वो घड़ियां आ गईं जिनका राम भक्तों को वर्षों से इंतजार था. अयोध्या में भूमि पूजन से पहले 3 दिन का पूजन अनुष्ठान सोमवार से शुरू हो गया. हिंदू धर्म के किसी भी शुभ कार्य से पहले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की सदैव परंपरा रही है. इसलिए राम जन्मभूमि में पूरे विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पांच ब्राह्मणों ने सबसे पहले गणेश पूजन किया. फिर भगवान राम की कुलदेवी बड़ी देवकाली और माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली की पूजा की गई. इन देवियों के साथ राम जन्मभूमि परिसर में नौ शिलाओं का भी पूजन किया गया.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि 5 अगस्त को संतों समेत भूमि पूजन कार्यक्रम में 175 लोग शामिल होंगे. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और ‘अयोध्या के राजा’ विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने सोमवार को 7 ब्राह्मणों के साथ पूजन शुरू कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
बड़ी देवकाली और छोटी देवकाली का महत्व
भगवान राम की कुलदेवी बड़ी देवकाली को कहा जाता है. बेनीगंज में बड़ी देवकाली का मंदिर है. मान्यता के मुताबिक, सूर्यवंशी राजा सुदर्शन की ओर से इसे द्वापर युग में स्थापित किया गया. भगवान राम के जीवन के संदर्भ में इस पूजा का बड़ा महत्व है. भगवान राम के पिता राजा दशरथ के समय से ही हर शुभ कार्य से पहले उनका पूजा होती रही है. इसलिए आज भी गणेश स्तुति के तुरंत बाद पहले उनका पूजन अनुष्ठान किया गया. तरह-तरह के पुष्पों और मंत्रों से मां देवकाली का आह्वान किया गया.
इसके बाद माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली की पूजा की गई. छोटी देवकाली के बारे में मान्यता है कि सीता विवाह के बाद जनकपुर से अयोध्या आईं तो अपनी कुलदेवी की पूजित प्रतिमा भी साथ लेकर आई थीं. अयोध्या में स्थित छोटी देवकाली मंदिर सप्त सागर में स्थित है. माना जाता है कि सीता ने ही हर दिन कुलदेवी की पूजा आराधना के लिए छोटी देवकाली की प्रतिमा को इस जगह स्थापित किया था.
सुबह 9.30 बजे शुरू हुआ पूजन
गणेश पूजन सुबह 9:30 बजे शुरू हुआ. सोमवार को करीब 2 घंटे तक पूजन अनुष्ठान चला. इस दौरान पहले स्थल को गंगाजल और अग्नि प्रज्ज्वलित कर शुद्ध भी किया गया. पूजन अनुष्ठान करा रहे ब्राह्मण विधि विधान में पूरी तरह धर्म प्रशिक्षित हैं. 5 अगस्त तक पूजा से जुड़े अनुष्ठान को 21 ब्राह्मण संपन्न कराएंगे. अलग-अलग समय पर अलग-अलग ब्राह्मणों की टीम अनुष्ठान से जुड़ी प्रक्रियाएं पूरी कराएंगी. पूरे अनुष्ठान कार्यक्रम के लिए अयोध्या, काशी, प्रयाग, दिल्ली के विद्वानों को बुलाया गया है.
मंगलवार को होगी राम अर्चना
ट्रस्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक किसी भी वैदिक कर्मकांड को पूरे विधि-विधान से किया जाए तो उसमें समय लगता है. इसीलिए 5 अगस्त के भूमि पूजन कार्यक्रम से तीन दिन पहले ही अनुष्ठान से जुड़ी प्रक्रियाएं शुरू कर दी गईं.
सोमवार को गणेश पूजन, बड़ी देवकाली और छोटी देवकाली की अर्चना के बाद मंगलवार 4 अगस्त को राम अर्चना की जाएगी. इस दौरान भगवान राम की वंदना कर इन पावन घड़ियों में उनके आने की कामना की जाएगी. मंगलवार को ही हनुमानगढ़ी में भी पूजा होगी जो सुबह आठ बजे शुरू होगी. हनुमान जी को मौजूदा अयोध्या का अधिष्ठता माना जाता है.
राम जन्मभूमि में भी राम अर्चना होगी और उसके बाद अन्य सभी अनुष्ठान किए जाएंगे. भूमि पूजन से पहले भगवान राम की स्तुति कर उन्हें आह्वान किया जाएगा. उनसे भूमि पूजन के लिए उस जमीन को अपने आशीर्वाद से शुद्ध करने की विनती भी की जाएगी. राम जन्मभूमि के मुख्य परिसर के अलावा अयोध्या की गली-गली मे स्थित मंदिरों में भी इसी तरह पूजा पाठ कर भूमि पूजन कार्यक्रम की सफलता के लिए कामनाएं की जाएंगी.
5 अगस्त को क्या होगा?
5 अगस्त को भूमि पूजन के कार्यक्रम में 9 ब्राह्मण प्रत्यक्षत: पूजन कराएंगे. हालांकि इस अवसर पर अनुष्ठान से जुड़े सभी 21 ब्राह्मण साक्षी रहेंगे. भूमि पूजन के दौरान संकल्प भी लिया जाएगा. संकल्प में स्पष्ट किया जाता है कि पूजा किस उद्देश्य से की जा रही है. 5 अगस्त के कार्यक्रम के लिए श्री राम जन्मभूमि के आमंत्रण पत्र में दोपहर साढ़े 12 बजे का समय दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पूरा कार्यक्रम 40 मिनट तक चलने की संभावना है.
5 अगस्त को गर्भगृह में पूजा होगी. अस्थाई मंदिर में रामलला के सान्निध्य में राम अर्चना होगी. इस मौके पर प्रधानमंत्री शिलापट्ट का भी अनावरण करेंगे. मंदिर के नए मॉडल का पांच रुपए के डाक टिकट का अनावरण भी होगा. हनुमानगढ़ी में पारिजात पौधरोपण भी प्रधानमंत्री करेंगे.
कौन हैं सलिल सिंघल जो होंगे राम मंदिर के भूमि पूजन में मुख्य यजमान
मुख्य मंच पर ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और स्वंय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहेंगे. भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्य यजमान विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के भतीजे सलिल सिंघल होंगे.
भगवान राम के लिए विशेष पोशाक
5 अगस्त के लिए भगवान राम के लिए विशेष पोशाक बन कर तैयार हुई है. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सोमवार को ही सौंपी गई भगवान राम की हरे रंग की पोशाक मखमली कपड़े में नवजरत्न जड़ित है. पोशाक के साथ पर्दे और बिछौना भी तैयार कराया गया है.
बुधवार को भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए देश के तमाम प्रसिद्ध तीर्थस्थलों की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा. लोगों ने नदियों, तीर्थो, गंगासागर, रामेश्वरम, श्रीलंका, मानसरोवर से भी जल भेजा है. कांची शंकराचार्य ने पंचधातु का कमल भेजा जिस पर नवरतन जड़े हैं. भूमि पूजन से दो दिन पहले ही अयोध्या पीले रंग में भव्य दिखने लगी है. शहर में उत्सव जैसा माहौल है. लोगों से अपील की गई है कि वो अपने घरों के बाहर दीए जलाएं.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने क्या कहा?
ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय के मुताबिक, संतों समेत कुल 175 लोग भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहेंगे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 4 अगस्त को अयोध्या पहुंच रहे हैं. राय के मुताबिक, हिंदुत्व की 36 धाराओं के संत 5 अगस्त को अयोध्या में मौजूद रहेंगे. नेपाल तक से संतों को बुलाया गया है. चंपत राय ने साधु के साथ दलित जैसे सवालों को निरर्थक बताया. उन्होंने कहा कि साधु-संत भगवान के व्यक्ति होते हैं.
चंपत राय के मुताबिक, कार्यक्रम के लिए मुकदमे के पक्षकार इकबाल अंसारी और लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार या सुपुर्दे-खाक करने वाले मोहम्मद शरीफ को भी न्यौता दिया गया है. कार्यक्रम में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं ले जा सकता.सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम हैं. कार्यक्रम के लिए दिए गए हर निमंत्रण पत्र पर एक सिक्योरिटी कोड होगा. ये कोड एक ही बार काम करेगा.
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कार्यक्रम स्थल पर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या कैमरा नहीं जा सकता. किसी को भी वाहन का पास नहीं दिया गया है. वाहन को बाहर निर्धारित स्थल पर ही छोड़ना होगा. जिन्हें न्योता मिला है वो समय से प्रवेश सुनिश्चित कर लें. कार्यक्रम सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक चलेगा.
चंपत राय के मुताबिक, कुछ लोगों ने रामलला के हरे वस्त्र पहनने पर भी सवाल उठाए हैं. ये तो परम्परा से होता आया है. उन्होंने कहा कि ये पेड़ों की हरियाली क्या इस्लाम है? हरी साग सब्जी क्या है? ये तो भारत और दुनिया की समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है. ये बेहूदा बात है, इसे आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए. ये बौद्धिक दिवालियापन है.
शिवेंद्र श्रीवास्तव