HIV के मरीज इन आयुर्वेदिक तरीकों से बढ़ा सकते हैं इम्युनिटी, मिलेगी राहत

एचआईवी और एड्स व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है जिससे शरीर में कई संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में छोटी सी चोट या बीमारी भी व्यक्ति को बहुत परेशान करती है. एचआईवी मरीजों में घाव भरने और बीमारी को ठीक होने में भी काफी समय लगता है. ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक तरीके अपनाकर एचआईवी मरीज अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं जिससे उन्हें इस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी.

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AIDS (PC: Getty Images) AIDS (PC: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

एड्स एक लाइलाज और जानलेवा बीमारी है. चार दशक बीत जाने के बाद भी अब तक इस बीमारी का इलाज नहीं मिल सका है. एड्स ह्यूमन इम्युनोडिफेशिएंसी वायरस (HIV) की वजह से होता है. ये ऐसा वायरस है जिसका समय पर इलाज ना होने पर आगे चलकर AIDS का रूप ले लेता है. इसका कोई ठोस इलाज नहीं है लेकिन शुरुआत में अगर HIV का पता लगा लिया जाए तो उसे एड्स में परिवर्तित होने से रोका जाता सकता है. समय पर और बेहतर इलाज मिलने पर एचआईवी पीड़ित भी बाकी लोगों की तरह ही खुशहाल जिंदगी जी सकता है.

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एड्स से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है. लेकिन आयुर्वेद में ऐसे कई इलाज हैं जिनकी मदद से एचआईवी पीड़ित मरीज अपनी इम्युनिटी को मजबूत कर सकते हैं और इस बीमारी से लड़ सकते हैं. 

एचआईवी और एड्स के लक्षण

नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के मुताबिक, एचआईवी से संक्रमित लोग फ्लू जैसी बीमारी का अनुभव करते हैं जो संक्रमण के दो से छह हफ्ते के अंदर दिखने शुरू हो जाते हैं. एचआईवी के कुछ लक्षणों में बुखार, गले में खराश, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं.  

एचआईवी और एड्स के लक्षणों को कम करने में असरदार है आयुर्वेद

आयुर्वेदिक चिकित्सक और विशेषज्ञ डॉ स्मिता नारम कहती हैं, ''आयुर्वेद इस बीमारी को ठीक नहीं कर सकता. लेकिन ये पीड़ित व्यक्ति की सेहत में सुधार कर सकता है. आयुर्वेदिक तरीकों की मदद से पीड़ित की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है जिससे उसे बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी.

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आयुर्वेदिक इलाज की पद्धतियां

एचआईवी से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों में दोषा पद्धति बहुत काम आती है. ये व्यक्ति को बीमारियों और दर्द से राहत दिलाती है. इसी तरह एक और पद्धति है जिसका नाम रस धातु है. ये पद्धति शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती और इम्यून सिस्टम को कमजोर होने से बचाती है.

एचआईवी से लड़ने के लिए कई चिकित्सक डिटॉक्स थेरेपी का भी उपयोग करते हैं. इसमें शरीर को साफ करने पर काम किया जाता है. एचआईवी मरीजों में पाचन में गड़बड़ी होने पर कई बार हानिकारिक टॉक्सिन पेट, लिवर, आंतों और शरीर के कई अंगों में जमा होने लगते हैं. इसलिए डिटॉक्स थेरेपी उन टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है.

एचआईवी मरीज रोज करें ये काम

हमारी सेहत से जुड़ी समस्याओं के कई छोटे-मोटे इलाज हमारे किचन में मौजूद होते हैं. डॉ नारम के अनुसार, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भी दवाओं के साथ अपने खानपान पर ध्यान रखना चाहिए और इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए रोजाना सुबह खाली पेट आठ से दस तुलसी के पत्ते चबाना काफी अच्छा हो सकता है क्योंकि इससे उनकी पाचन शक्ति बेहतर होगी. इसके अलावा खजूर, बादाम, अंजीर, खुबानी और सौंफ  का मिश्रण भी पाचन शक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है.

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