आर्मी में 17 साल रहे पूर्व पैरा कमांडो को अनफिट बता CRPF ने कर दिया रिजेक्ट, SC पहुंचा मामला

आर्मी में 17 साल तक पैरा कमांडो रहे जवान को 'मेडिकल प्रॉब्लम्स' की वजह से CRPF ने रिजेक्ट कर दिया, जिसके बाद जवान ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. जवान का कहना है कि उसने 17 साल तक आर्मी में नौकरी की, लेकिन अब उसे मेडिकल अनफिट बताकर CRPF ने रिजेक्ट कर दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST
  • आर्मी में पैरा कमांडो थे ईश्वर सिंह
  • CRPF ने रिजेक्ट कर दिया
  • कोर्ट ने कहा- हम दखल नहीं दे सकते

आर्मी में 17 साल तक पैरा कमांडो (Para Commando) रहे ईश्वर सिंह को सीआरपीएफ (CRPF) ने मेडिकली अनफिट बताकर रिजेक्ट कर दिया है, जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए हैं. आर्मी से रिटायर होने के बाद उन्होंने CRPF में नौकरी के लिए आवेदन दिया था. 

कमांडो ऑपरेशन के दौरान ईश्वर सिंह बुरी तरह घायल हो गए थे, जिसके बाद उनके पैर में स्टील की प्लेट और स्क्रू इम्प्लांट किए गए थे. इसके बावजूद उन्होंने आर्मी (Army) में नौकरी की, लेकिन अब CRPF ने उन्हें इसी आधार पर मेडिकली अनफिट बताकर रिजेक्ट कर दिया है.

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ईश्वर सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया, इम्प्लांट से कोई मेडिकल प्रॉब्लम नहीं होती है. उन्होंने बताया कि उनके क्लाइंट 17 साल पैरा कमांडो रहे. कमांडो की ट्रेनिंग दे रहे हैं. क्या कोई दूसरा काम है जिसमें हायर मेडिकल फिटनेस की जरूरत है?

ईश्वर सिंह ने कोर्ट में बताया, 2002 में उनके पैर में स्टील प्लेट इम्प्लांट की गई थी. 2017 तक वो पैराट्रूपर रहे. संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति मिशन के तहत कांगो में भी रहे. लेकिन अब ये कह रहे हैं कि वो मेडिकल फिटनेस की वजह से पैरामिलिट्री पुलिस में शामिल नहीं हो सकते.

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इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा, आपने 2018 में आर्मी छोड़ दी. अब आपने CRPF के लिए अप्लाय किया. इसमें कोर्ट क्या कर सकती है? इस पर उनके वकील ने कहा कि एक रिव्यू बोर्ड हो, जिसमें ऑर्थोपेडिक (हड्डी रोग) डॉक्टर होना चाहिए. वो CAT में गए थे, जहां उनका आवेदन खारिज हो गया, क्योंकि उनका फिटनेस सर्टिफिकेट सिविलियन डॉक्टर ने दिया था.

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इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी सहानुभूति आपके साथ है, लेकिन क्या कोर्ट इसका मूल्यांकन कर सकती है? वहीं, जस्टिस शाह ने कहा कि जिस मेडिकल बोर्ड ने आपका मूल्यांकन किया था, उसमें 4 डॉक्टर हैं.

इस पर उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने ये नहीं कहा कि उनके साथ मेडिकली रूप से कुछ गलत हुआ है. लेकिन क्योंकि उनका इम्प्लांट हुआ है, इसलिए नियम के तहत उन्हें मेडिकली फिट नहीं माना जा सकता.

आखिरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी सहानुभूति आपके साथ है, लेकिन इस मामले में हमारा दखल देना सही नहीं होगा.

 

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