INX Media Case: सरकारी गवाह बनने की इंद्राणी मुखर्जी की याचिका पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित

दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी की आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सरकारी गवाह (अप्रवूर) बनने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत मामले में 29 मई को फैसला सुनाएगी.

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अदालत मामले में 29 मई को फैसला सुनाएगी अदालत मामले में 29 मई को फैसला सुनाएगी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2019,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST

दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी की आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सरकारी गवाह (अप्रवूर) बनने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत मामले में 29 मई को फैसला सुनाएगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम भी इस मामले में आरोपी हैं.

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस बात की जांच कर रहे हैं कि कार्ति चिदंबरम को 2007 में कैसे विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से आईएनएक्स मीडिया के लिए मंजूरी मिली, जब उनके पिता पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. अब तक की जांच से पता चला है कि एफआईपीबी की स्वीकृति के लिए, आईएनएक्स मीडिया के निदेशकों पीटर और इंद्राणी मुखर्जी ने पी चिदंबरम से मुलाकात की थी ताकि उनके आदेश में कोई देरी नहीं हो. एजेंसी ने मुखर्जी की याचिका का समर्थन किया है.

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इंद्राणी मुंबई की भायखला जेल में बेटी शीना बोरा की हत्या के जुर्म में सजा काट रही है. भ्रष्टाचार मामले में सरकारी गवाह बनने की इंद्राणी की अर्जी पर सीबीआई ने इसका समर्थन किया और दलील दी कि इससे मामले में सबूतों को मजबूती मिलेगी. इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने मुखर्जी से पूछा कि क्या उन पर कोई दबाव है? इस पर उन्होंने किसी दबाव से इनकार किया था. उन्होंने अदालत को बताया, 'मैं खुद से सरकारी गवाह बनना चाहती हूं.'

बता दें कि 305 करोड़ रुपए की अनियमित वाले इस मामले में इंद्राणी के अलावा चिंदबरम, उनके बेटे कार्ति का नाम भी सामने आया है. यह मामला साल 2007 में आईएनएक्स मीडिया को मिले धन के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति मिलने से जुड़ा है. सीबीआई ने 15 मई को मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी और वित्त मंत्री रहते हुए चिदंबरम के कार्यकाल में 2007 में कुल 305 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा हासिल करने में मीडिया ग्रुप को एफआईपीबी की मंजूरी देने में कथित अनियमितता का आरोप लगाया था.

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