अयोध्या फैसला....अकेले मुस्लिम जज, हिंदुओं के पक्ष में बोलने वाले जस्टिस नजीर रिटायर

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर का विदाई कार्यक्रम संपन्न हो गया है. विदाई कार्यक्रम में कई लोगों ने अपने विचार रखे, अब्दुल नजीर के किस्सों का जिक्र किया. सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने भी अपने विचार साझा किए.

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जस्टिस नजीर हुए रिटायर जस्टिस नजीर हुए रिटायर

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर का विदाई कार्यक्रम संपन्न हो गया है. विदाई कार्यक्रम में कई लोगों ने अपने विचार रखे, अब्दुल नजीर के किस्सों का जिक्र किया. इसी कड़ी में विदाई कार्यक्रम में बोलते हुए सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने कहा कि जब विवादास्पद अयोध्या भूमि विवाद का फैसला करने वाली संविधान पीठ के एकमात्र मुस्लिम न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट का सर्वसम्मत फैसला  सुनाने के लिए सहमत हुए तो उन्होंने वास्तव में न केवल देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया, बल्कि धर्मनिरपेक्षता और एक 'सच्चे भारतीय' के रूप में न्यायिक संस्था की सेवा करने की उनकी भावना भी ज़ाहिर की.

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सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने  कहा जस्टिस नज़ीर के लिए बड़ा क्षण मेरे विचार में आया जब वह अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे थे. वह सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र अल्पसंख्यक न्यायाधीश थे और इस तरह उन्हें इस बेंच का हिस्सा बनना पड़ा. सिंह ने कहा कि एक उम्मीद थी कि जस्टिस नज़ीर एक अलग निर्णय लिखेंगे, "सहमति या नहीं".
 
लेकिन वह इस देश में धर्मनिरपेक्षता के सच्चे अवतार हैं. उन्होंने निर्णय लिखने वाले का नाम लिए बिना न केवल सर्वसम्मत निर्णय देने पर सहमति व्यक्त की, बल्कि वह बहुमत के दृष्टिकोण से भी सहमत हुए.

जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस नज़ीर नवंबर 2019 में एक पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाया था. इस फैसले में अयोध्या में विवादित भूमि पर स्वामित्व सर्वसम्मति से देवता श्री राम विराजमान को दिया गया था और एक अलग मंदिर के निर्माण की अनुमति दी गई, जहां कभी बाबरी मस्जिद थी. दूसरी ओर, सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए एक अलग जगह में पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई थी.

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