फिल्मों में पटकथा लिखने और द्रविड़ आंदोलन के जरिए दक्षिण की राजनीति में जोरदार पहचान बनाने वाले एम करुणानिधि अपनी बेबाक शैली के लिए भी जाने जाते थे.
करुणानिधि धार्मिक विश्वासों, ब्राह्मणवादी सोच और हिंदू कुरीतियों पर प्रहार करने वाले महान समाज सुधारक ईवीके रामास्वामी 'पेरियार' की विचारधारा से काफी हद तक प्रभावित थे और बेहद कम उम्र में ही वह इस आंदोलन से जुड़ गए थे.
जाहिर है कि वह पेरियार की विचारधारा से प्रभावित थे तो उनका हिंदू आस्था के प्रति विश्वास कम रहा होगा.
सेतुसमुद्रम विवाद पर सितंबर 2007 में तब बतौर मुख्यमंत्री करुणानिधि ने हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीराम के वजूद पर ही सवाल उठा दिए थे. राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था, 'लोग कहते हैं कि 17 लाख साल पहले कोई शख्स था, जिसका नाम राम था. कौन हैं वो राम? वो किस इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएट थे? क्या इस बात का कोई सबूत है?' बाद में उनके इस सवाल और बयान पर खासा बवाल हुआ था.
उन्होंने भगवान राम को एक काल्पनिक चरित्र करार दिया, साथ ही कहा कि रामसेतु मानव रचित पुल नहीं है. तब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कोट करते हुए कहा था कि रामायण आर्य और द्रविड़ों के बीच संघर्ष की कहानी है.
हालांकि हिंन्दू विचारधारा के खिलाफ तमिलनाडु की राजनीति में खास जगह बनाने वाली डीएमके 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए में शामिल हुई थी.
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