पुलवामा आतंकी हमले को हुए 1 साल
शहीद विजय के गांव का नाम है छपिया जयदेव. यह देवरिया जिले के भटनी ब्लॉक में है. शहीद की पत्नी विजय लक्ष्मी अपने ढाई साल की बेटी आराध्या के साथ देवरिया शहर में अपने भाई वाल्मिकी मौर्य के साथ किराए के मकान में रहती हैं. जबकि, शहीद के पिता रामायण कुशवाहा गांव में अपने मकान में रहते हैं.
बेटे की शहादत पर गर्व हैः शहीद के पिता
शहीद के पिता रामायण कुशवाहा कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है. सरकार ने जो घोषणा कि उसमें से क्या-क्या मिला इस बारे में मुझे नहीं पता. मेरी बहू को पता होगा. लोग कहते हैं सरकार की ओर से 5 लाख रूपये मिले थे. इसमें से 20 फीसदी मुझे मिलना चाहिए.
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रामायण कहते हैं कि लखनऊ में जमीन मिलने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक उसका कुछ अता-पता नहीं है. मैं तो चाहता हूं कि मेरी जमीन पर विजय के नाम का स्मारक बने. इसे मैं अभी अपने पैसे से ही बनवा रहा हूं. मुख्यमंत्री की तरफ से बहू को 20 लाख रुपये और मुझे 5 लाख रुपये मिले थे. सरकार द्वार बेटे के फंड से 12 लाख हमको मिला लेकिन बहू को कितना मिला यह नहीं पता.
रामायण ने बताया कि बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन की तरफ से मुझे और बहू को 5-5 लाख रुपये मिले थे. मुझे इस बात की खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने शहीदों का बदला ले लिया. सरकार ने पेट्रोल पंप देने की बात कही थी लेकिन वह हमें नहीं चाहिए. हमारी मझली विधवा बहू को नौकरी मिल जाए बस.
शहीद की पत्नी बोलीं- सरकार ने जो भी वादा किया था, वह सब पूरा किया
शहीद की पत्नी विजय लक्ष्मी कहती हैं कि कष्ट तो बहुत है लेकिन साथ में खुशी भी है. मान-सम्मान बहुत मिला पर उनके जाने का कष्ट तो है ही. खुशी यह है देश के लिए शहीद हुए हैं. सरकार ने जो भी ऐलान किया था वह सब मिला. लेकिन जो लोग इधर-उधर से वायदे किए थे वो पूरे नहीं हुए हैं. पैसा तो पूरा मिल गया है. देवरिया जिला कलेक्ट्रेट में हम बड़े बाबू हैं.
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विजयलक्ष्मी ने कहा कि बेटी अभी ढाई साल की है. स्कूल जाती नहीं है. तीन साल की होगी तो स्कूल भेजेंगे. गोरखपुर और लखनऊ में ससुरजी को जमीन मिलने की बात थी, उन्हें मिली या नहीं इसके बारे में जानकारी नहीं है. मेरे पति 2008 में सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. उनकी पोस्टिंग श्रीनगर के कुपवाड़ा में 92 बटालियन में थी.
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