तमिलनाडु के सांसद की मांग- स्थानीय भाषा में मुहैया कराई जाए नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तमिलनाडु के एक सांसद ने स्थानीय भाषा में शिक्षा नीति के मसौदे को जारी करने की मांग की है. सांसद ने इसके लिए बकायदा केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को चिट्ठी लिखी.

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मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (फाइल फोटो) मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (फाइल फोटो)

अक्षया नाथ

  • चेन्नई,
  • 28 जून 2019,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

नई शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तमिलनाडु के एक सांसद ने स्थानीय भाषा में शिक्षा नीति के मसौदे को जारी करने की मांग की है. सांसद ने इसके लिए बकायदा केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को चिट्ठी लिखी.

मदुरै से सांसद ए वेंकटेश ने इस सिलसिले में मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखा है. तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वेंकटेश ने लिखा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2019 को जारी कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति हिंदी और अंग्रेजी में 1 जून से सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है और लोगों को 30 जून तक अपनी राय लिखकर भेजने को कहा गया है.

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ए वेंकटेश ने प्रतिक्रिया अवधि के विस्तार की मांग करते हुए कहा कि लगभग 484 पेजों वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति तमिल सहित राज्यों की भाषाओं में उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे गलत संदेश जा रहा है कि केवल हिंदी और अंग्रेजी जानने वालों से ही इसको लेकर प्रतिक्रिया मांगी जा रही है जबकि जो हिंदी-अंग्रेजी नहीं जानते हैं उनकी अनदेखी की जा रही है. वेंकटेश ने कहा कि सवाल यह भी है कि रिपोर्ट पेश करने में देरी क्यों हुई जबकि कमेटी ने दिसंबर में ही अपना काम पूरा कर लिया था.

सांसद ने कहा कि समिति ने 15 दिसंबर 2018 को रिपोर्ट पर हस्ताक्षकर कर दिए थे जबकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय में इसे जमा करने के लिए उसे 31 मई 2019 तक इंतजार करना पड़ा. इन दस्तावेजों को साढ़े पांच महीने तक रोकने के क्या कारण हैं, इसके बारे में कभी बताया नहीं गया.

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बता दें कि दक्षिण भारत के राज्यों की नाराजगी के बाद मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे से हिंदी के अनिवार्य शिक्षण को हटा दिया था. संशोधित मसौदे में भाषाओं को अनिवार्य नहीं किया गया है, जिसे छात्र माध्यमिक स्कूल स्तर पर अध्ययन के लिए विकल्प के रूप में चुन सकते हैं. मसौदा नीति के खंड 4.5.9 में संशोधन किया गया है. इससे पहले इसे 'भाषाओं के पसंद में लचीलापन' शीर्षक दिया गया था.

तीन भाषाओं के अध्ययन की वकालत करते हुए संशोधित संस्करण का अब शीर्षक 'त्रिभाषा फार्मूला में लचीलापन' है और इसमें छात्र के अध्ययन वाली भाषा को सटीक तौर पर नहीं बताया गया है. यह सामान्य रूप से बताता है कि छात्र के पास तीन भाषा पढ़ने का विकल्प होगा, जिसमें से एक भाषा साहित्यिक स्तर पर होगी.

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