Earwax Tips: कान का मैल निकालने के ये तरीके हैं बेहद खतरनाक, हो सकते हैं बहरे! जानें क्या है सही उपाय

कान में पीले रंग का मोम जैसा पदार्थ जम जाता है जिसे हम ईयरबड्स की मदद से साफ करते हैं. इस पीले रंग के पदार्थ को आमतौर पर कान का मैल कहा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही मैल आपके कानों की सुरक्षा करता है और उसे धूल-मिट्टी, बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है. इसे बार-बार साफ करना सही नहीं है और इसकी सफाई के दौरान खास सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST

कान के अंदर पाए जाने वाले पीले रंग के पदार्थ को आम भाषा में कान का मैल कहा जाता है. कई लोग इसे गंदगी मानकर रोजाना कान की सफाई करते हैं. लेकिन यह मैल कान को हेल्दी रखने के लिए जरूरी होता है. वास्तव में आप जिसे मैल समझकर साफ करते हैं वो एक तरह का वैक्स होता है जो आपके कान के लिए सबसे जरूरी चीज है. इसे ईयरवैक्‍स (Earwax) कहते हैं. इसका मेडिकल शब्‍द सिरूमन है.

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कई बार लोग इस मैल को साफ करने के लिए हेयरपिन या माचिस की तीली जैसी नुकीली चीजों का भी इस्तेमाल करते हैं जो कान के लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं. डॉक्टर इस मैल को ईयरबड्स से भी साफ ना करने की सलाह देते हैं. 

कान साफ करने वाले लोगों से रहें दूर

हमारे आसपास कई ऐसे लोग घूमते हैं जो कुछ रुपये के बदले में आपके कान की पूरी तरह से सफाई करने का दावा करते हैं. वो कान के इस वैक्स को गंदगी बताते हैं और इससे आपको कई बीमारियां होने की बात कहकर इतना डरा देते हैं कि आप उनसे अपने कान साफ करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. ये लोग हर शहर और कस्बे में घूम-घूमते हैं. राजधानी दिल्ली की कई जगहों पर पिछले कुछ समय में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो 20 रुपये से लेकर 200 रुपये में आपके कान को पूरी तरह से साफ करने का वादा करते हैं.

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इतना ही नहीं ये अपने ग्राहकों को यकीन दिलाने के लिए उनके कानों से एक बार में मटर के दाने जितनी मैल की गांठे तक निकाल देते हैं. कान की सफाई के नाम पर ऐसा करने वाले लोगों और उनके झांसे में आने वाले लोगों को इस बात का अंदाजा तक नहीं है कि ऐसा करने से कानों पर बुरा असर पड़ सकता है या कान के पर्दे तक फट सकते हैं. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

यह कितना खतरनाक हो सकता है, इस बारे में दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के नाक, कान और गला (ENT) विशेषज्ञ डॉ. रवि मेहर कहते हैं कि राहत चलते किसी अनजान शख्स से कान का मैल साफ कराना बेहद खतरनाक हो सकता है. उनके पास ना अनुभव है और ना ही कोई हाई-टेक उपकरण. कान साफ कराने के चक्कर में आपके पर्दे में छेद भी हो सकता है.

डॉ. रवि ने कहा, ''अगर आपके कान में मैल बनता है तो सीधे किसी ENT सर्जन के पास जाएं. हर सरकारी अस्पताल में ENT स्पेशलिस्ट मौजूद हैं. वहां न के बराबर फीस चुकाकर आप उचित इलाज करा सकते हैं. अक्सर लोग ईयर बड्स से कान साफ करने की कोशिश करते हैं लेकिन उससे मैल बाहर नहीं निकलता बल्कि और अंदर चला जाता है. इसके इस्तेमाल से कान के कैनाल को भी नुकसान पहुंच सकता है.''

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डॉ. रवि ने आगे बताया, "एक बार कान की सफाई हो जाने पर कान में नया मेल तैयार होने में कम से कम 6 महीने से लेकर 3 साल तक का समय लग सकता है. मैल का वैक्स एक प्रोटेक्टिव फिनोमिना है जो हमारे कान में धूल-मिट्टी के कणों को जाने से रोकता है. जब हम किसी चीज को चबाते हैं तो यह स्वयं ही कान से बाहर की तरफ खिसकता रहता है इसलिए बार-बार कान की सफाई ना करें. अगर आपको लगता है कि आपके कान में मैल जैसा कुछ है तो किसी कान साफ करने वाले के चक्कर में पड़े बिना ENT विशेषज्ञ के पास जाएं."

क्या होता है ईयरवैक्स

कान में इसका जमना सामान्य बात है और इसका मतलब ये नहीं है कि आप गंदे हैं. यह कान के बाहरी हिस्से और ईयर कनाल की कोशिकाओं से निकले नेचुरल ऑयल से बनता है. ईयरवैक्स यानी मैल वास्तव में एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. ये कान की त्वचा को चोट से बचाता है. बैक्‍टीरिया, वायरस, फंगस और पानी से भी कान की सुरक्षा करता है. यह मैल ही आपके कान को साफ और स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है. 

आपके कान के लिए बेहद जरूरी है यह 'मैल'

- कान में बनने वाला यह वैक्स हमारे कान को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है.
- यह कान को धूल-मिट्टी के कणों और पानी से बचाता है.
- यह बैक्टीरिया और वायरस से कान की सुरक्षा करता है.
- यह वैक्स किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में मदद करता है.
- यह कान की नलिकाओं के ऊपर जमी परत को सूखने और उनमें दरार पड़ने से रोकता है.

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कान का मैल समस्या कब बनता है

ईयरवैक्स या कान का मैल कोई समस्या नहीं है. लेकिन अगर यह ज्यादा मात्रा में बनने लगे तो इससे कान में दर्द हो सकता है या फिर कुछ मामलों में सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. बाजार में ऐसी कई चीजें बिकती हैं जो यह वादा करती है कि इनके इस्तेमाल से कान का मैल साफ किया जा सकता है. इन पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है.

ईयरबड्स का इस्तेमाल हो सकता है खतरनाक

आमतौर पर कान को साफ करने के लिए ईयरबड्स जो पतली स्टिक पर लिपटे रुई के फाहे होते हैं, उनका इस्तेमाल करते हैं. यह कान की सफाई का गलत तरीका है. जह हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो हम इस वैक्स को कान के अंदर धकेल देते हैं. इसके बाद ये कान के उन हिस्सों से चिपक सकता है जो खुद की सफाई नहीं कर पाते हैं. ईयरवैक्स में कान के बाहर की तरफ से ऐसे बैक्टीरिया हो सकते हैं जो संक्रमण की वजह बन सकते हैं. ईयर बड के जरिए कान के ऊपर-ऊपर से थोड़ा बहुत वैक्स निकाला जा सकता है लेकिन कभी भी इसे कान के बिल्कुल अंदर नहीं डालना चाहिए. 

रुई के फाहों से कान का मैल साफ करने से अक्सर कान की अंदरूनी त्वचा में जलन पैदा हो सकती है जिससे बार-बार आपका उस जगह को छूने का मन करता है. बार-बार ऐसा करने से आपके कानों को नुकसान पहुंचता है.

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अगर ये ईयरबड्स ज्यादा गहराई तक पहुंच जाएं तो इससे कान का पर्दा फट सकता है. इससे आपको अचानक तेज दर्द भी हो सकता है, खून निकल सकता है और अस्थाई तौर पर आपकी सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.

ईयर ड्रॉप्स

बहुत से लोग ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल कान साफ करने के लिए पहले विकल्प के तौर पर करते हैं. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि  ईयर ड्रॉप कान का मैल साफ करने का सबसे सुरक्षित तरीका है. यह लिक्विड सॉल्यूशन होता है और जो कान के मैल को पतला और मुलायम कर देता है जिससे यह खुद ही बाहर निकलने लगता है. है. ये कहीं भी मेडकल स्टोर से आसानी से मिल जाते हैं. आप इसे खरीदने से पहले डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं. आमतौर पर ईयर ड्रॉप्स तुरंत काम करते हैं लेकिन अगर मैल बहुत ज्यादा और जिद्दी हो तो इनका इसका इस्तेमाल कई बार करना पड़ सकता है. 

ये ईयर ड्रॉप्स हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम बाइकार्बोनेट और सोडियम क्लोराइड जैसी चीजों से मिलकर बनाए जाते हैं. ये पूरी तरह सुरक्षित होते हैं लेकिन संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में इसके इस्तेमाल से जलन की समस्या हो सकती है. कई लोग मैल को साफ करने के लिए कान में तेल भी डालते हैं. रोजाना ऐसा करना कान के लिए ठीक नहीं है. तेल से बेहतर है कि आप ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें.

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पानी से सफाई

ईयरवैक्स की ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर कई बार पानी से कान की सफाई की सलाह देते हैं. इस प्रक्रिया को सिरिंजिंग कहा जाता है जिसमें कान का मैल साफ करने के लिए एक सिरिंज के जरिए कर्ण नलिकाओं पर पानी की फुहारें डाली जाती हैं. इससे वैक्स तो साफ हो जाता है लेकिन इससे कान के त्वचा पर काफी दबाव पड़ता है और मरीज को दर्द भी हो सकता है.

माइक्रोसक्शन

ईयरवैक्स से परेशान मरीजों को माइक्रोसक्शन की भी सलाह दी जाती है. इसमें पहले एक माइक्रोस्कोप की मदद से आपके ईयर कैनाल की जांच की जाती है और फिर ईयरवैक्स को बाहर निकालने के लिए एक छोटा सा औजार जिसे 'हूवर' कहा जाता है, उससे वैक्स को खींच लिया जाता है. ये तरीका काफी सुरक्षित माना जाता है.

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