वह आक्रामकता के बारे में रैप गाता है. वह आत्मप्रशंसा के बारे में रैप गाता है. वह आलोचकों और प्रतियोगियों के बारे में रैप गाता है. जूरी अभी भी यह तय नहीं कर पाई है कि सिद्धू मूसे वाला पेशेवर रैपर या एक पेशेवर गायक होने की योग्यता रखता है या नहीं, लेकिन पंजाब के एक गांव के सिख युवक ने पंजाब के अंदर भी और बाहर भी, हिप-हॉप सीन में खलल डाल दी है.
यूट्यूब पर बटोर रहे लाखों दर्शक
पंजाब के जिला मानसा के मूसा गांव में पैदा हुए सिद्धू मूसे वाला का असली नाम है सुखदीप सिंह सिद्धू है. 26 साल के मूसे वाला के रैप वीडियो यूट्यूब पर लाखों दर्शक बटोर रहे हैं. अपने एक ऑनलाइन साक्षात्कार में वे याद करते हैं कि वह पांचवें-ग्रेडर के रूप में और फिर बाद में कॉलेज में गाने गाते थे. सिद्धू दिसंबर, 2016 में स्टडी वीजा पर कनाडा गए और इसके महज दो साल से भी कम समय में उनका शानदार प्रदर्शन हो गया.
सिद्धू ने 2017 में एक इंटरव्यू में कहा कि टैलेंट अपना रास्ता बना लेता है. मूसे वाला कहते हैं कि कनाडा की पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में उनके दोस्तों ने उनके लिखे गानों को पसंद किया और जब वे एक बार मार्केट में आ गए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
यूट्यूब पर उनके गाने 'उंचियां ने गल्लां तेरे यार दियां...' को 22 करोड़ 10 लाख व्यूज मिले हैं. उनके अन्य कई गानों पर 1 करोड़ के ज्यादा व्यूज हैं और उनके ब्लॉकबस्टर की सूची लंबी होती जा रही है.
रैप का दौर में मूसे वाला लोकप्रिय
दिल्ली में पंजाबी एकेडेमी के पूर्व सचिव डॉ. रवैल सिंह कहते हैं, 'उन्होंने निश्चित तौर पर दुनिया भर में फैले पंजाबी संगीत बाजार में एक नया व्यवधान पैदा किया है.' फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय में पंजाबी के प्रोफेसर डॉ सिंह कहते हैं कि 1947 के बाद पंजाबी संगीत की यात्रा में तीन मील के पत्थर आते हैं. समृद्ध लोकसंगीत का दौर जिसे सुरिंदर कौर और आसा सिंह मस्ताना ने प्रसिद्धि दिलाई. फिर आया सूफी और पॉप का दौर और इसके बाद आया रैप, फिर अब है मूसे वाला.
डॉ सिंह का कहना है, 'इसे देखने के दो तरीके हैं. पॉप और रैप ने पंजाबी लोक संगीत की आत्मा को मार दिया लेकिन दूसरी तरफ ये शैलियां एक शक्तिशाली उपभोक्ता उत्पाद के रूप में सामने आईं, जिसने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को पंजाबी बीट और शब्द दिए.'
अपने एक इंटरव्यू में सिद्धू मूसे वाला ने अपने को अमेरिकी रैपर Tupac Shakur का प्रशंसक बताया है, जिनका कॅरियर बेहद शानदार मगर मात्र पांच साल का था. शकूर का पहला एल्बम 2Pacalypse नवंबर, 1991 में आया था. 13 सितंबर, 1996 को उनकी मौत हो गई थी. 25 साल की उम्र में शकूर की लास बेगास में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
सीएनएन ने 2016 में शकूर पर विस्तार से लेख लिखा था, जिसमें लेखक केविन पॉवेल के हवाले से लिखा गया, 'शकूर एक स्ट्रीट पोएट थे और वे लोगों की बात करते थे. वह लगातार एक कलाकार जो कर सकता है, उसकी सीमाओं को बढ़ाते हुए मार्विन गे, बॉब डायलन और नीना सिमोन की परंपरा को आगे बढ़ा रहे थे.'
डॉ. सिंह सिद्धू को मूसे वाला को नहीं गिनते रैपर की श्रेणी में
संगीत के जानकार डॉ सिंह सिद्धू मूसे वाला को रैपर की श्रेणी में नहीं गिनते, लेकिन कुछ लोग उन्हें 'पंजाबी संगीत का Tupac' कहते हैं. डॉ सिंह का मानना है, 'वे एक परफॉर्मर हैं. उनकी शैली में रैप, पॉप और हर वह चीज है जो उसे भारी भरकम बनाती है. जो वे लिखते हैं वह क्लासिक सेंस में कविता नहीं है. यह एक तरह का व्यवधान है और बड़ा व्यवधान है.'
लेकिन फिर सिद्धू को इतने दर्शक कैसे मिल रहे हैं, वह भी ज्यादातर युवा? उनके कार्यक्रमों में इतनी भीड़ क्यों जुटती है? फिल्म और संगीत समीक्षक बॉबी सिंह इसके जवाब में कहते हैं कि "गीत, उनके गीत लेखन में बहुत मजबूत पंच होता है.' सिद्धू मूसे वाला आत्म प्रशंसा में गाते हैं और अपने आलोचकों और प्रतियोगियों को निशाना बनाते हैं.
लीजेंड शीर्षक वाले अपने एक गाने में सिद्धू लिखते हैं, 'हो अनलिमिटेड चलदा आ वैर नी; लिमिटेड काउंट ने ब्रैथ दे, मैं दुनिया दे अपोजिट चलदा, ते पैरलल चलदा आ डैथ दे.' इसका अर्थ हुआ कि मैं बेशुमार दुश्मनों और सीमित सांसों के साथ, दुनिया के विरुद्ध और मौत के समानांतर चलता हूं.
इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि उनके गानों में मौजूद ठसक ने उन्हें करोड़ों युवाओं की जुबान पर ला दिया है. उनके गीतों में मौजूद ठसक और नजरिया रैपर Tupac Shakur से मिलता जुलता है. Shakur भी अपने गानों में आत्म प्रशंसा और अपनी लाइफ स्टाइल के बारे में गाकर प्रतिस्पर्धियों को निशाना बनाते थे और लोगों का ध्यान खींचते थे. सिद्धू वही एटीट्यूड पंजाबी में ले आए हैं, हालांकि वे अपने शब्दों में उतने तुर्श नहीं हैं जितना कि शकूर हुआ करते थे.
हरमीत शाह सिंह