योगी ही नहीं नंदी ने भी तोड़ा मिथक, जानें 6KD बंगले के 'अशुभ' से शुभ होने की कहानी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा मंत्री नंद गोपाल नंदी ने भी एक मिथक तोड़ा है. दरअसल, मंत्री बनने के बाद नंदी 6KD बंगले में रहते थे. मिथक था कि 6KD में रहने वाले का राजनीति करियर डूब जाता है, लेकिन नंदी ने मिथक तोड़ दिया है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नंद गोपाल नंदी (फाइल फोटो) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नंद गोपाल नंदी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 14 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
  • 6KD बंगले को लेकर थे कई मिथक
  • चुनाव जीतकर नंदी ने तोड़े दिए सारे

प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर दोबारा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता में लाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इतिहास बनाने के साथ ही कई मिथक तोड़ दिए हैं. नोएडा जाने से लेकर लगातार दो बार सत्ता में वापसी का मिथक तो सीएम योगी ने तोड़ा ही, लेकिन उनके एक मंत्री ने 'अशुभ' बंगले का भी मिथक तोड़ दिया है.

हम बात कर रहे हैं नंद गोपाल नंदी की. 2017 में मंत्री बनने के बाद नंद गोपाल नंदी को मुख्यमंत्री आवास यानी 5 कालीदास मार्ग (5KD) के बगल का बंगला 6 कालीदास मार्ग (6KD) अलॉट किया गया था. इस बंगले को लेकर मिथक था कि यहां जो जाता है, वह मुश्किलों से घिर जाता है लेकिन नंदी ने यह मिथक तोड़ दिया है.

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फिर जीते नंदी, पत्नी भी बनी थीं मेयर

2017 में जब मंत्री नंद गोपाल नंदी को यह बंगला अलॉट किया गया तो इसको लेकर कई चर्चाएं थीं. नंदी ने विधिवत पूजा के बाद बंगले में रहना शुरू किया. अशुभ माना जाने वाला यह बंगला सबसे पहले उनकी पत्नी अभिलाषा गुप्ता के लिए शुभ साबित हुआ, वह प्रयागराज की दोबारा मेयर बनीं. इसके बाद 2022 के चुनाव में नंद गोपाल नंदी फिर से चुनाव जीते.

क्यों अशुभ माना जाता था 6KD

इसकी शुरुआत होती है नीरा यादव से. मुलायम सरकार के दौरान मुख्य सचिव रही नीरा यादव इसी बंगले में रहती थीं. वे नोएडा प्लॉट घोटाले में फंसी और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. 6KD में पूर्व सांसद अमर सिंह भी रहे. जब वह बंगले में रह रहे थे, तभी उनकी राजनीति मंझधार में फंस गई थी और मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सपा से निकाल दिया था.

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इसके अलावा 6KD में आईएएस प्रदीप शुक्ला भी रहे थे. वह प्रमुख सचिव, सामाजिक कल्याण के तौर पर यहां आए थे. उसके बाद एनएचआरएम घोटाले में फंसे. मायावती सरकार में ताकतवर मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का आवास भी यही था. उनके पास कई विभाग थे. मायावती सरकार के दौरान ही बाबू सिंह कुशवाहा एनएचआरएम घोटाले में फंसे.

6KD से निकल जेल गए थे बाबू सिंह कुशवाहा

बाबू सिंह कुशवाहा सीएमओ मर्डर केस के साथ-साथ एनआरएचएम घोटाले में फंसते गए और फिर लैकफेड घोटाले में भी उनका नाम आया. बाबू सिंह कुशवाहा 6KD से निकले तो जेल पहुंचे. 2012 में मायावती सरकार जाने के बाद सपा सरकार आई और तत्कालीन श्रम मंत्री वकार अहमद शाह ने इस बंगले में रहने का रिस्क उठाया.

वकार अहमद शाह की अचानक बिगड़ी थी तबीयत

हालांकि वकार अहम शाह एक साल से ज्यादा इस बंगले में नहीं रह पाए. अचानक से उनकी तबीयत खराब हुई और कई महीनों तक इलाज चलता रहा. आखिर में उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद घरवालों ने यह बंगला खाली कर दिया. इसके बाद कई महीनों तक यह बंगला खाली ही रहा. इसके बाद इस बंगले को जावेद आब्दी को आवंटित किया गया.

जावेद आब्दी किए गए थे बर्खास्त

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जावेद आब्दी की गिनती तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों में होती थी. वह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष (राज्य मंत्री का दर्जा) थे लेकिन अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के मामले में जावेद आब्दी को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद से चर्चा होने लगी थी कि 6KD में रहने वालों का राजनीतिक करियर किसी न किसी वजह से डूब गया.

नंदी के लिए शुभ साबित हुआ बंगला

2017 में इस बंगले को मंत्री नंदगोपाल नंदी को आवंटित किया गया. 5 साल में उन्होंने 6KD के मिथक को तोड़ा और बंगाल शुभ साबित हुआ. प्रयागराज के शहर दक्षिण विधानसभा सीट से फिर जीतकर मंत्री बने. उनकी पत्नी इसी बंगले में रहते हुए दोबारा प्रयागराज की मेयर बनीं. सीएम योगी के साथ ही नंदी ने भी एक मिथक तोड़ दिया है.

 

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