जब आंखों पर काली पट्टी बांधकर 'नेत्रहीन' बने मंत्री...

लोगों ने देखा कि सबसे आगे आंखों पर पट्टी बांधकर चलने वालों में भारत के पर्यटन मंत्री अल्फोंस कननथनम भी थे और उनके साथ थे बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी और स्वामी अग्निवेश. 

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पर्यटन मंत्री अल्फोंस कननथनम और बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी पर्यटन मंत्री अल्फोंस कननथनम और बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी

बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:42 AM IST

गुरुवार की दोपहर को दिल्ली के कनॉट प्लेस में लोगों ने एक अजीब सा नजारा देखा. सैकड़ों लोग आंखों पर काली पट्टी बांधे पैदल चले जा रहे थे. लोगों ने देखा कि सबसे आगे आंखों पर पट्टी बांधकर चलने वालों में भारत के पर्यटन मंत्री अल्फोंस कननथनम भी थे और उनके साथ थे बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी और स्वामी अग्निवेश.  

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इन लोगों के पीछे सैकड़ों स्कूली बच्चे भी आंखों पर कट पट्टी बांधे चल रहे थे. इन लोगों के इस तरह से चलने का मतलब नीले रंग की उस जैकेट पर लिखा हुआ था जो इन सभी लोगों ने पहन रखी थी. इस पर लिखा था नेत्रदान करो ताकि सब लोग देख सकें.

दरअसल 12 अक्टूबर को दुनिया का सबसे बड़ा नेत्रदान को लेकर चलाया जा रहा अभियान ब्लाइंड वॉक का आयोजन दिल्ली में भी किया गया. बेंगलुरु की संस्था प्रोजेक्ट विजन ने इसका आयोजन किया था जिसके तहत देश और दुनिया के 250 शहरों में नेत्रदान के बारे में जागरूकता फैलाने को लेकर ब्लाइंड वॉक का आयोजन किया गया. आंखों पर पट्टी बांधकर चलने का मतलब बिल्कुल साफ था कि आप कुछ देर के लिए ही सही इस बात को महसूस कर सके कि जो लोग नेत्रहीन हैं उनकी दुनिया कैसी है.

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दरअसल दुनिया के 20 फ़ीसदी नेत्रहीन लोग भारत में ही रहते हैं और इनकी संख्या डेढ़ करोड़ है. किसी न किसी वजह से देश में हर साल 200000 लोग और अपने आंखों की रोशनी गंवा देते हैं. लेकिन भारत में हर साल सिर्फ 25,000 लोग  नेत्रदान करते हैं. जबकि देश में हर साल 85,00,000 लोगों की मौत हो जाती है. अगर इनमें से आधे लोग भी अपने नेत्रदान कर सके तो देश में बहुत से नेत्रहीन लोगों को आंखें मिल सकती हैं और उनकी अंधेरी दुनिया में रोशनी आ सकती है.

ब्लाइंड वॉक का मकसद था लोगों में इसके बारे में जागरुकता फैलाना और उन्हें यह बताना की मौत के बाद ज्यादातर लोगों की आंखें इस काबिल होती हैं कि वह किसी की दुनिया रोशन कर सकती हैं. जो लोग चश्मा पहनते हैं या जिन लोगों को ब्लड प्रेशर या डायबिटीज ऐसी बीमारी है उनकी आंखें भी इस काबिल होती हैं कि किसी नेत्रहीन के काम आ सकती हैं.

नेत्रदान करने के लिए बस किसी की मृत्यु के बाद उनके परिवार वालों को नजदीकी आई बैंक को संपर्क करना पड़ता है और एक छोटे से ऑपरेशन के बाद नेत्र दान किया जा सकता है. अपने नजदीकी आई बैंक के बारे में आप Eyebank (space) अपना Pincode लिखकर 9902080011 पर SMS भेज कर हासिल कर सकते हैं.

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ब्लाइंड वॉक मौके पर पर्यटन मंत्री अल्फोंस कन्नथनम ने कहा कि श्रीलंका एक छोटा सा देश है, लेकिन वहां पर कानूनी रूप से सबके लिए जरूरी है कि वह मौत के बाद नेत्रदान करें. इसकी वजह से श्रीलंका दूसरे देशों को आंखों का निर्यात भी करता है. उन्होंने मांग की कि भारत में भी ऐसा ही कानून बनाया जाना चाहिए.

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