भारत में माइक्रोप्लाज्मा न्यूमोनिया के मिले 7 मरीज, जानिए माइक्रोप्लाज्मा न्यूमोनिया कितना खतरनाक

एम्स दिल्ली ने इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच एक स्टडी के दौरान माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों की जांच की है. हाल ही में चीन और कई अन्य यूरोपीय देशों में 'वॉकिंग निमोनिया' के मामलों में वृद्धि देखी गई है. लेकिन भारत में मिले निमोनिया के मामलों का चीन या बाकी देशों से कोई संबंध नहीं है.

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो) सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:34 PM IST

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल ने अप्रैल से सितंबर के बीच माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों का पता लगाया है. एम्स ने पीसीआर और आईडीएम एलिसा नामक दो परीक्षणों के जरिए माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात केस दर्ज किए हैं. हाल ही में चीन और कई अन्य यूरोपीय देशों में 'वॉकिंग निमोनिया' के मामलों में वृद्धि देखी गई है. लेकिन भारत में मिले निमोनिया के मामलों का चीन या बाकी देशों से कोई संबंध नहीं है.

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रिपोर्ट के अनुसार, भारत में माइकोप्लाज्मा निमोनिया का पता लगाने के लिए सर्वेलांस बढ़ाने की जरूरत है. एम्स दिल्ली ने इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों की जांच की है. लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक केस की जांच संक्रमण के शुरुआती चरण में किए गए पीसीआर टेस्ट जबकि बाकी छह मामलों का पता आईजीएम एलिसा परीक्षण के जरिए लगाया था. 

क्या है 'वॉकिंग निमोनिया'

'वॉकिंग निमोनिया' एक बोलचाल का शब्द है जिसका उपयोग निमोनिया के हल्के रूप को बताने के लिए किया जाता है. सामान्य निमोनिया के विपरीत वॉकिंग निमोनिया अक्सर जीवाणु माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण होता है.

चीन में इसके केस मिलने की वजह से चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि चार साल पहले दिसंबर 2019 में चीन से ही कोविड शुरू हुआ था जो दुनियाभर में फैल गया. 

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एम्स दिल्ली में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख और कंसोर्टियम की सदस्य डॉ रमा चौधरी ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया को 15-20% कम्युनिटी एक्वायर्ड निमोनिया का कारण माना जाता है. 

डॉ. चौधरी, जो वर्तमान में एनआईएमएस, जयपुर में डीन हैं, ने कहा, 'इस जीवाणु के कारण होने वाला निमोनिया आमतौर पर हल्का होता है इसलिए इसे 'वॉकिंग निमोनिया' भी कहा जाता है. लेकिन इसके गंभीर मामले भी सामने आ सकते हैं.'

एम्स दिल्ली माइकोप्लाज्मा निमोनिया के प्रसार की निगरानी करने वाले वैश्विक संघ का भी हिस्सा है.

माइकोप्लाज्मा निमोनिया संक्रमण सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और स्कूल जाने वाले बच्चों को अपनी चपेट में लेता है लेकिन यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर रहने और संक्रमण वाली जगह पर रहने या काम करने वाले लोगों को इसका खतरा ज्यादा है.

क्या हैं माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लक्षण

जिन बच्चों को माइकोप्लाज्मा निमोनिया संक्रमण होता है उनमें आमतौर पर कुछ बेहद सामान्य लक्षण जैसे गला खराब होना, थकान महसूस होना, बुखार, खांसी जो हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है और सिरदर्द शामिल हैं.

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