जिनकी पहचान ही शब्दों से होती है मौत उनके लिए मात्र एक शब्द ही होता है. क्योंकि ऐसे लोग अपने जीवन में हमेशा शब्दों से ही जाने जाते हैं. गोपाल दास नीरज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कविताएं, उनकी लेखनी से निकली महारचनाएं हमारे बीच मौजूद हैं. इन्हीं में से एक कविता है 'कारवां गुजर गया', जिसे आपके लिए पढ़ रहे हैं आजतक डिजिटल के संपादक पाणिनि आनंद.