'फोन फ्री फरवरी' चैलेंज लेने के लिए तैयार हैं? ये काम करके सुधार सकते हैं अपना डेली रुटीन

एक्सपर्ट का मानना है कि हमारा स्क्रीन टाइम जितना ज्यादा होगा, मोटापे की समस्या उतनी ही ज्यादा आएगी. साथ ही नींद की दिक्कत और मेंथल हेल्थ को लेकर भी परेशानी पैदा हो सकती है. डॉक्टरों के पास रोजाना आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है जो मेंथल हेल्थ को लेकर किसी न किसी तरह की चुनौती का सामना कर रहे हैं.

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स्क्रीन टाइम को कम करना क्यों है जरूरी (फोटो-AI) स्क्रीन टाइम को कम करना क्यों है जरूरी (फोटो-AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

आज के वक्त में फोन के बगैर रहना, कहीं कैद में रहने से कम नहीं है. हर कोई हर 30 मिनट पर अपना फोन चेक कर मैसेज नोटिफिकेशन देखता है या फिर किसी मैसेज का रिप्लाई करता है. मोबाइल फोन अब हमारी लाइव का अटूट हिस्सा बन चुका है जिसके बिना रहना किसी भी सूरत में आसान तो नहीं है. लेकिन अगर आप चाहते हैं तो कि फोन के बगैर भी कुछ समय बिताया जाए तो 'फोन फ्री फरवरी' चैंलेज आपके लिए है. इस चैलेंज का मकसद फोन को छोड़ना नहीं बल्कि आपके स्क्रीन टाइम को कम करना है. इसके जरिए आप न सिर्फ स्ट्रेस कम कर सकते हैं बल्कि अपना डेली रुटीन भी सुधार सकते हैं.

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फोन फ्री चैलेंज का क्या मकसद

वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक इस चैलेंज के को-फाउंडर जैकब वार्न ने कहा कि इस कैंपेन का मकसद लोगों के ओवरऑल स्मार्टफोन यूज को घटाना है जिसका फोकस है कि आप खुद से ये सवाल पूछें कि फोन की जरुरत आपको क्यों है. अमेरिका समेत कई देशों में फोन के बढ़ते इस्तेमाल को कम करने के लिए इस कैंपेन को चलाया गया है. अमेरिका के ज्यादातर लोग हमेशा ऑनलाइन रहते हैं और फोन समेत किसी न किसी डिवाइस का इस्तेमाल करके ही उनका दिन गुजरता है. 

एक्सपर्ट का मानना है कि हमारा स्क्रीन टाइम जितना ज्यादा होगा, मोटापे की समस्या उतनी ज्यादा आएगी. साथ ही नींद की दिक्कत और मेंथल हेल्थ को लेकर भी परेशानी पैदा हो सकती है. डॉक्टरों के पास रोजाना आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है जो मेंथल हेल्थ को लेकर किसी न किसी तरह की चुनौती का सामना कर रहे हैं. अच्छी बात ये है कि स्क्रीन टाइम से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट रिवर्सिबल हैं, यानी स्क्रीन टाइम कम करने पर उन दिक्कतों से उबरा जा सकता है. 

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रोज एक घंटे कम करें स्क्रीन टाइम

साइकलॉजिस्ट जेनिफर मारग्रेट का कहना है कि दिन में मोबाइल फोन का इस्तेमाल एक घंटे कम करके भी आप डिप्रेशन लेवल घटा सकते हैं. साथ ही इससे आपकी लाइफस्टाइल पर भी पॉजिटिव असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि स्क्रीन टाइम को घटाना मुश्किल जरूर है क्योंकि आजकल के डिवाइस आकर्षक तरीके से डिजायन किए जाते हैं. जेनिफर ने बताया कि जब भी हम फोन पर किसी को मैसेज करते है, स्क्रॉलिंग करते हैं या फिर गेम खेलते हैं, इस दौरान हमारा दिमाग डोपामाइन रिलीज करते हैं, जिससे हमें ऐसे करके अच्छा महसूस होता है. जब आप लंबे वक्त तक फोन इस्तेमाल करते रहेंगे तो इसी की लत लग जाती है. 

वह कहती हैं कि अगर आपको नहीं पता कि फोन का कितना ज्यादा इस्तेमाल आप कर रहे हैं तो सैंटिंग्स में जाकर रोजाना के हिसाब से अपना स्क्रीन टाइम सेट कर सकते हैं. इसी तरह अगर अपना स्क्रीन टाइम फरवरी में कम करना चाहते हैं तो कुछ टिप्स फॉलो कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले आपको फोन के गैर जरूरी नोटिफिकेशन को बंद करना होगा और ऐसे ऐप भी हटाने होंगे. इसके बाद ऑटो-प्ले वीडियो को बंद करके रखें और फोन का कलर फिल्टर ग्रेस्कैल पर रखें. साथ ही फोन की स्क्रीन पर एनिमेशन का कम से कम इस्तेमाल करें. 

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बॉडी में ऐसे बढ़ता है स्ट्रेस हार्मोन

कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में एमेरिटस प्रोफेसर लैरी रोसेन का कहना है कि फोन की स्क्रीन पर दिखने वाली ब्लू लाइट से बॉडी में कोर्टिसोल का प्रोडक्शन होता है जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहते हैं. इस हार्मोन का लेवन बढ़ने से एंग्जाइटी होती है, साथ ही अनिद्रा और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. ये हार्मोन लगातार बढ़ने से तनाव का स्तर भी बढ़ जाता है और यही हमें बार-बार फोन का इस्तेमाल करने के लिए ट्रिगर करता है क्योंकि हम इस सर्किल का हिस्सा बन चुके होते हैं. 

फॉलो करें स्क्रीन ब्रेक का फॉर्मूला

हमें स्क्रीन ब्रेक के फॉर्मूले पर काम करना चाहिए और फोन को हर 15 मिनट बाद एक दम से दूर कर देना चाहिए. इसके बाद फिर से एक मिनट के लिए फोन देख सकते हैं लेकिन नियमित अंतराग में स्क्रीन ब्रेक को फॉलो करके स्ट्रेस लेवल को कम किया जा सकता है. ध्यान रखने वाली बात ये है कि ब्रेक टाइम के दौरान हम फोन के नोटिफिकेशन या किसी मैसेज के बारे में न सोचें और दिमाग को फ्री रखें.

इसके बाद फोन फ्री डे को फॉलो कर सकते हैं. इसी को आगे बढ़ाते हुए हमें सप्ताह में एक दिन फोन छोड़ना की प्रैक्टिस करनी होगी ताकि हमारा दिमाग बाकी बचे दिनों में बेहतर ढंग से काम कर सके. इसी का अगला फेस फोन फ्री मंथ या फोन फ्री फरवरी हो सकता है जिसमें हम एक पूरे महीने तक अपने स्क्रीन टाइम को कम कर सकते हैं. 

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इसके साथ ही दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताकर भी हम अपने स्क्रीन टाइम को कम कर सकते हैं. बेहतर होगा उन्हें मैसेज या फोन पर बात करने की बजाय उनसे मुलाकात की जाए, ये आपके और आपके दोस्तों दोनों के लिए एक शानदार मौका साबित हो सकता है. इसके अलावा बागवानी, किताबें पढ़कर भी हम अपना स्ट्रेस लेवल कम कर सकते हैं. तो क्या आप फोन फ्री फरवरी चैलेंज को लेने के लिए तैयार हैं. 

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