सुप्रीम कोर्ट में "हिंदुत्व" की परिभाषा और चुनावी भाषणों में इस शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे पर होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई की संभावना है. यह मामला 1992 से कोर्ट में लंबित है. इसकी याचिका अभिराम सिंह ने दायर की थी जिन्हें 1990 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान अपने भाषणों में "हिंदुत्व" का इस्तेमाल करने के लिए चुनावी अपराध का दोषी ठहराया गया था.
बता दें कि 2017 में इस केस को दो अलग-अलग पीठों के निर्णयों के बीच संघर्ष के कारण 7 जजों वाली एक बड़ी बेंच को भेजा गया था. इनमें से एक पीठ ने कहा था कि चुनावी भाषणों में "हिन्दुत्व" का उपयोग जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की परिभाषा में गलत नहीं है. क्योंकि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि जीवन की एक शैली है.
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हालांकि इस मामले पर सुनवाई के लिए अभी सात जजों की बेंच का गठन किया जाना है. यह बेंच इस मसले पर सुनवाई करेगी कि क्या हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल 'वोट के लिए धार्मिक आधार पर अपील' की परिभाषा के तहत किया जा सकता है या नहीं.
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अभिराम सिंह के वकीलों ने 27 फरवरी को अदालत से मामले को जल्द से जल्द सुनने का अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 9 जजों की बेंच सबरीमाला और मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश के मसले पर सुनवाई कर रही है. मार्च में इस मामले में सुनवाई के लिए के लिए बेंच का गठन किया जाएगा.
अनीषा माथुर