वित्त मंत्रालय से सुभाष चंद्र गर्ग के अचानक तबादले के पीछे RSS जिम्मेदार?

तबादले पर राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग ने रिटायरमेंट की अर्जी दाखिल की है. अगर ऐसा होता है तो विदेशी सोवरन बॉन्ड से 10 अरब डॉलर जुटाने की भारत की योजना खटाई में पड़ सकती है.

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तबादले के बाद सुभाष चंद्र गर्ग ने रिटायरमेंट के लिए अर्जी लगाई तबादले के बाद सुभाष चंद्र गर्ग ने रिटायरमेंट के लिए अर्जी लगाई

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:53 PM IST

वित्तीय मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का तबादला ऊर्जा मंत्रालय में कर दिया गया है. उनके इस अचानक तबादले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वित्तीय शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, 'विदेशी कर्ज को बढ़ावा देने के लिए गर्ग को यह इनाम मिला है.....मुझे ऐसा लगता है कि उनके (सुभाष चंद्र गर्ग) विदेशी कर्ज के अद्भुत विचार को देखते हुए उन्हें पुरस्कृत किया गया है.'

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महाजन के इस बयान पर अटकलें तेज हो गई हैं कि गर्ग के तबादले के पीछे आरएसएस की भूमिका है. अश्विनी महाजन ने बिजनेस टुडे डॉट इन से कहा, 'हमारे लिए जो मायने रखते हैं, हमने उनसे अपना स्टैंड साफ कर दिया है.'

अश्विनी महाजन यहीं नहीं रुके. उन्होंने मोदी सरकार के शीर्ष अधिकारियों में शामिल कुछ 'ओवर परफॉर्मिंग' अधिकारियों के कंपल्सरी रिटायरमेंट का प्रस्ताव भी रखा. अपने तबादले के बाद सुभाष चंद्र गर्ग ने वीआरएस (ऐच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन दिया है.

डीईए सेक्रेटरी के टि्वटर हैंडल से सुभाष चंद्र गर्ग ने एक ट्वीट किया, 'आज वित्तीय मामलों का प्रभार सौंप दिया. वित्त मंत्रालय और वित्तीय मामलों के विभाग में बहुत कुछ सीखा. कल ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार ग्रहण करूंगा. आईएएस से वीआरएस के लिए मैंने आवेदन दिया है जो 31 अक्टूबर से प्रभावी होगा. इस हैंडल से यह अंतिम ट्वीट है.'

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंडिमंडलीय नियुक्ति समिति ने बुधवार को 12 सचिवों का तबादला किया. इनमें गर्ग भी शामिल हैं. इनती ही संख्या में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का पद अपग्रेड करने का भी फैसला किया गया.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश हालिया बजट के पीछे गर्ग की बड़ी भूमिका थी. बजट में कहा गया था कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत का लक्ष्य विदेशी करेंसी सोवरन बॉन्ड्स के माध्यम से संसाधनों को 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है. देश के कई आला अर्थशास्त्री जैसे कि पूर्व आरबीआई गवर्नर वाईवी रेड्डी, रघुराम राजन, सी. रंगराजन ने इसकी घोर आलोचना की. प्रधानमंत्री वित्तीय सलाहकार परिषद के कई सदस्यों ने भी इसे निशाने पर लिया.

स्वदेशी जागरण मंच ने भी सरकार के इस फैसले पर आलोचना की. बजट के दो दिन बाद महाजन ने कहा, 'विदेशी मुद्रा में सरकारी कर्ज लेना गलत विचार है और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय अनुभव काफी भयंकर रहे हैं.'  महाजन ने 16 जुलाई को लिखे अपने ब्लॉग में कहा, 'भारत के फॉरेन एक्सजेंस ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और यह तकरीबन 430 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. ऐसी सूरत में विदेशी मुद्रा में कर्ज लेना अच्छा विचार नहीं है.'

दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं का उदाहरण देते हुए महाजन ने कहा, 'विदेशी कर्ज के जाल में वे इतना फंस गए हैं कि सोवरन डिफॉल्ट से बचने के लिए अब वे अब और ज्यादा कर्ज ले रहे हैं.' महाजन ने इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्की और मेक्सिको का उदाहरण दिया है. इन देशों का विदेशी कर्ज जीडीपी का 53.8 फीसदी तक पहुंच गया है. स्वदेशी जागरण मंच ने विदेशी कर्ज पर चर्चा के लिए बंद दरवाजे के पीछे कई नामी अर्थशास्त्रियों की बैठक बुलाई है. स्वदेशी जागरण मंच सरकार की एफडीआई नीतियों का भी खुलकर आलोचना करती रही है. एस. गुरुमूर्ति आरएसएस की इस शाखा के सह-संयोजक हैं.

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अपने अचानक तबादले पर राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग ने रिटायरमेंट की अर्जी दाखिल की है. अगर ऐसा होता है तो विदेशी सोवरन बॉन्ड से 10 अरब डॉलर जुटाने की भारत की योजना खटाई में पड़ सकती है. पिछले हफ्ते गर्ग ने कहा था कि सोवरन बॉन्ड्स को बढ़ावा देने से भारतीय कंपनियों की वास्तविक ब्याज दर नीचे आएगी जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. गर्ग ने कहा था , 'विदेशी निवेश और सेविंग्स को लेकर हमारा रवैया काफी खुला है क्योंकि इसकी जरूरत है.'

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