उम्रकैद की सजा काट रहे सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल की मौत, पड़ा था दिल का दौरा

सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल का आज निधन हो गया. दिल का दौरा पड़ने के बाद पी राजगोपाल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज यानी गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

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सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल (फाइल फोटो) सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल (फाइल फोटो)

अक्षया नाथ

  • चेन्नई,
  • 18 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल का आज निधन हो गया. दिल का दौरा पड़ने के बाद पी राजगोपाल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज यानी गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

बता दें,  कर्मचारी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद राजगोपाल ने 9 जुलाई को कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था. इस दौरान वह एंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे.

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आत्मसमर्पण के बाद पड़ा दिल का दौरा

आत्मसमर्पण के बाद 13 जुलाई को राजगोपाल को दिल का दौरा पड़ा था. पहले उन्हें स्टेनली अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया गया था. लेकिन बाद में उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और तब उनके बेटे सरवनन ने राजगोपाल को निजी अस्पताल में भर्ती करने की कोर्ट से अपील की थी. कोर्ट ने राजगोपाल को निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.

कर्मचारी की हत्या में ठहराए गए थे दोषी

राजगोपाल को अपने कर्मचारी राजकुमार शंतकुमार के अपहरण और हत्या में दोषी ठहराया गया था. राजकुमार शंतकुमार, जीवनजोती नामक एक महिला का पति था. राजगोपाल, जीवनजोती से शादी करना चाहता था. इसके पीछे एक ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी थी, जिसमें कहा गया था कि अगर राजगोपाल की जीवनजोती से शादी होती है तो वह देश के सबसे अमीर लोगों में से एक बन जाएंगे.

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मद्रास हाई कोर्ट ने सजा बढ़ाकर की थी उम्रकैद

शंतकुमार की हत्या के मामले में निचली अदालत ने राजगोपाल को 10 साल की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ राजगोपाल ने मद्रास हाई कोर्ट गए थे, जहां 10 साल की सजा को बढ़ाकर उम्रकैद में बदल दिया गया था. मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया था आत्मसमर्पण

सुप्रीम कोर्ट ने शंतकुमार की हत्या के लिए राजगोपाल की सजा को बरकरार रखते हुए उसे 7 जुलाई को कोर्ट और स्थानीय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बावजूद राजगोपाल समय पर पेश नहीं हुए और आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग के लिए याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद राजगोपाल ने 9 जुलाई को एम्बुलेंस में अदालत पहुंचकर आत्मसमर्पण किया था.

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