इलाहाबाद हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- आपकी समस्या विशिष्ट है

इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबे समय से लंबित आपराधिक अपील का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस संबंध में गाइडलाइन जारी करेगा.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST
  • आप मामले लंबित नहीं रख सकते, निकालना होगा समाधान- SC
  • कहा- हाईकोर्ट व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते

इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबे समय से लंबित आपराधिक अपील का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस संबंध में गाइडलाइन जारी करेगा. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि किन परिस्थितियों में अदालत को दोषियों को जमानत देने पर विचार करना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से अपने हलफनामे में दिए गए सुझाव बोझिल बताया है.

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यूपी में दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार के सुझाव में परोल पर यूपी जेल की स्थायी नीति में बदलाव भी शामिल है. हमारी चिंता न्यायिक व्यवस्था को लेकर है.

कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने आवश्यक सजा पूरी कर ली है, चाहे उन्हें छूट दी गई हो लेकिन यहां हम जिस चीज से चिंतित हैं वह यह है कि लोग कई साल से बिना जमानत के तड़प रहे हैं. अपील पर कई साल तक सुनवाई नहीं होती. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रशासन को फटकार भी लगाई और कहा कि प्रासंगिक समय पर, एक बेंच के समक्ष 15 से 20 नई अपील होती हैं. आप मामलों को लंबित नहीं रख सकते. बैकलॉग क्लियर करें फिर मुख्य मामले में सुनवाई करें.

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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सजा के निलंबन की याचिका लंबित न रखें. हाईकोर्ट व्यक्ति को अनिश्चित काल के लिए जेल में नहीं रख सकता. आपकी समस्या विशिष्ट है. कई अन्य हाईकोर्ट में ये कोई समस्या नहीं है. आपको एक सिस्टम तैयार करना होगा. यह एक विशिष्ट मुद्दा है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए आपको कोई समाधान निकालना होगा. क्या हमें डेटा मांगना चाहिए कि हर दिन कितनी अपीलें सुनी जाती हैं? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई 2021 को ये विचार किया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित अपीलों को न्यायालय की ओर से तय किए गए व्यापक मानकों पर परखा जाना चाहिए.

कोर्ट ने ये सुझाव भी दिया था कि अवधि, अपराध की जघन्यता, अभियुक्त की आयु, ट्रायल में लगने वाली अवधि और क्या अपीलकर्ता अपील पर लगन से मुकदमा लड़ रहे हैं? इन सबके आधार पर विचार किया जाए. अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वे सुझाव देते हुए नोट प्रस्तुत करेंगी जिसे उच्च न्यायालय की ओर से ही अपनाया जा सकता है. न्यायालय ने तत्काल 18 मामलों के लिए सुझाव भी मांगे थे.

 

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