बेटा पैदा करने के लिए अजीबोगरीब फॉर्मूला देने वाले कीर्तनकार के खिलाफ केस, बढ़ीं मुश्किलें

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठी कीर्तनकार (उपदेशक) निवरुत्ति काशीनाथ देशमुख के खिलाफ दर्द केस को खारिज करने से इनकार कर दिया है. निवरुत्ति इंदुरीकर नाम से मशहूर कीर्तनकार ने एक प्रवचन के दौरान लोगों को बेटा पैदा करने के लिए सम-विषम तारीखों पर संबंध बनाने की सलाह दी थी.

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इंदुरिकर महाराज (Credit: Social Media) इंदुरिकर महाराज (Credit: Social Media)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

मराठी कीर्तनकार (उपदेशक) काशीनाथ देशमुख इंदुरीकर के खिलाफ केस को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया है. काशीनाथ इंदुरीकर के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि गर्भ धारण करने और नर भ्रूण की पहचान करने की तकनीकों पर धार्मिक प्रवचन देना पहली नजर में लिंग- निर्धारण PCPNDT(प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स) एक्ट के तहत एक अपराध है. देशमुख ने कथित तौर पर लड़के की इच्छा रखने वाले दंपति को सम तारीखों पर सेक्स करने के लिए कहा था.

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बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए मराठी कीर्तनकार निवृत्ति काशीनाथ देशमुख इंदौरीकर के खिलाफ दर्ज केस को खारिज करने से इनकार कर दिया कि गर्भधारण करने और बच्चे का लिंग तय करने के लिए धार्मिक प्रवचन देना कानूनन अपराध है.

क्या है मामला?
वर्ष 2020 में अहमदनगर में एक प्रवचन के दौरान गर्भ में आने वाले बच्चे के लिंग की पहचान करने का तरीका बताया था. उन्होंने कहा था कि सम (ईवन) संख्या वाली तारीख पर संबंध बनाने से लड़के का जन्म होता है जबकि विषम (ऑड) संख्या वाली तारीख पर संबंध बनाने से लड़की पैदा होती है. उन्होंने इसके पीछे तर्क भी दिया था कि छह महीने के बाद यदि गर्भ में भ्रूण दाईं ओर मुड़ता है तो वह लड़का होता है और यदि बाईं ओर मुड़ता है तो वह लड़की होती है. देशमुख ने कथित तौर पर धार्मिक पुस्तकों के साथ-साथ आयुर्वेद की पुस्तकों के कुछ अंशों का हवाला दिया. यह भाषण यूट्यूब पर भी अपलोड किया गया था.

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इस प्रवचन के लिए पर अंधविश्वास विरोधी संगठन ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ने कीर्तनकार के खिलाफ संगमनेर सेशन कोर्ट में शिकायत की. इसमें कहा गया कि इस तरह की सलाह देने से लोगों में अंधविश्वास फैलता है. इसलिए सलाह देने वाले को सजा मिलनी चाहिए.

शिकायत के साथ ही अहमदनगर जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर माधवराव भावर की रिपोर्ट भी लगाई जिसमें कहा गया था कि मेडिकल साइंस कीर्तनकार देशमुख की सलाह की पुष्टि नहीं करता.

याचिका में कीर्तनकार के खिलाफ PCPNDT (प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स) एक्ट 1994 के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई. तीन जुलाई 2020 को केस दर्ज कर लिया गया.

सेशन कोर्ट ने केस खारिज कर दिया था
सेशन कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई थी लेकिन कोर्ट ने केस खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि कीर्तनकार देशमुख ने लैबोरेटरी या लिंग जांच केंद्र का कहीं जिक्र नहीं किया इसलिए उनके खिलाफ PCPNDT एक्ट में केस नहीं बनता. इसके बाद इस फैसले के खिलाफ समिति ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

HC ने कहा, लिंग तय करने की सलाह देना अपराध 

वहीं, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि देशमुख के प्रवचन में दी गई सलाह ऐसी है जैसे कोई विज्ञापन एजेंसी भ्रूण लिंग की पहचान करने का तरीका बता रही हो. विज्ञापन या प्रचार शब्द केवल डायग्नोस्टिक सेंटर या क्लिनिक तक सीमित नहीं किए जा सकते. बल्कि ऐसे प्रवचन जो भ्रूण लिंग की जानकारी देते हैं, वह भी इसमें शामिल हैं. इसलिए कीर्तनकार देशमुख के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए. कीर्तनकार के वकील ने आयुर्वेद की कई पुस्तकों का हवाला दिया था लेकिन कोर्ट ने उनकी सभी दलीलें खारिज कर दीं थी.

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कौन हैं काशीनाथ देशमुख इंदुरीकर

51 वर्षीय काशीनाथ देशमुख खुद को एक सामाजिक शिक्षक बताते हैं. वो महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक छोटे से गांव  इंदुरी से आते हैं इसलिए उनके नाम में इंदुरिकर भी जुड़ा हुआ है. उन्होंने बीएड की पढ़ाई की है. इंदुरिकर अपनी मजाकिया शैली में प्रवचन देने के लिए मशहूर हैं. 

स्थानीय लोगों में काफी मशहूर हैं इंदुरिकर

उन्हें जानने वाले कहते हैं कि इंदुरिकर महाराज गांववालों की नब्ज समझते हैं. वह ग्रामीणों से ऐसी भाषा में बात करते हैं जिससे वो उनसे खुद को जोड़ सकें. शुरुआती दिनों में उन्होंने जो कीर्तन किए, उसमें सामाजिक प्रथाओं, उसकी बुराइयों के बारे में बात की गई और उनका मजाक उड़ाया गया. हालांकि जैसे-जैसे उनके शो लोकप्रिय होने लगे और लोग उन्हें सुनने के लिए उमड़ने लगे, उनकी शैली और स्वर बदल गया. उनकी पगड़ी का रंग सफेद से नारंगी हो गया. हालांकि उन्होंने पहले की तरह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनना जारी रखा लेकिन दबे शब्दों में कहा जा रहा है कि बढ़ते राजनीतिक समर्थन और एक विशेष विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए इंदुरी महाराज हिंदुत्व ब्रिगेड के सबसे नए पोस्टर बॉय बन गए हैं.

शिक्षक रह चुके हैं इंदुरिकर 

बीएड तक शिक्षित इंदुरिकर महाराज ने एक स्कूल शिक्षक के रूप में भी काम किया है. उन्होंने 12 साल की उम्र से मराठी में कीर्तन करना शुरू कर दिया था लेकिन अपने पिता जो खुद भी एक कीर्तनकार थे, से यह कला सीखने के बाद वो उनकी तुलना में अधिक लोकप्रिय हो गए. उन्होंने दर्शकों से तुरंत जुड़ने के लिए हास्य शैली के साथ प्रासंगिक उदाहरणों का इस्तेमाल किया. 

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जब से इंदुरी महाराज पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर अन्य चीजों के साथ-साथ एक 'अच्छे हिंदू' बनने का प्रचार कर रहे हैं, उनके प्रशंसकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वह बीजेपी के करीब आ रहे हैं और उनके पार्टी में शामिल होने की लगातार चर्चा हो रही है. हाल ही में उनकी सास शशिकला पवार ने सरपंच पद पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं. बड़ी संख्या में निर्वाचित प्रतिनिधि भी उनके प्रशंसक हैं. सूत्रों के मुताबिक, राजनेताओं का समर्थन उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा है.उन्हें जानने वालों का कहना है कि इंदुरी महाराज को महंगे तोहफे मिलते रहे हैं और उनकी आय करोड़ों रुपये में है.

उनसे प्रेरित कई लोगों ने उनके नाम पर सोशल मीडिया पर कई फैन क्लब पेज बना रखे हैं जिन पर उनके कीर्तन अपलोड किए जाते हैं.

 

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