महिला अधिकारी का सख्त एक्शन, लखनऊ से देर रात बांदा पहुंच रुकवाया अवैध खनन

खनिज निदेशक जैकब के कड़े तेवर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह जिला प्रशासन को बताए बगैर ही 24 जनवरी की रात स्पेशल टीम लेकर बांदा आ पहुंच गईं, और ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दीं.

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मीडिया से बात करतीं खनिज डायरेक्टर रोशन जैकब (फोटो-शिवेंद्र) मीडिया से बात करतीं खनिज डायरेक्टर रोशन जैकब (फोटो-शिवेंद्र)

शिवेंद्र श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के बांदा में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से नदियों में बड़े पैमाने पर हो रहे बालू के अवैध खनन पर खनिज निदेशक रोशन जैकब ने गोपनीय तौर पर लखनऊ से आकर बड़ी कार्रवाई की है. दो दिन की लगातार छानबीन में जिले के अलग अलग मार्गों से 183 ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई की गई है. उन्होंने करोड़ों की राजस्व रिकवरी और खनन माफियाओं के साथ खड़े दिख रहे जिला प्रशासन को भी कठघरे में खड़ा कर दिया.

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खनिज निदेशक रोशन जैकब ने केन नदी पर दो खदानों को सीज करने के साथ शेष अन्य की जांच के आदेश दिए हैं. यह वही दो खदानें हैं जिन पर 8-9 जनवरी की रात एएसपी एलबीके पाल और एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने छापा मारकर 100 के करीब ट्रक और 7 पोकलैंड मशीनों को जब्त किया था. हालांकि बाद में जिलाधिकारी के स्तर पर कड़ी कार्रवाई के बजाय मामले में लीपापोती कर दी गई थी. यह मामला 'आजतक' ने भी शासन स्तर पर उठाया था जिस पर शासन की नींद टूटी और खनिज निदेशक को कार्रवाई के लिए बांदा भेजा गया.

अपनी जांच में निदेशक ने खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह को भी दोषी मानते हुए भविष्य के लिए सचेत किया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्थानीय विधायक ब्रजेश प्रजापति ने मुम्बई से फोन पर बताया, 'खनिज डायरेक्टर को लखनऊ से बांदा आना पड़ा क्योंकि यहां के डीएम और खनिज अधिकारी इसमें सीधे सीधे लिप्त हैं और दोषी हैं. इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.'

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रात को स्पेशल टीम के साथ बांदा पहुंचीं जैकब

जैकब के कड़े तेवर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह जिला प्रशासन को बताए बगैर ही 24 जनवरी की रात स्पेशल टीम लेकर बांदा आ पहुंच गईं, और ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी. 'आजतक' से उन्होंने नदियों में हो रहे अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई के संकेत देते हुए बताया, 'ओवरलोड ट्रकों को पकड़ा गया है और अवैध खनन पर भी कार्रवाई की जाएगी.' अवैध खनन के मामलों में डीएम हीरालाल के लचर रवैये को नोटिस करते हुए उन्होंने भविष्य में ऐसे मामलों में गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए.

अगले ही सुबह डीएम को लिए बगैर जैकब पैलानी तहसील अंतर्गत साड़ी खादर जा पहुंचीं. जहां खंड 1 और 4 में नदी में भारी पोकलैंड मशीन से अवैध खनन के साक्ष्य उन्हें मिले. हालांकि स्थानीय लोगों की मिलीभगत से पोकलैंड मशीनों को वहां से पहले ही हटाया जा चुका था. नदी का पानी रोककर किए जा रहे खनन के सबूत भी उन्हें मौके पर मिल गए. मौके पर सीसीटीवी कैमरे नहीं थे. इसके बाद वह केन नदी की ही अमलोर खादर और पडोहरा खादर खदानों में भी गईं जहां उन्हें तमाम अनियमितताओं की आड़ में अवैध खनन के सबूत मिले. बारिश की वजह से नदी किनारे फिसलन भरे रास्तों और स्थानीय अधिकारियों की खनन माफियाओं से मिलीभगत के बावजूद जैकब की कार्रवाई जारी रही.

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खनिज निदेशक ने अपने आदेश में लिखा कि "साड़ी खादर की 46 हेक्टेयर और 13 हेक्टेयर क्षेत्र की दोनों सीज खदानों से अवैध बालू निकासी की 5 गुना कीमत वसूली जाएगी. ऐसा न होने तक खनन और परिवहन कार्य प्रतिबंधित रहेगा. अगर यह रकम जमा नहीं की जाती तो प्रतिभूति राशि को जब्त कर पट्टा निरस्त कर दिया जाएगा. शेष 15 खदानों का भी सर्वे तुरंत कराया जाए."

उन्होंने गोपनीय कार्रवाई में स्थानीय पपरेन्दा और खप्टिहा पुलिस चौकी इंचार्ज पर उनके साथ सहयोग न करने का दोषी मानते हुए एसपी को इन पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर नियंत्रण न रख पाने का दोषी मानते हुए खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह को चेतावनी दी गई है. 

गौरतलब है कि बांदा जिले की केन, यमुना और बागै नदी में प्रशासन के सहयोग से भारी भरकम पोकलैंड मशीनों का प्रयोग कर अवैध खनन अपने चरम पर था. केन नदी की दुरेड़ी, लहुरेटा, गंछा, साड़ी खादर, अमलोर, पडोहरा, निहालपुर, जरर और कोलावल खदानों समेत यमुना नदी की सादीमदनपुर और बागै नदी की महुटा और चन्दौर खदानों में जलधारा रोककर हो रहे अवैध खनन से लोगों में जमकर आक्रोश था.

असलहाधारी गुर्गों के संरक्षण में खेतों से जबरन निकलते ओवरलोड ट्रक किसानों की फसल बर्बाद कर रहे थे. इससे किसानों में रोष व्याप्त था। कार्रवाई के नाम पर जिला प्रशासन पूरी तरह से खनन माफियाओं के साथ खड़ा दिखता रहा. युवा एसपी ने कुछ कार्रवाइयां जरूर की लेकिन प्रशासनिक स्तर पर उसपर भी तमाम अड़ंगे लगाने के प्रयास खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए होते रहे. ऐसे में शासन को हस्तक्षेप करना पड़ा और यहां आकर खुद कार्रवाई करनी पड़ी.

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