दुनिया में जब भी कोई बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहले उसकी पहचान लड़का या लड़की के तौर पर की जाती है. इसके बाद लोग उसकी शक्ल-सूरत को उसके मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी और परिवार के बाकी लोगों से मिलाना शुरू कर देते हैं. बच्चा किसकी तरह दिखता है, उसकी नाक, माथा या आंखे किस पर गईं हैं, इस पर कभी ना खत्म होने वाली बहस शुरू हो जाती है. यहां तक कि बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसे हर एक मौके पर इस तरह के सवाल-जवाब का सामना करना पड़ता है. दरअसल यहां 'जितने मुंह उतनी बातें' वाली कहावत सिद्ध होती है. हालांकि लोग जो चाहें बोले लेकिन साइंस का कहना है कि जेनेटिक तौर पर बच्चे मां से ज्यादा अपने पिता पर जाते हैं.
क्या कहती है जेनेटिक्स
हम सभी अपने माता-पिता के मिश्रण हैं. हमारा डीएनए 50 फीसदी मां और बाकी 50 फीसदी पिता से बनता है. लेकिन एक कई मामलों में ये रेशियो समान नहीं होता. वास्तव में कई प्रजातियों में संतान को ज्यादातर जीन्स उसके पिता से मिलते हैं जो गर्भ में बच्चे के विकास के दौरान मां के जीन्स को पीछे छोड़ देते हैं. ये एपिजेनेटिक्स की वजह से होता है जो एक तरह से आपका डीएनए तय करता है. ये आपके पिता के शुक्राणु को बदल सकता है जिससे आपकी शख्तियत प्रभावित होती है.
वैज्ञानिकों ने किया ये दावा
साल 2015 में साइंस जर्नल 'नेचर जेनेटिक्स' में छपी एक स्टडी के मुताबिक, चूहों पर रिसर्च के दौरान उनमें हजारों अलग-अलग जीन्स एक्प्रेशन (जीन्स एक्प्रेशन वह प्रक्रिया है जिसमें एक कोशिका आरएनए और प्रोटीन बनने का काम करती है) देखने को मिले थे जो उसे अपनी मां या पिता से मिले होंगे. सामान्य तौर पर संतान में अपने माता-पिता के आधे-आधे जीन्स होते हैं लेकिन इस केस में मां के जीन्स के मुकाबले पिता के 60 फीसदी जीन्स उसकी संतान में पाए गए.
ये एपिजेनेटिक फैक्टर आपके जीवन के अलग-अलग चरणों में आपके जीन्स तय कर सकते हैं और ये केवल यहां तक सीमित नहीं है कि आपकी आंखों का रंग आपके पिता जैसा है या आपके हाव-भाव पिता की तरह हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि डिफरेंशियल एक्सप्रेशन आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बदल सकता है. अगर मां किसी बीमारी से पीड़ित रही है तो आपको वो बीमारी हो सकती है लेकिन अगर आपके पिता को कोई बीमारी है तो आपको वो बीमारी होने की संभावना काफी अधिक है. इसका सीधा मतलब है कि आपके अंदर आपके पिता के जीन्स अधिक हैं.
क्यों बच्चे होते हैं अपने पिता की तरह
एपिजेनेटिक्स की वजह से संतान की शख्सियत में उसके पिता के जीन्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हालांकि ऐसा क्यों होता है, इसकी वजह साफ नहीं है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये स्थिति मां की कोख में ही बन जाती है और पिता के जीन्स मां की तुलना में संतान पर हावी होने लगते हैं.
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में क्या पाया
अमेरिका की यूटाह यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एडवर्ड चुओंग ने बताया, 'भ्रूण को कुछ मायनों में परजीवी की तरह देखा जा सकता है. उसमें मां के आधे जीन्स ट्रांसफर होते हैं जो मां के अंदर होते हैं लेकिन संतान में आधे जीन्स पिता से आते हैं जो मां के लिए बिलकुल अलग होते हैं जिनसे उसका शरीर बिलकुल अपरिचित होता है. यही वजह है कि जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और उन्हें सीरियस फ्लू और बाकी बीमारियों का खतरा होता है.'
एडवर्ड के मुताबिक, कई बार शरीर और मानसिक विकास को बढ़ावा देने वाले मां के जीन्स अपनी भूमिका नहीं निभाते वो केवल पिता के जीन्स के जवाब में विकसित होते हैं. यहां मां और पिता के जीन्स एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं. हालांकि आखिर तक दोनों अपनी-अपनी भूमिका में आ जाते हैं.
पिता के जीन्स पर पहले भी हुई हैं ढेरों रिसर्स
इससे पहले कई वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में पाया है कि पिता के जीन अधिक मजबूत होते हैं क्योंकि पुरुषों में ये इच्छी अधिक तीव्र होती है कि उनके बच्चे उनकी तरह दिखें. हालांकि हर स्टडी अपनी-अपनी दलील और सबूत पेश करती है. इससे पहले हुईं कई स्टीडीस में ये साबित हुआ है कि बच्चे अपनी मां पर अधिक जाते हैं. जीन्स की दुनिया कैसे काम करती है, इस पर अभी काफी रिसर्च होना बाकी है. लेकिन एक बात तय है कि मां की तरह ही पिता भी बच्चे के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं.
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