SSC PROTEST: जनपथ पर जो हुआ उसके लिए ना तो पुलिस दोषी है और ना ही छात्र, दोषी है व्यवस्था!

ये छात्र कहां जाना चाहते हैं वो इन्हें भी नहीं मालूम. बस वो आगे बढ़ते रहना चाहते हैं. शायद इन्हें उम्मीद है कि आगे बढ़ते रहने से वो उस व्यवस्था तक पहुंच जाएंगे जिसने इनकी बात नहीं सुनी.

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SSC स्कैम के खिलाफ प्रदर्शन SSC स्कैम के खिलाफ प्रदर्शन

विकास कुमार / वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:50 PM IST

दोपहर के दो बजे हैं. दिल्ली के जनपथ मार्ग पर छात्र और पुलिस आमने-सामने हैं. छात्रों की तरफ़ से रह-रहकर नारेबाज़ी हो रही है. वो आगे जाना चाह रहे हैं. लेकिन पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उन्हें रोका हुआ है.

ये छात्र कहां जाना चाहते हैं वो इन्हें भी नहीं मालूम. बस वो आगे बढ़ते रहना चाहते हैं. शायद इन्हें उम्मीद है कि आगे बढ़ते रहने से वो उस व्यवस्था तक पहुंच जाएंगे, जिसने इनकी बात नहीं सुनी.

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आपको बता दें कि SSC परिक्षाओं के पेपर लीक होने के बाद छात्र कई दिनों तक दिल्ली के CGO में स्थित SSC के मुख्यालय के बाहर बैठे रहे थे. मगर इनकी किसी ने नहीं सुनी. हारकर इन्हें अपना प्रदर्शन तब ख़त्म करना पड़ा था. तभी इन्होंने यह ऐलान किया था कि 31 मार्च को दिल्ली में देशभर से छात्र जुटेंगे.

आज सुबह से ही छात्र पहले दिल्ली के संसद मार्ग पर पहुंचे. इनका कोई एक नेता नहीं है. सब अलग-अलग राज्यों से हैं. इस वजह से इन्हें कंट्रोल करना पुलिस के लिए और ख़ुद इनका नेतृत्व कर रहे कुछ लोगों के लिए भी मुश्किल है.

दोपहर के 1.30 बजे हैं. संसद मार्ग पर एक मंच है, उस पर कुछ लोग माइक से कह रहे हैंः बैठ जाइए, हमने वायरलेस से गृहमंत्री जी को संदेश भेजा है. उन्हें एक घंटे का वक़्त देते हैं. अगर कोई जवाब नहीं आया तो सब मिलकर तय करेंगे कि क्या करना है. पुलिस के आला अधकारी मंच के पास जमे हैं. बड़ी संख्या में पुलिस के जवान भी उपस्थित हैं.

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पिछले कई घंटे से धूप में बैठे छात्रों ने जब यह घोषणा सुनी तो वो उग्र हो गए. जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक छात्रों का एक जत्था अपनी जगह से उठा और कनॉट प्लेस की तरफ़ दौड़ने लगा. पुलिस के अधिकारी, जवान और मीडिया के लोग भी भागे. देखते ही देखते मंच के सामने बैठे अधिकतर लड़के उस तरफ़ भागने लगे.

पुलिस अधिकारियों की समझ में कुछ नहीं आ रहा है. असल में किसी के समझ में कुछ नहीं आ रहा है. जो छात्र भाग रहे हैं उन्हें भी नहीं पता कि वो किधर जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं?

असल में हुआ यह कि जब इन्होंने सुना की एक घंटा और तो इनके इंतज़ार करने की ताक़त जवाब दे गई. समझ नहीं आ रहा कि यहां से थोड़ी दूर पर तमाम मंत्रियों के आवास हैं, दफ़्तर हैं फिर भी कोई इनके बीच क्यों नहीं आ रहा? इनसे दो शब्द क्यों नहीं कह रहा. मेरा दावा है कि अगर सरकार का एक भी प्रतिनिधि अगर दिल्ली के संसद मार्ग पर आ जाता और इनकी बात सुन लेता तो वो सब नहीं होता जो दिल्ली के जनपथ पर कई घंटे हुआ.

पहली बार मैंने दिखा कि दिल्ली पुलिस के तमाम अधिकारी बार-बार छात्रों से बात कर रहे हैं. उनके ग़ुस्से को चुप रहते हुए झेल रहे हैं और अपने जवानों को भी ऐसा ही करने की नसीहत दे रहे हैं. वो बार-बार फ़ोन और वायरलेस से बात भी कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वो भी इन प्रदर्शनकारी छात्रों की तरह असहाय हैं.

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संसद मार्ग पर शांति से बैठे सारे लड़के-लड़कियां तीन बजे तक दिल्ली के जनपथ पर आ गए. बार-बार पुलिस और छात्र आपस में भिड़ रहे हैं. पुलिस के जवान हल्का सा भी बल प्रयोग करते हैं तो छात्र एक स्वर में कहते हैं: गोली मार दीजिए…

इसके बाद पुलिस वाले थोड़ी नरमी से पेश आने लगते हैं. असल में पुलिस को आगे करने से यह मामला हाल होने वाला तो है ही नहीं. छात्र अपने मंत्रियों को खोज रहे हैं, उन्हें आगे आना चाहिए, लेकिन उनकी ग़ैरमौजूदगी की वजह से ही इनका ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है. यहां यह ख़ासतौर पर बताना ज़रूरी है कि प्रदर्शनकारी ग़ुस्से में हैं, निराश हैं लेकिन वो किसी भी तरह की हिंसा नहीं कर रहे हैं.

ऐसा लगता है कि शुरू में पुलिस ने सोचा कि ख़ुद ही थककर हट जाएंगे. एक पल को लगा भी. भीड़ छटने लगी है. जनपथ पूरी तरह से बंद है क्योंकि कुछ छात्र सड़क पर ही बैठे हैं. लेकिन देखते ही देखते एक बार फिर छात्र हर तरफ़ से इकट्ठा हो गए  और पुलिस उनके सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई. छात्र उस दीवार को थोड़ा हटाकर आगे बढ़ जाना चाहते हैं, लेकिन इस बार पुलिस ने उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया है. लाठी चार्ज किया है. छात्र-छात्रों को पकड़कर बसों में बिठाया जा रहा है. छात्र भाग रहे हैं. किसी की चप्पल तो किसी की कलम सड़क पर ही छूट गई है. आख़िरक़र पुलिस अधिकारियों ने वही रास्ता अख़्तियार किया जो वो हर प्रदर्शन को ख़त्म करवाने के लिए करते हैं.

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पुलिस लाठीचार्ज में एक छात्र का सर फूटा और कइयों के हौसले पस्त हुए. देश के भविष्य दिल्ली की सड़कों पर भगाया जा रहा है. पीटा जा रहा है. भविष्य भाग रहा है. पुलिस उन्हें भगा रही है. जनपथ की दोनों तरफ़ खड़े आम राहगीर तस्वीरें खिंच रहे हैं. वीडियो बना रहे हैं.

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