'झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में'. साल 1966 में आई फिल्म मेरा साया का यह गाना तो आपने सुना ही होगा. यह गाना उस दौर में काफी मशहूर हुआ था. लेकिन आप यह जानकार हैरान होंगे कि झुमके बनाने या बेचने के मामले में बरेली की कोई खासियत नहीं रही है. इस शहर ने इस गाने की पॉपुलैरिटी को भुनाने की भी कभी कोशिश नहीं की. लेकिन अब 53 साल बाद बरेली को उसका 'झुमका' मिल सकता है. बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से दिल्ली-बरेली मार्ग पर पारसखेड़ा जीरो पॉइंट को झुमका तिराहा बनाने का अनुरोध किया है.
90 के दशक की शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के होने की बात कही गई थी. लेकिन तब रकम की किल्लत और सही जगह की खोज के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई थी. बीडीए ने झुमकों के डिजाइन भी मंगवाए हैं. पहले इसे डेलापीर तिराहे पर बनाया जाना था. लेकिन बाद में बड़ा बाईपास पर इसे बनाए जाने की बात चली.
मगर दो जगहों पर ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए फैसला बदल दिया गया. अब इसे पारसखेड़ा में दिल्ली-बरेली के रास्ते पर शहर में एंट्री पर बनाया जाएगा. बीडीए अफसरों ने कहा कि अब उन्हें एनएचएआई की मंजूरी का इंतजार है. मंजूरी मिलने के तुरंत बाद काम शुरू हो जाएगा.
कैसा होगा 'झुमका'
-बीडीए के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि प्रस्तावित झुमके की चौड़ाई 2.43 मीटर और ऊंचाई 12-14 फीट तक होगी.
-इस प्रोजेक्ट के लिए तय जमीन की लागत 18 लाख रुपये आएगी.
-12-14 फीट के इस झुमके के अलावा जिसे बीच में मुख्य प्रतिकृति के रूप में लगाया जाएगा, इसके आसपास सूरमा के तीन बोतलों (जिसकी प्रेरणा गाने में इस्तेमाल 'सूरमे दानी' से मिली) को भी सजाया जाएगा. इसमें रंग-बिरंगी लाइटें भी लगाई जाएंगी.
-सजावट के लिए रंग-बिरंगे पत्थरों के अलावा जरी के काम का भी इस्तेमाल किया जाएगा क्योंकि बरेली जरी के काम के लिए मशहूर है.
-झुमका बनाने के लिए फाइबर प्रबलित प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिस पर मौसम की मार का कोई असर नहीं होगा.
बीडीए के सचिव ने कहा, 'महत्वाकांक्षी झुमका परियोजना' काफी लंबे समय से लंबित पड़ी है. हालांकि शहर के एंट्री गेट पर पारसखेड़ा के पास एक नई जगह पर इस परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा. हमने एनएचएआई से मंजूरी मांगी है और उम्मीद है कि यह भी जल्द ही मिल जाएगी.
इसके तुरंत बाद काम शुरू हो जाएगा.' उन्होंने आगे कहा, हमने इस प्रोजेक्ट के लिए पारसखेड़ा जीरो प्वॉइंट को चुना है. इसके पहले के डिजाइन में कुछ बदलाव लाए जा सकते हैं और यह उपलब्ध स्थान पर भी निर्भर करेगा। हम इसे घटा या बढ़ा सकते हैं.'
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