सेना के सबसे बड़े हथियार भंडार में लगी भीषण आग ने दो अधिकारियों समेत 16 लोगों को लील लिया. सेना के सबसे सुरक्षित भंडार में सोमवार देर रात लगी इस आग को तो बुझा लिया गया, लेकिन इससे निकले गोला-बारूद के कई सुलगते सवाल अब भी बरकरार है. रक्षा मंत्रालय पिछले हादसों से सबक लेता तो शायद पुलगांव जैसे हादसे को रोका जा सकता था.
हाल में रक्षा मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति ने गोला-बारूद आपूर्ति की गुणवत्ता और उनके भंडारण को लेकर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी. समिति ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर दुरुस्त करने की सलाह दी थी.
आग ने ली दो अफसरों सहित 16 लोगों की जान
भारतीय सेना के सबसे बड़े गोला-बारूद डिपो में लगी आग ने सेना से लेकर सरकार में हड़कंप मचा दिया. हादसे की गंभीरता को देखते हुए सेना की तरफ से डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल
रणबीर सिंह को सामने आकर बयान देना पड़ा. उन्होंने बताया कि नागपुर से 150 किलोमीटर दूर स्थित सेंट्रल एम्यूनिशन डिपो में सोमवार देर रात अचानक लगी आग ने कुछ ही देर में दो
अधिकारियों समेत 16 लोगों की जान ले ली और 17 लोगों को घायल कर दिया है.
पीएम मोदी ने रक्षामंत्री से लिया हादसे का ब्योरा
देश के सबसे बड़े गोला-बारूद भंडारे में हुए इन धमाकों की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना में हुए जान-माल के नुकसान पर शोक जताने के साथ ही रक्षा मंत्री मनोहर
पार्रिकर से बात कर उन्हें मौके पर जाने को कहा. साथ ही सेना प्रमुख जनरल दलबीर सुहाग भी कुछ ही घंटों में पुलगाम पहुंच चुके थे. इस बीच सेना ने घटना की जांच के आदेश भी दे दिए
हैं. इसमें इस हादसे के पीछे साजिश की आशंकाओं की भी पड़ताल होगी.
बीते तीन साल में दर्ज हुए 10 हादसे
इस बड़े हादसे ने एक बार फिर सेनाओं के गोला-बारूद प्रबंधन की खामियों के सवालों को गहरा दिया है. यह पहला मौका नहीं है जब हथियार भंडारों में आग लगने की घटना हुई हो. बीते तीन
सालों में छोटे-बड़े दस हादसे दर्ज किए जा चुके हैं. इतना ही नहीं यह सब तब हो रहा है जब गोला-बारूद की किल्लत से जूझ रही सेना के हथियार प्रबंधन को लेकर संसद में भी चिंता के सवाल
उठते रहे हैं.
हादसों की वजह से गंवा चुके है हजारों करोड़ का गोला-बारूद
हाल में रक्षा मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों से हो रही गोला-बारूद आपूर्ति की गुणवत्ता, उनके भंडारण और पुराने हथियारों के प्रबंधन में ढिलाई को लेकर रक्षा
मंत्रालय की खिंचाई की थी. समिति ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर दुरुस्त करने की सलाह दी थी. बीते डेढ़ दशक में प्रबंधन की खामियों और हादसों के कारण भारत हजारों करोड़ रुपये का
गोला-बारूद गंवा चुका है.
भंडार में थे 11 तरह के विस्फोटक और हथियार
भारतीय सेना बीते काफी समय से गोला-बारूद की कमी से जूझ रही है. जानकार गोला-बारूद के प्रबंध पर नए सिरे से इसके कील-कांटे दुरुस्त करने की जरूरत पर जोर देते हैं. सीएडी जैसे
भंडार में एक बार में बंदूक की गोली से लेकर तोप के गोलों और मिसाइलों तक करीब ग्यारह तरह के विस्फोटक और हथियार रखे जाते हैं.
विस्तृत गाइडलाइन के बावजूद हादसों की लंबी फेहरिस्त
आर्मी ऑर्डिनेंस कोर के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एसपी सिन्हा के मुताबकि यूं तो विस्फोटकों के भंडारण की विस्तृत गाइडलाइन हैं, लेकिन हादसों की फेहरिस्त भी कम नहीं है. हादसों की
वजह में खराब साजो-सामान से लेकर लापरवाही तक अनेक कारण हो सकते हैं.
साजिश की आशंका की भी होगी तहकीकात
सेना के गोला-बारूद भंडार दुश्मन और गद्दारों के लिए भी आसान निशाना होते हैं. यहां छोटी से चिंगारी भी तबाही का मंजर बना सकती है. ऐसे में सेना ने अपने सबसे बड़े हथियार भंडार और
16 लोगों की जान लेने वाले की इस हादसे की जांच शुरू कर दी है. जांच में इस साजिश की आशंका की भी तह तक जांच की जाएगी.
बीते दशक में सेना के हथियार डिपो में हुए भीषण आग के हादसे -
1. 28 अप्रैल, 2000 - भरतपुर आयुध डिपो हुआ नष्ट
2. 29 अप्रैल, 2001 - पठानकोट आयुध डिपो में लगी आग
3. 24 मई, 2001 - श्रीगंगानगर आयुध डिपो में आग से तबाही
4. 27 जुलाई, 2002 - दप्पर आयुध डिपो में लगी आग
5. 28 जुलाई, 2002 - जोधपुर आयुध डिपो में लगी आग
6. 22 मार्च, 2005 - CAD पुलगांव आयुध डिपो हुआ आग से तबाह
7. 11 अगस्त, 2007 - 21 FOD कुंदरू आयुध डिपो में लगी आग
8. 26 मार्च 2010 - पानागढ़ का आयुध डिपो हुआ तबाह
मंजीत नेगी