क्रॉस फायरिंग से सीमावर्ती लोगों को होने वाले नुकसान के अध्‍ययन के लिए बना स्टडी ग्रुप

इस 5 सदस्यीय कमेटी का चेयरमैन गृह मंत्रालय में तैनात आंतरिक सुरक्षा के विशेष सचिव को बनाया गया है.

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गोलीबारी का शिकार एक सीमावर्ती मकान (फाइल फोटो) गोलीबारी का शिकार एक सीमावर्ती मकान (फाइल फोटो)

दिनेश अग्रहरि / जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्‍ली,
  • 06 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

बॉर्डर पर हर साल पाकिस्तान की तरफ से होने वाली क्रॉस बॉर्डर फायरिंग से लोगों के नुकसान और उनको होने वाली समस्याओं को लेकर गृह मंत्रालय ने 5 सदस्यीय स्टडी ग्रुप बनाया है. इस 5 सदस्यीय कमेटी का चेयरमैन गृह मंत्रालय में तैनात आंतरिक सुरक्षा के विशेष सचिव को बनाया गया है.

अंतरराष्ट्रीय सीमा और LoC के आसपास इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों की समस्याओं पर गृह मंत्रालय की नज़र है. गृह मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे स्थानीय लोगों की समस्याओं को समझने और सुलझाने के लिए ये कमेटी बनाई है.

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यह कमेटी सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्याओं का अध्ययन करेगी. गौरतलब है कि लगातार सीमापार से हो रही क्रॉस बॉर्डर फायरिंग और सुरक्षा व्यवस्था के तहत हो रही कार्रवाई पर स्‍थानीय ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.

पिछले मई माह में जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में पाकिस्तान की ओर से की जा रही फायरिंग के चलते सीमावर्ती 12 गांवों को खाली कराया गया. यही नहीं, सितंबर महीने में पाकिस्तान ने इंटरनेशनल बॉर्डर पर 22 सितंबर 2017 तक 42 बार सीजफायर का उल्लंघन किया है.

सीमा पार से अक्‍सर पाकिस्‍तान सीजफायर का उल्लंघन करता है और भारतीय सुरक्षाबलों की ओर से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जा रहा है. गोलीबारी या गोला गिरने की वजह से कई बार सीमावर्ती मकानों, मवेशियों को भारी नुकसान होता है और कई बार स्‍थानीय ग्रामीण घायल हो जाते हैं, या उनकी मौत हो जाती है.

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अध्‍ययन के लिए बना स्टडी ग्रुप स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के लोगों से मुलाकात कर समस्या को सुलझाने का प्रयास करेगी. यह स्टडी ग्रुप 2 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा जिसमें समस्याओं के निपटान के लिए अपनी सिफारिशें शामिल होंगी.

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