भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग करते हुए कुछ धर्माचार्यों ने फिर आवाज़ बुलंद की है. इस बार शंकराचार्य परिषद से जुड़े संत और अन्य विशेषज्ञों ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है. विधि विशेषज्ञ और सनातन धर्म के जानकारों के साथ मिलकर 'हिंदू राष्ट्र संविधान निर्माण समिति' ने इस ड्राफ्ट पर लोगों से चर्चा के बाद प्रयागराज में 2023 में होने वाले माघ मेले में इसके प्रारूप को रखने का फैसला किया है. साथ ही उससे पहले इसके प्रारूप पर लोगों के बीच जाकर उनका मत लिया जाएगा.
प्रयागराज में इस साल फ़रवरी में हुए माघ मेले में ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था. धर्म संसद में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. उसमें ये भी तय किया गया था कि इसके लिए संत और धर्माचार्य एक ऐसा लिखित दस्तावेज़ बनाएंगे जो राष्ट्र बनने की स्थिति में ‘संविधान’ के तौर पर ‘मार्गदर्शक पुस्तिका’ का काम करेगा.
अब धर्माचार्यों और क़ानून के जानकारों ने एक दस्तावेज़ तैयार किया है. शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप के नेतृत्व में ये उस विस्तृत दस्तावेज़ का एक हिस्सा बताया जा रहा है जो हिंदू राष्ट्र की मांग के साथ इसके संविधान के रूप में बनाया जाएगा. बताया जा रहा है कि ये संविधान (मार्गदर्शक पुस्तिका) 750 पृष्ठ का होगी. इसमें किन बातों को शामिल किया जाए, इसके विस्तृत रूप को लेकर अलग-अलग क्षेत्र के विद्वानों और आम लोगों के साथ पहले विचार विमर्श किया जाएगा.
क्यों बनाया गया ड्राफ्ट ?
दरअसल 'हिंदू राष्ट्र संविधान निर्माण समिति' का लक्ष्य भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए लोगों में सहमति बनाना है. प्रयागराज के माघ मेले में धर्म संसद के बाद जब संतों ने हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर प्रस्ताव पास किया तो उसके बाद ये समिति बनी. ये तय हुआ कि यही सही समय है जब भारत में हिंदुओं के अधिकारों को संरक्षण देने और इसके लिए हिंदू राष्ट्र निर्माण करने के लिए जनमत संग्रह कराया जाए. लेकिन अपने स्तर पर ये करना किसी समिति के लिए सम्भव नहीं. इसलिए लोगों से बातचीत कर और हिंदुओं की संस्थाओं यानि बड़े मठों और अखाड़ा परिषद जैसी संस्थाओं से विचार विमर्श कर एक दस्तावेज़ तैयार किया जाए.
शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप कहते हैं कि ‘हमारे संविधान निर्माताओं की जो मूल भावना थी और जैसा उन्होंने बनाया था अब वैसा नहीं रहा. इनका कहना है कि संविधान निर्माताओं की मूल भावना भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की थी. 300 से ज़्यादा संशोधन किए गए. धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ दिया गया. अब जब इस्लामिक आतंकवाद बढ़ रहा है, हिंदू कई राज्यों में अल्पसंख्यक हो रहे हैं, तब सही समय है कि हम इस बात पर खुले मन से विचार करें कि भारत हिंदू राष्ट्र बने.’
ड्राफ्ट में सिर्फ़ हिंदुओं को वोटिंग के अधिकार की बात
हालांकि अभी 32 पृष्ठ का एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है और प्रस्तावित मार्गदर्शक पुस्तिका 750 पृष्ठ की तैयार होगी. पर मौजूदा ड्राफ्ट में भी कई चौंकाने वाली बातें हैं. इस ड्राफ्ट में दिल्ली की जगह काशी को राजधानी बनाने की बात कही गयी है. इसको बनाने वालों के अनुसार काशी सर्वविद्या का केंद्र रही है तो हिंदू राष्ट्र में काशी को राजधानी होना चाहिए. हालांकि शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप कहते हैं कि ये सिर्फ़ चर्चा के लिए है, हो सकता है कि किसी और स्थान के नाम पर विचार बने. जैसे उज्जैन या दिल्ली ही रहने पर सहमति हो.
इस ड्राफ्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात मताधिकार को लेकर है. फिलहाल जो प्रारूप बना है उसके अनुसार हिंदुओं के अलावा अन्य जो दो धर्म के मतावलंबी हैं यानि मुस्लिम और ईसाई, उनको भारत में हर तरह के अधिकार प्राप्त होंगे. वो शिक्षा ग्रहण करने के लेकर रोज़गार, व्यवसाय सब कर सकेंगे. लेकिन उनको वोट देने का अधिकार नहीं होगा. यानि हिंदुओं जिसमें सिख, बौद्ध, जैन भी हैं, वो ही वोट दे सकेंगे. स्वामी आनंद स्वरूप कहते हैं ‘ ऐसा ही तो दूसरे देशों में है.तो फिर भारत में क्यों नहीं? इस्लामिक देश क्या वहां रहने वाले हिंदुओं को मत का अधिकार देते हैं? इस प्रारूप में वोट देने की आयु 16 वर्ष और चुनाव लड़ने की 25 वर्ष करने का भी प्रस्ताव किया गया है.
काशी में बने धर्म संसद, अंग्रेजों के कानून खत्म
इस प्रारूप में शिक्षा, डिफ़ेन्स, लॉ एंड ऑर्डर जैसे विषयों पर भी बिंदु सुझाए गए हैं. इसमें कृषि को अनिवार्य रूप से टैक्स फ़्री करने और गुरुकुल पद्धति को अनिवार्य करने की बात भी प्रस्तावित है. इसके अलावा काशी में धर्म संसद बनाने और अंग्रेजों के समय के सभी क़ानून को ख़त्म करने की बात भी की गयी है. वर्ण व्यवस्था की खूबी बताते हुए उसे भी शामिल किया गया है.
प्रयागराज में माघ मेले के बाद बनी इस समिति के 30 सदस्यों ने ये प्रारूप तैयार किया है. इसमें शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप, कामेश्वर उपाध्याय, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता बीएन रेड्डी, रक्षा विशेषज्ञ आनंद वर्धन, वर्ल्ड हिंदू फ़ेडरेशन के अध्यक्ष अजय सिंह और सनातन धर्म के जानकार चंद्रमणि मिश्रा शामिल हैं. अभी जो प्रारूप तैयार किया गया है, इसके कवर पेज पर ‘अखंड भारत’ की तस्वीर है. जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान को भी शामिल किया गया है.
लोगों के बीच जाएगा ये ड्रॉफ्ट
हालांकि, अभी ये तय होना है कि इस ड्राफ्ट को लेकर सभी धर्माचार्यों और साधु संतों की स्वीकृति है या नहीं. शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप कहते हैं 'अभी तो ये बिंदु चर्चा के लिए हैं. इनको लोगों के बीच लेकर जाएंगे. सनातन धर्म की सभी संस्थाओं से भी हम लोग सम्पर्क कर रहे हैं. अखाड़ा परिषद और ऐसे संगठनों से भी बातचीत और विचार विमर्श करेंगे. देश भर में चर्चा करके लोगों का मत जानने के बाद मौजूदा सरकार के पास जाएंगे. ये लक्ष्य रखा गया है कि 2023 में होने वाले माघ मेले में इस प्रारूप में से 300 पृष्ठ तैयार कर लिए जाएं जिन पर सभी धर्माचार्यों की मौजूदगी में चर्चा हो.
शिल्पी सेन