11:49 AM (5 वर्ष पहले)
राजस्थान से यश श्री का पहला सवाल...
Posted by :- Mohit Grover
बोर्ड पेपर की वजह से मूड ऑफ हो जाता है, तो हम किस तरह अपने आपको उत्साहित करें?
PM मोदी: मुझे लगा कि छात्रों का मूड ऑफ नहीं होना चाहिए. लेकिन ऐसा क्यों होता है, अधिकतर ऐसा बाहर की परिस्थितियों की वजह से होता है. जब हम पढ़ते हैं तो मम्मी को कहते हैं कि 6 बजे चाय पीनी है, लेकिन अगर टाइम पर चाय नहीं आती है तो मूड खराब हो जाता है.
लेकिन अगर इसे दूसरे तरीके से सोचे तो ये भी मन में आना चाहिए कि मां को कुछ हुआ तो नहीं. क्योंकि आपने अपेक्षा को अपने साथ जोड़ लिया है इसलिए ऐसा होता है. हर व्यक्ति को मोटिवेशन या डिमोटिवेशन से गुजरना पड़ता है. जब चंद्रयान जा रहा था तो हर कोई जाग रहा था, जब असफल हुआ तो पूरा देश डिमोटिवेट हो गया था.
जब मैं चंद्रयान लॉन्च पर था तो लोगों ने मुझे कहा था कि वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि पास होना पक्का नहीं है. तो मैंने कहा कि इसलिए मुझे जाना चाहिए. चंद्रयान के जब आखिरी मिनट थे, तो वैज्ञानिकों के चेहरे पर तनाव दिख रहा है. जब चंद्रयान फेल हुआ तो मैं चैन से बैठ नहीं पाया, सोने का मन नहीं कर रहा था. हमारी टीम कमरे में चली गई थी, लेकिन बाद में मैंने सभी को बुलाया. मैंने टीम को बताया कि हम वापस बाद में जाएंगे और सभी वैज्ञानिकों को सुबह बुलाया गया.
अगली सुबह सभी वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया, उनके सपनों की बातें की. उसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया, ये पूरे देश ने देखा है. हम विफलता में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. अगर आप किसी चीज में असफल हुए हैं तो इसका मतलब है कि आप सफलता की ओर बढ़ चुके हैं.
पीएम मोदी ने इस दौरान बताया कि 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हो रहा था, फॉलोऑन हो गया. विकेट भी जाने लगे तो माहौल बिगड़ गया था, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने पिच पर कमाल किया और पूरे खेल को खींचा. पूरी परिस्थिति पलट दी और मैच को जीत लिया गया. एक-एक बॉल के लिए जूझा. 2002 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज खेलने गई थी तो अनिल कुंबले को चोट लगी और उन्होंने पट्टी बांधी फिर खेले. तब उसके बाद कुंबले ने पूरा माहौल पलट दिया.