भाजपा की जब 2014 में बहुमत से सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही नरेंद्र मोदी अपनी टीम के लिए 'नवरत्नों' की तलाश मे जुट गए थे. सूत्रों के मुताबिक अपने प्रुमख सचिव पद के लिए उन्हें ऐसा काबिल अफसर चाहिए था, जिसे न केवल केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो, बल्कि दामन पर भी कोई दाग न हो. साथ ही अफसर को सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें देने वाले उत्तर प्रदेश की भी नस-नस की समझ हो. यूपी से नाता रखने वाले आईएएस अफसर को इसलिए भी मोदी प्रमुख सचिव बनाना चाहते थे ताकि वह अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लिए भी कुछ बड़ा कर सकेंगे. दिल्ली से बैठे-बैठे यूपी के लिए भी रणनीति बनाई जा सकेगी.
मोदी की यह खोज 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई. उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके, फिर भी सुर्खियों से दूर रहने वाले नृपेंद्र मिश्रा मोदी के पैमाने पर पूरी तरह फिट बैठे. जिसके बाद वह 2014 में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव बने.
नृपेंद्र मिश्रा पर भरोसे का आलम यह था कि वह उन गिनेचुने अफसरों में शुमार रहे, जिन्हें बिना 'गुजरात कनेक्शन' के भी मोदी सरकार में इतनी बड़ी कुर्सी मिली. अमूमन गुजरात में मुख्यमंत्री रहते साथ काम किए अफसरों पर ही मोदी ने केंद्र में भरोसा जताया था. पिछले कार्यकाल में अपने काम से पीएम मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे नृपेंद्र मिश्रा अब दोबारा प्रमुख सचिव, प्रधानमंत्री बने हैं. प्रधानंत्री के प्रमुख सचिव का काम पीएमओ और कैबिनेट सचिवालय के बीच मुख्य कड़ी बनकर समन्वय करने का होता है.
ट्राई एक्ट भी नहीं बन पाया राह में रोड़ा
रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई के चेयरमैन पद पर रहे थे. नियम के मुताबिक ट्राई का चेयरमैन आगे चलकर केंद्र या राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं कर सकता था. यह नियम जब नृपेंद्र मिश्रा की राह में रोड़ा बना तो मोदी सरकार ने ट्राई एक्ट में अध्यादेश के जरिए संशोधन कर उनके प्रमुख सचिव बनने का रास्ता साफ कर दिया.यह कदम भी पीएम मोदी का उनके प्रति भरोसे का सबूत माना जाता है.
अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी उनके प्रमुख सचिव नियुक्त होने पर माना जा रहा है कि यह पीएम मोदी की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खतरे उतरने और भरोसा जीतने की वजह से हुआ है. जिसके इनाम के तौर पर उन्हें इस बार फिर प्रमुख सचिव बनाने के साथ कैबिनेट मंत्री की रैंक से भी नवाजा गया है.
रिटायरमेंट के बाद थिंकटैंक से जुड़े
ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़े. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित दफ्तर में वह कुछ रिसर्च स्कॉलर्स के साथ काम करते थे. यह फाउंडेशन समाज में हाशिए पर पहुंचे लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक थिंकटैंक के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है.
जब 2014 में बहुमत से बीजेपी की सरकार बनी तो नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें पीएमओ संभालने के लिए बुलावा आया. जिसके बाद नृपेंद्र मिश्रा ने पीआईएफ का काम छोड़कर पीएमओ में चार्ज संभाला.
केंद्र-राज्य में काम का लंबा अनुभव
यूपी काडर के आईएएस नृपेंद्र मिश्रा कभी मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह सरकार में प्रमुख सचिव रहे. इस बड़े राज्य में काम करते हुए उन्होंने तेजतर्रार और ईमानदार अफसर की पहचान बनाई. जिसके इनाम के तौर पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में काम करने का मौका मिला. केंद्र में कई अहम पदों पर काम किए. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस में सचिव रहे. डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स में भी 2002 से 2004 के बीच सचिव रहे. रिटायर होने के बाद मनमोहन सरकार में वह 2006 से 2009 के बीच टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के भी चेयरमैन रहे.
देश ही नहीं विदेश में भी किए काम
जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान से पढ़े नृपेंद्र मिश्रा ने देश ही नहीं विदेश में भी काम किया. उन्होंने विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) में स्पेशल सेक्रेटरी के तौर पर काम करते हुए देश से जुड़े मामलों में मजबूती से पक्ष रखा. इसके अलावा वह मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे. इसके अलावा वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, नेपाल सरकार में सलाहकार के रूप में कार्य किया.
तीन-तीन विषयों से पोस्ट ग्रेजुएट
यूपी के देवरिया में कसिली गांव निवासी सिवेशचंद्र मिश्रा के बड़े बेटे नृपेंद्र आठ मार्च 1945 को जन्मे. वह तीन-तीन विषयों से मास्टर्स हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने केमेस्ट्री, राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन विषय से पोस्ट ग्रेजुएट किया. उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन(लोक प्रशासन) विषय से उन्होंने जॉन एफ केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री ली. फिर 1967 में यूपी काडर आईएएस बने.
नवनीत मिश्रा