण अक्सर जल्दी विकसित होते हैं. सीडीसी की वेबसाइट में कहा गया है कि, टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर बच्चों और युवाओं में ज्यादा होती है. अन्य लक्षणों में प्यास और ज्यादा यूरिन आना, शुगर बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं.

इसके अलावा वजन कम होना भी एक संकेत है. खून में ग्लूकोज होता है लेकिन यह इंसुलिन के बिना कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकता है. इंसुलिन की कमी होने पर प्रोटीन और फैट टूटने लगते हैं और उनसे मिली ऊर्जा से शरीर काम करता है. इस वजह से वजन घट जाता है.

बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण हैं: प्यास बढ़ जाना, ज्यादा यूरिन, थकान, चिड़चिड़ापन, ज्यादा भूख लगना आदि.

टाइप 1 डायबिटीज से दिक्कतें

1. दिल की समस्या

डायबिटीज से दिल की समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है. इससे सीने में दर्द, दिल का दौरा, स्ट्रोक, धमनियों का सिकुड़ना (एथेरोस्क्लेरोसिस) और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है. 

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2. किडनी डैमेज

किडनी में लाखों छोटी रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो गंदगी को खून में प्रवेश करने से रोकती हैं. डायबिटीज इस प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे किडनी खराब भी हो सकती है. टाइप 2 डायबिटीज में किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र इलाज है.

3. आंखें खराब होना

डायबिटीज रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है (आंख का वह हिस्सा जो लाइट को महसूस करता है) डायबिटीक रेटिनोपैथी कहलाता है. इससे अंधापन हो सकता है. डायबिटीज मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों के खतरे को भी बढ़ाता है.

4. स्किन की दिक्कत

डायबिटीज आपकी स्किन और मुंह में इन्फेक्शन बढ़ा सकता है. इनमें बैक्टीरिया और फंगल इन्फेक्शन शामिल हैं. 

टाइप 1 डायबिटीज में इन बातों का रखें ध्यान 

1. ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और बीपी का लगातार ध्यान रखना. 
2. डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन शॉट्स के साथ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना. 
3. तनाव कम करने के लिए आराम करना. 
4. व्यायाम ज्यादा से ज्यादा करना. 
5. हेल्दी खाना. 
6. किडनी डिजिज, आंखों में समस्या और हृदय संबंधी बीमारियों को लेकर डॉक्टर की सलाह लेना.
7. लगातार यूरिन टेस्ट, खून की जांच करवाना. 

टाइप 1 डायबिटीज में डाइट कैसी होनी चाहिए?

आपके भोजन के आधार पर आपका ब्लड शुगर लेवल घटता और बढ़ता है. इसीलिए, डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट्स का सेवन करें. इसके अलावा अपने डॉक्टर्स के साथ मिलकर अपने लिए सही डाइट प्लान करें. साथ ही इन बातों का ध्यान रखें-

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1. रोज़ाना 25-30 ग्राम फाइबर का सेवन करें.
2. कार्बोहाइड्रेट्स की सही मात्रा चुनें. अनहेल्दी कार्ब्स खाने से बचें.
3. अनहेल्दी फैट्स के सेवन से बचें.

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