आंखों के नीचे झलकने लगी हैं झुर्रियां तो तुरंत अपनाएं ये टिप्स, टाइट होने लगेगी स्किन

जब भी बुढ़ापे की शुरुआत होती है, सबसे पहले आंखों के नीचे झुर्रियां और फाइन लाइंस दिखना शुरू होता है. लेकिन कई बार उम्र से पहले ही कुछ लोगों की आंखों के नीचे की स्किन ढीली होने लगती है और उनके चेहरे पर झुर्रियां और फाइन लाइंस नजर आने लगती हैं. अगर आप इन झुर्रियों और फाइन लाइंस को कम करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपनी डाइट में विटामिन्स, मिनरल्स और हेल्दी फैट्स से भरपूर फूड्स शामिल करने चाहिए.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

जब भी बुढ़ापे की शुरुआत होती है, सबसे पहले आंखों के नीचे झुर्रियां और फाइन लाइंस दिखना शुरू होता है. लेकिन कई बार उम्र से पहले ही कुछ लोगों की आंखों के नीचे की स्किन ढीली होने लगती है और उनके चेहरे पर झुर्रियां और फाइन लाइंस नजर आने लगती हैं. अगर आप इन झुर्रियों और फाइन लाइंस को कम करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपनी डाइट में विटामिन्स, मिनरल्स और हेल्दी फैट्स से भरपूर फूड्स शामिल करने चाहिए.

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इसके अलावा त्वचा देखभाल, धूप से बचाव और लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना होगा. नियमित रूप से एक्सफोलिएशन, हल्की मालिश और रेटिनॉल या पेप्टाइड्स युक्त उत्पाद भी त्वचा की बनावट को बेहतर बनाने और रेखाओं की उपस्थिति को कम करने में मदद कर सकते हैं. धूप के चश्मे और सनस्क्रीन के साथ अपनी आंखों को धूप से बचाना भी जरूरी है.

एक्सफोलिएशन:
एक्सफोलिएशन चेहरे के लिए जरूरी है. इससे फेस साफ और चमकदार रहता है. लाइट एक्सफोलिएशन डेड स्किन सेल्स को हटाने में मदद करता है जिससे त्वचा चमकदार और अधिक समान दिखती है.

मॉइस्चराइजेशन:
आंखों के नीचे के एरिया की स्किन काफी पतली होती है और यहां रूखापन बहुत जल्दी होता है इसलिए लगातार मॉइस्चराइजिंग जरूरी है.

आई क्रीम:
झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करने के लिए रेटिनॉल, पेप्टाइड्स या हाइलूरोनिक एसिड जैसे तत्वों वाली आई क्रीम का यूज करें. यह आपके चेहरे और आंखों के नीचे के एरिया को जवान और सुंदर रखेगी. 

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धूप से सुरक्षा:
धूप का चश्मा पहनें इससे आपकी आंखों को हानिकारक यूवी किरणों से बचाने में मदद मिलेगी जो समय से पहले बुढ़ापा और झुर्रियों में योगदान कर सकती हैं.

सनस्क्रीन:

यह ना सोचे कि आप धूप में नहीं है तो फिर आपको सनस्क्रीन की जरूरत नहीं है. रोजाना सन्स्कीन लगाएं और हर 4 से 5 घंटे में रिपीट करें. यह आपको प्रीमैच्योर एजिंग के लक्षणों से बचने में मदद करेगी.

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