जिन पर था मोदी को 'रोजगार' पैदा करने का भरोसा, वही निकले बड़े निकम्मे!

कैबिनेट फेरबदल में सरकार में अच्छा काम ना कर पाने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. जो नाम अब तक खबरों में सामने आए हैं उनमें सबसे ज्यादा वे लोग हैं जो रोजगार सृजन से किसी ना किसी तरह से जुड़े हुए थे.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:33 PM IST

मोदी सरकार में अगले कैबिनेट फेरबदल की औपचारिक घोषणा होना मात्र ही बचा है. संभावित घोषणा से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफे पर इस्तीफे आने शुरू हो गए हैं. खास बात यह है कि मंत्रिमंडल से वही लोग बाहर जा रहे हैं जिन पर मोदी और शाह ने भरोसा जताते हुए बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दी थीं.

रोजगार के क्षेत्र में मोदी के मंत्री हुए फेल

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कैबिनेट फेरबदल में सरकार में अच्छा काम ना कर पाने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. जो नाम अब तक खबरों में सामने आए हैं उनमें सबसे ज्यादा वे लोग हैं जो रोजगार सृजन से किसी ना किसी तरह से जुड़े हुए थे. कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री उमा भारती और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय जैसे बड़े नाम हैं.

ये तीनों ही नाम रोजगार एवं रोजगार सृजन जैसे क्षेत्र से भी जुड़े रहे क्योंकि उमा भारती के लिए बने विशेष मंत्रालय से अपेक्षा थी कि गंगा सफाई के लिए देश में भारी मात्रा में रोजगार सृजन होगा. लेकिन, अफसोस की पीएम मोदी को इन तीनों मंत्रियों पर जैसा भरोसा था वैसा काम वे कर नहीं पाए.

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तीन साल बाद क्यों हुई सर्जरी

मोदी सरकार को उम्मीद थी कि सभी मंत्री अपने क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे और न्यू इंडिया का सपना साकार कर दिखाएंगे. लेकिन, रोजगार देने के क्षेत्र में मोदी सरकार लगातार पिछड़ती गई. विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को तमाम बार घेरने की कोशिश की. 2019 की तैयारी में जुट चुकी बीजेपी को यह लगने लगा होगा कि यह मामला चुनावों के दौरान उसे बैकफुट पर ला सकता है. यही वजह है कि उसने तीन साल बाद कैबिनेट की सर्जरी करने की कवायद तेज की.

पीएम मोदी ने बनवाया था रिपोर्ट कार्ड

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी मंत्रियों के कामकाज का ऑडिट किया था. मोदी कैबिनेट के सभी मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया था. इस रिपोर्ट में मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं को लागू करने से लेकर पार्टी की जिम्मेदारियों का लेखा जोखा तैयार किया गया. इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर ही पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच हुई मैराथन बैठक के बाद कैबिनेट फेरबदल का अंतिम फैसला लिया गया.

इनसे नाराज नजर आए मोदी

मोदी सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री राजीव प्रताप रूडी को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया, क्योंकि कौशल विकास मंत्रालय के नतीजों से प्रधानमंत्री बहुत खुश नहीं थे. प्रधानमंत्री मोदी जल और गंगा मंत्रालय की मंत्री उमा भारती के सफलता ग्राफ से भी नाखुश थे. पिछले तीन साल में गंगा सफाई पर सिर्फ नाममात्र के ही काम हुए थे. उमा भारती के साथ ही जूनियर मंत्री संजीव बाल्यान को भी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है जबकि वो पिछले एक साल से ही इस मंत्रालय का काम देख रहे थे. मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की संसद में मौजूदगी और पार्टी के संगठन कार्यक्रमों में ना के बराबर हाजिरी होने से भी अमित शाह और प्रधानमंत्री नाराज बताए जा रहे थे.

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यह भी बताया जा रहा है कि कुछ ऐसे मंत्री भी हैं जिनको लो प्रोफाइल किया जा सकता है. ऑडिट रिपोर्ट में संतोषजनक अंक ना ला पाने वाले कुछ मंत्रियों से बड़े विभाग वापस लिए जा सकते हैं. खबरों के मुताबिक ऐसे ही कुछ नामों में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, रेल मंत्री सुरेश प्रभु और महिला कल्याण मंत्री मेनका गांधी जैसे बड़े नामों की चर्चा है.

 

 

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