चक्रवाती तूफान म्यांमार को छोड़ भारत की तरफ मुड़ेगा

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ताजा अनुमानों के मुताबिक ऐसा लगता है कि यह भीषण चक्रवाती तूफान उड़ीसा के तटीय इलाकों से टकराएगा. अभी इसके बारे में सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है.

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मौसम विभाग ने दी चक्रवाती तूफान की जानकारीतूफान मौसम विभाग ने दी चक्रवाती तूफान की जानकारीतूफान

सिद्धार्थ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST

बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन अब और ज्यादा ताकतवर होकर दीप डिप्रेशन में तब्दील हो गया है. पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी में यह डीप डिप्रेशन अभी फिलहाल एक ही जगह पर बना हुआ है. इस समय इस की स्थिति पोर्ट ब्लेयर से 420 किलोमीटर उत्तर और रंगून से पश्चिम दक्षिण पश्चिम दिशा में 360 किलोमीटर है.

मौसम विभाग के मुताबिक यह वेदर सिस्टम अगले 24 घंटे में और ज्यादा ताकतवर हो जाएगा. इसी के साथ यह एक चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा जैसे ही यह चक्रवाती तूफान बनेगा तब इसका नाम क्यांत (KYANT) होगा. क्यांत चक्रवाती तूफान बनने के बाद यह वेदर सिस्टम म्यांमार के उत्तरी तट के पास पहुंच जाएगा लेकिन यह चक्रवाती तूफान म्यांमार से नहीं टकराएगा. यहां से यह चक्रवाती तूफान एक बार फिर अपनी दिशा बदलेगा. यह म्यांमार पोस्ट को छोड़ते हुए उत्तर पश्चिम दिशा में बंगाल की खाड़ी में चल निकलेगा. साइक्लोन सेंटर के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में यह तूफान और ज्यादा ताकतवर हो जाएगा और 27 अक्टूबर को यह भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील हो जाएगा.

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उस समय इसके अंदर चलने वाली हवाओं की रफ्तार 90 से लेकर 110 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ताजा अनुमानों के मुताबिक ऐसा लगता है कि यह भीषण चक्रवाती तूफान उड़ीसा के तटीय इलाकों से टकराएगा. अभी इसके बारे में सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है.

मछुआरों को समुद्र किनारे न जाने की सलाह
मौसम विभाग का कहना है कि अगले 48 घंटों तक अंडमान निकोबार की उत्तरी इलाकों में इस वेदर सिस्टम के चलते मध्यम दर्जे की बारिश होने का अनुमान है. लेकिन इसी के साथ अंडमान द्वीप समूह में 45 से लेकर 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अनुमान है. इस वजह से इस इलाके के मछुआरों को सलाह दी जाती है कि वह अगले 24 से 48 घंटों तक समुद्र में ना जाएं. मौसम विभाग का अनुमान है कि अंडमान द्वीप समूह यह चारों तरफ अगले 24 घंटे तक समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठेंगी. इस वजह से लोगों को सलाह दी जाती है कि वो समुद्र के किनारे ना जाएं. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साइक्लोन के मामले में काफी अनिश्चितता होती है. लिहाजा इस वेदर सिस्टम पर लगातार नजर रखी जा रही है.

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