उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नकली गन लाइसेंस बनाने के एक नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बाद लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं. ताजा जांच में पता चला है गन लाइसेंस बनाने के असली दफ्तर से ही नकली लाइसेंस बनाने का काम किया जाता था. यह मामला गोरखपुर में पिछले 15 दिनों से सनसनी फैला रहा है. इसमें कई फर्जी लाइसेंस के सहारे गन लिए हुए लोगों के बारे में पता चला है.
दरअसल, इस मामले में गोरखपुर के रवि गन हाउस के मालिक प्रकाश पांडे के बेटे रवि पांडे को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस को पूछताछ में रवि पांडे ने बताया कि उसके पास से मिले फर्जी लाइसेंस दरअसल कलेक्ट्रेट स्थित असली वाले असलहा दफ्तर से ही बनाए जाते थे.
लिहाजा अब तक इसे असली ही मानकर चल रहा था. लेकिन ये लाइसेंस फर्जी हैं. अब इस मामले में पुलिस कलेक्ट्रेट के कुछ कर्मचारियों की भूमिका की जांच में जुट गई है. रवि पांडे के बयान को जांच का आधार बनाकर पुलिस तमाम लोगों से पूछताछ कर रही है.
साथ ही असलहा रिकॉर्ड से जुड़े कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से अंदर के रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं. जांच में मिली जानकारी के मुताबिक रिकॉर्ड से जुड़े कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से ही यूनीक आईडी हासिल की जाती थी और उसके बाद असलहा रिकॉर्ड के जुड़े रजिस्टर्स में भी एंट्री कर हेरा फेरी की जाती थी.
हैरानी की बात यह है कि बरामद हुए फर्जी लाइसेंसों पर एक भी नंबर फर्जी नहीं मिला है. इससे साफ होता है कि पूरा नेटवर्क असली विभाग के लोगों की मिलीभगत से ही चल रहा था. इस मामले में गिरफ्तार आरोपी रवि पांडे ने प्रशासनिक अधिकारियों को कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों के नाम गिनाने शुरू कर दिए हैं.
रवि ने असलहा बाबू राम सिंह का नाम भी लिया है. कहा है कि सब कुछ उनकी तरफ से ही होता था. इस मामले में पुलिस ने करीब 500 ऐसे लोगों की लिस्ट निकाली है जिनके लाइसेंस फर्जी होने के बारे में शक है. एक-एक कर इन लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही है और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.
शिवेंद्र श्रीवास्तव