अग्नाशय (पैनक्रियास) की कोशिकाएं जब अनियंत्रित तरीके से बढ़कर ट्यूमर बना देती हैं जो बाद में कैंसर का रूप ले लेता है. यह कोशिकाएं पूरे शरीर में फैल जाती हैं और इंसान की जान तक ले सकती हैं. अग्नाशय के कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं. हालांकि कुछ सामान्य लक्षणों में पेट-पीठ में दर्द, भूख की कमी या अचानक बिना किसी कारण के वजन कम होना, पीलिया, यूरीन का रंग गहरा होना, रक्त के थक्के जमना और थकान शामिल हैं. लेकिन इसका एक लक्षण त्वचा में खुजली भी है जो इस बीमारी के भयंकर रूप लेने पर दिखाई देता है.
अग्नाशय शरीर के बेहद जरूरी अंगों में एक है. आपके शरीर के स्वस्थ रहने के लिए इसका स्वस्थ रहना भी जरूरी है. पैनक्रिया पेट के पास स्थित एक अंग होता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है. यह ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने का भी काम करता है. अगर इसमें कोई भी परेशानी होती है तो आपके पूरे शरीर का सिस्टम खराब हो जाता है.
खुजली को कब गंभीरता से लेना चाहिए
पित्त में पाया जाना वाला बिलरुबिन नामक केमिकल पीलिया की वजह बनता है. जब लिवर बिलरुबिन को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता तो यह अनियंत्रित हो जाता है और इससे त्वचा और आंखों में पीलापन आने लगता है. पित्त नली ही पित्त को लिवर से छोटी आंत में ले जाती है. अग्न्याशय का ट्यूमर लिवर को पित्त में रिलीज करने से रोकता है इसलिए बिलरुबिन बढ़ने लगता है. पीलिया एक ऐसी बीमारी जो अग्नाशय के कैंसर वाले लोगों को प्रभावित कर सकती है और इस स्थिति में गंभीर खुजली होती है.
खुजली को अक्सर मामूली मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि यह अग्नाशय के कैंसर का सामान्य लक्षण नहीं है लेकिन अगर ज्यादा तेज और लंबे समय से खुजली हो रही है तो यह अग्नाशय कैंसर का संकेत हो सकती है जिसमें आगे चलकर रोगी की त्वचा के रंग में बदलाव भी होने लगता है.
चूंकि खुजली कैंसर जैसी घातक बीमारी का लक्षण हो सकती है इसलिए अगर किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक खुजली हो तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
अग्न्याशय में ट्यूमर का क्या कारण होता है?
वैज्ञानिक और शोधार्थी अग्नाशय के कैंसर के पीछे के मुख्य कारणों के बारे में निश्चित नहीं हैं लेकिन कुछ सामान्य कारक हैं जो अग्नाशय के कैंसर के रोगियों में देखे जाते हैं जैसे धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन, मोटापा या कमर के आसपास अधिक वजन होना, डायबिटीज खासतौर पर टाइप 2 जो मोटापे से संबंधित है.
क्या अग्नाशय के कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है?
शुरुआत में अग्नाशय का कैंसर साइलेंट होता है इसलिए इसका पता लगाना भी मुश्किल होता है. आमतौर पर इसका पता तब तक नहीं चलता जब तक ये गंभीर स्टेज में नहीं पहुंच जाता. अग्नाशय कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को बाद में एक-साथ कई समस्याएं हो सकती हैं. इनमें मेटाबॉलिज्म गिरने लगता, अग्नाशय की स्वस्थ कोशिकाएं भी ठीक से काम नहीं कर पातीं और ट्यूमर बाकी अंगों में फैलने लगता है.
अग्नाशय के कैंसर के इलाज के तरीके
इस बीमारी का शुरुआत में पता नहीं चलता लेकिन लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी जाती है. अग्नाशय के कैंसर का निदान करने के कई तरीके हैं:
अग्नाशय के कैंसर का इलाज उसके स्टेज के आधार पर किया जाता है. इसके इलाज में सबसे ज्यादा एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपेंक्रोग्राफी प्रक्रिया (ईआरसीपी) एंड कोलांगियोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसके बाद अधिक जांचों की जरूरत नहीं पड़ती. यह पारंपरिक एन्डोस्कोपिक रेट्रोग्रैड कोलैंगियोपैरेग्रोफी की तुलना में रोगियों को इलाज में लगने वाले समय को कम कर देता है.
अग्नाशय के कैंसर से कैसें बचें
अग्नाशय के कैंसर का कोई सटीक कारण नहीं है जिससे ये पता चल सके कि यह क्यों होता है. लेकिन कुछ चीजों को ध्यान में रखकर आप इसके जोखिम को कम कर सकते हैं. सबसे पहले लोगों को अपनी आहार की आदतों को सुधारना चाहिए. शरीर में होने वाली ज्यादार बीमारियों का संबंध गलत खानपान से होता है. आप इस पर ध्यान देकर कई बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं.
हर किसी व्यक्ति को अपनी डेली डाइट में ज्यादा से ज्यादा हरी-सब्जियां और रंग-बिरंगे फल शामिल करने चाहिए. साथ ही प्रोसेस्ड, तेल और शक्कर वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. नियमित रूप से कसरत कर आप अपने वजन को काबू में रख सकते हैं और कई बीमारियों को टाल सकते हैं. भले ही आप थोड़ी देर वॉक क्यों ना करें लेकिन इसे अपनी रूटीन में शामिल करें. धूम्रपान या अत्यधिक शराब के सेवन से भी बचना चाहिए.
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