समलैंगिकता पर किसी देश में कोड़े तो कहीं मिलती है सजा-ए-मौत

यहां हम उन देशों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जहां समलैंगिक संबंध कानूनी रूप से सही है और वे देश जहां समलैंगिकता को अपराध माना जाता है. कई देशों में तो इसके लिए मौत की सजा प्रावधान भी है.

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सड़कों पर समलैंगिकता के समर्थक (फाइल फोटो) सड़कों पर समलैंगिकता के समर्थक (फाइल फोटो)

वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिकता पर बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. शीर्ष अदालत ने आपसी सहमति से स्थापित समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. लेकिन यहां हम उन देशों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जहां समलैंगिक संबंध कानूनी रूप से सही है और वे देश जहां समलैंगिकता को अपराध माना जाता है. कई देशों में तो इसके लिए मौत की सजा प्रावधान भी है.

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इन देशों में मिलती मौत की सजा

सुडान, ईरान, सऊदी अरब, यमन में समलैंगिक रिश्ता बनाने के लिए मौत की सजा दी जाती है. सोमालिया और नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में भी इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है. हालांकि, दुनिया में कुल 13 देश ऐसे हैं जहां गे सेक्स को लेकर मौत की सजा देने का प्रावधान है. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कतर में भी मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन इसे लागू नहीं किया जाता है. इंडोनेशिया सहित कुछ देशों में गे सेक्स के लिए कोड़े मारने की सजा दी जाती है. वहीं अन्य देशों में भी इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है और जेल की सजा दी जाती है.

इन देशों में है मान्य

बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, लग्जमबर्ग, फिनलैंड, आयरलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, माल्टा भी समलैंगिक शादियों को मान्यता दे चुका है.

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नीदरलैंड ने सबसे पहले दिसंबर 2000 में समलैंगिक शादियों को कानूनी तौर से सही करार दिया था. 2015 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादियों को वैध करार दिया था. हालांकि, 2001 तक 57 फीसदी अमेरिकी लोग इसका विरोध करते थे. प्यू रिसर्च के मुताबिक, 2017 में 62 फीसदी अमेरिकी इसका समर्थन करते हैं.

वहीं, दुनिया के 26 देश ऐसे हैं जो समलैंगिकता को कानूनन सही करार दे चुके हैं. पिछले साल ही ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भारी बहुमत से इसे मान्यता दी थी. ऑस्ट्रेलिया के 150 सदस्यों के संसद में सिर्फ 4 सदस्यों ने समलैंगिक शादियों के खिलाफ वोट किया था.

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