पत्रकारों के साथ पीएम मोदी का दिवाली मिलन

प्रधानमंत्री बनने के बाद लगातार तीसरे साल नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में दिवाली मंगल समारोह में पत्रकारों से मुलाकात की. बीजेपी और सरकार कवर करने वाले पत्रकारों के साथ मोदी ने मिलकर ठहाके लगाए और उन पुरानी बातों को याद किया जब वो खुद पार्टी कार्यालय में बैठा करते थे.

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पत्रकारों के साथ पीएम मोदी पत्रकारों के साथ पीएम मोदी

रोहित गुप्ता / रीमा पाराशर

  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:57 AM IST

प्रधानमंत्री बनने के बाद लगातार तीसरे साल नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में दिवाली मंगल समारोह में पत्रकारों से मुलाकात की. बीजेपी और सरकार कवर करने वाले पत्रकारों के साथ मोदी ने मिलकर ठहाके लगाए और उन पुरानी बातों को याद किया जब वो खुद पार्टी कार्यालय में बैठा करते थे. समारोह में मोदी के अलावा रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर, वित्तमंत्री अरुण जेटली और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेता भी मौजूद थे.

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इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ठहरे हुए मुद्दों पर चर्चाओं को आगे बढ़ाने में मीडिया की भूमिका हो तो अच्छा होगा. साथ ही पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान के लिए मीडिया की तारीफ की. देश में सकारात्मक सोच बढ़ाने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है, समाज में स्वच्छता के लिए जागरुकता का भाव पैदा हुआ है.

पीएम मोदी ने मीडिया की पीठ थपथपाई
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में ज्यादात्तर सरकार के फैसलों की चर्चा होती है. बहुत से ऐसे काम होते हैं जो कि जनता की शक्ति पर संभव होते हैं. मेरा इन कामों में अनुभव यह है कि खासकर के लिए मीडिया ने बहुत बढ़ चढ़कर के इसको आगे बढ़ाया है और इसकी मदद की. देश में सकारात्मक सोच बढ़ाने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है. इसका मतलब यह नहीं है कि उन सब कामों में कमियां नहीं हैं, या फिर कमियां नहीं रही होंगी. लेकिन एक मूड बना कि ये चीजें बदलनी चाहिए. एक स्वच्छता अभियान है. किसी देश में इस रूप स्वच्छता को इतना स्थान नहीं मिला. मीडिया की वजह से समाज में स्वच्छता के लिए जागरूकता का भाव बढ़ा. यह कम समय में काफी हुआ है. इन दिनों राज्यों के बीच भी स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है.’

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मोदी ने राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराये जाने की बहस को और आगे ले जाने की बात भी कही. मोदी ने कहा कि ज़्यादातर पार्टियां इसके पक्ष में हैं लेकिन खुलकर बोलने से बचती हैं. इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए, ताकि चुनाव आयोग की हनत और दोहरे खर्च से बचा जा सके.

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