1 साल बाद देश की सभी ट्रेनों की निगरानी अंतरिक्ष से होगी, आसान होगा सफर

इसरो की गगन प्रणाली अब रेलवे की मदद कर रही है. देश में किस समय कितनी ट्रेनें चल रही हैं. कब कौन सी ट्रेन किस पटरी पर जाएगी. कितनी गति में चलेगी. कहां पहुंची, कहां रुकी आदि सारी जानकारी अब रेलवे के अधिकारियों को मिल रही है.

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6000 इंजनों में लग चुकी है गगन प्रणाली. इतने ही और इंजनों में लगनी बाकी है. 6000 इंजनों में लग चुकी है गगन प्रणाली. इतने ही और इंजनों में लगनी बाकी है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 11:54 AM IST

  • रेलवे के 6000 इंजनों में लगी इसरो की गगन प्रणाली
  • तेजी से चल रहा है ट्रेनों को उपग्रहों से जोड़ने का काम
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) सिर्फ रॉकेट से अंतरिक्ष में सैटेलाइट ही नहीं छोड़ता. न ही वह सिर्फ चांद पर मिशन भेजता है. इसरो देश के लोगों की भलाई के लिए भी काम करता है. मौसम की जानकारी, आपदा प्रबंधन में मदद, राहत एवं बचाव कार्य में मदद और सहज परिवहन के लिए रास्ता भी दिखाता है. इसरो का ध्येय वाक्य है - अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान व ग्रहीय अन्वेषण के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना.

इसरो बताएगा आपकी ट्रेन का हाल

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इसरो ने 2011-12 में GEO-aided GEO Augmented Navigation (GAGAN) प्रणाली की शुरुआत की थी. 2013 से यह पूरी तरह से लागू हुआ. शुरुआत में यह सिर्फ भारतीय आकाश में विमानों के आवागमन में मदद कर रहा था. यानी उनकी गति, ऊंचाई, दिशा निर्धारण आदि. लेकिन अब यह रेलवे की मदद भी कर रहा है. देश में किस समय कितनी ट्रेनें चल रही हैं. कब कौन सी ट्रेन किस पटरी पर जाएगी. कितनी गति में चलेगी. कहां पहुंची, कहां रुकी आदि सारी जानकारी अब रेलवे के अधिकारियों को मिल रही है. इसरो के गगन की वजह से ट्रेनों के परिचालन में आसानी हुई है.

ISRO की स्पेस टेक्नोलॉजी से मिलेगी भारतीय रेलवे को मदद

देश में करीब 12 हजार लोकोमोटिव इंजन हैं. इनमें से करीब 6000 में गगन के सिस्टम लग चुके हैं. यानी रेलवे के आधे इंजनों की निगरानी इसरो के गगन प्रणाली के जरिए अंतरिक्ष से की जा रही है. इसमें 120 करोड़ रुपए का खर्च आया है. गगन प्रणाली को इसरो के जीसैट सीरीज के सैटेलाइट चला रहे हैं. ये वही सैटेलाइट हैं जो देश की सेनाओं की भी मदद करते हैं. देश के कई मिसाइल सिस्टम भी इस प्रणाली का उपयोग करते हैं. इस प्रणाली के उपयोग से अभी रेलवे विभाग को रोजाना 3 करोड़ से ज्यादा अपडेट मिल रहे हैं. जबकि, जनवरी 2019 में इसे 5 लाख अपडेट मिलते थे. अक्टूबर 2020 तक देश के सभी ट्रेन इंजन गगन प्रणाली से जुड़ जाएंगे.

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अब ISRO का 'गगन' बताएगा कि आपकी ट्रेन कहां है?

ट्रेन इंजन में गगन प्रणाली लगाने से मिलने वाली मदद

  • गगन प्रणाली से यह पता चलता रहता है कि हर 30 सेकंड में ट्रेन कहां पहुंची.
  • साथ ही यह भी पता चलता है कि हर 30 सेकंड में ट्रेन की स्पीड कितनी है.
  • कौन सा रेलवे स्टेशन बीत गया और अब आगे कौन रेलवे स्टेशन आने वाला है.
  • ट्रेन तय स्थान पर रुक रही है या उससे अलग कहीं गैर-वाजिब जगह पर रुकी है.
रियलटाइम अपडेट मिलने से क्या फायदे होंगे लोगों को
  • यात्रियों को ट्रेनों के समय की सटीक जानकारी मिलती है.
  • ट्रेन की धीमी या तेज गति की जानकारी मिलती है. जिसे समय रहते सुधारने की कोशिश की जाएगी.
  • ट्रेन कंट्रोलर इससे मिलने वाली जानकारी को तुरंत अपडेट कर ट्रेनों का परिचालन सही कर सकता है.

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