अर्जेंटीना में दिखी भारत-इटली की दोस्ती की मिसाल, पीछे छूटा मरीन मुद्दा

इटली ने ये दरियादिली यूं ही नहीं दिखाई. इसके पीछे पीएम मोदी की कूटनीतिक सफलता के साथ-साथ पिछले दो वर्षों के दौरान दोनों देशों की एक-दूसरे के प्रति दिखाई गई गर्मजोशी भी है.

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इटली के पीएम से मिलते नरेंद्र मोदी. फोटो-आजतक आर्काइव इटली के पीएम से मिलते नरेंद्र मोदी. फोटो-आजतक आर्काइव

राहुल विश्वकर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

भारत और इटली की दोस्ती नए दौर में पहुंच गई है. मरीन मुद्दे पर चल रहे गतिरोध को पीछे छोड़ते हुए दोनों देशों ने मित्रता की नई मिसाल कायम की है. इसकी बानगी अर्जेंटीना में आयोजित G-20 समिट में पूरी दुनिया ने देखी.

मोदी का आग्रह यूं ही नहीं स्वीकार किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भारत को 2022 में आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर G-20 सम्मेलन की मेजबानी करने का मौका मिला है. पीएम मोदी ने अर्जेंटीना में इटली के प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंते से आग्रह किया था कि भारत को 2022 में G-20 की मेजबानी का मौका दें. इसे इतालवी पीएम ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

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दो साल में दोस्ती की नई मिसाल

दरअसल इटली ने ये दरियादिली यूं ही नहीं दिखाई. इसके पीछे पीएम मोदी की कूटनीतिक सफलता के साथ-साथ पिछले दो वर्षों के दौरान दोनों देशों की एक-दूसरे के प्रति दिखाई गई गर्मजोशी भी है.

अब तक इटली के प्रधानमंत्री दो बार भारत आ चुके हैं.

स्वागत करने को जापान से जल्दी आ गए थे मोदी

इसी साल पीएम मोदी का 29 और 30 अक्टूबर को जापान जाने का कार्यक्रम था. 30 अक्टूबर को ही इटली के प्रधानमंत्री भारत आ रहे थे. ऐसे में उनका स्वागत करने के लिए पीएम मोदी जापान से 30 अक्टूबर को तयशुदा समय से कुछ पहले ही भारत लौट आए. उसी दिन इटली के पीएम का मोदी ने दिल्ली में गर्मजोशी से स्वागत किया. इतालवी पीएम को मोदी की ये गर्मजोशी काफी पसंद आई.

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मजबूत आर्थिक साझेदार

हाल के वर्षों में इटली  भारत के लिए आर्थिक और टेक्नॉलजी के लिहाज से मजबूत साझेदार के रूप में उभरा है. भारत भी इटली को एक ऐसे यूरोपीय देश के रूप में देख रहा है जो यहां बड़े पैमाने पर निवेश करने का इच्छुक है. इसी मकसद से कोंते दिल्ली में आयोजित टेक्नॉलजी समिट में शिरकत करने के लिए इटली से आए थे.

भारतीय मछुआरों की हत्या से था तनाव

दो इतालवी मरीन कमांडों पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या का प्रकरण सामने आने के बाद से भारत और इटली के रिश्तों में थोड़ी तल्खी बढ़ी थी. 2016 में इतालवी मरीन्स का मामला अंतर्राष्ट्रीय अदालत तक गया. द हेग में  इस मामले की मध्यस्थता हुई और भारत ने दोनों मरीन कमांडो को इटली लौटने की इजाजत दे दी. भारत के इस फैसले का इटली ने स्वागत करते हुए वैश्विक मंच पर भारत का समर्थन किया.

मिसाइल सदस्यता का इटली ने किया था समर्थन

मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजिम के लिए भारत की सदस्या का शुरुआत में विरोध करने के बाद इटली ने समर्थन किया. इटली के इस बदले रुख का भारत ने भी खुले दिल से स्वागत किया. इसी का नतीजा था कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सितंबर 2016 में इटली का दौरा किया. वहां दोनों देशों ने मरीन मुद्दे से आगे बढ़ने की बात कहते हुए दोस्ती को नया आयाम देने पर सहमति जताई.  सुषमा के दौरे के बाद 2017 में इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटिलोनी ने भारत का दौरा किया. अब भारत-इटली की इस मित्रता की बानगी जी-20 समिट में पूरी दुनिया ने देखी.

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मोदी का प्रस्ताव कोंते ने स्वीकारा

शेड्यूल के हिसाब से इस साल जी-20 समिट अर्जेंटीना में हुई. इसके बाद 2019 में समिट जापान, 2020 में सऊदी अरब और फिर 2021 में भारत में होनी थी. 2022 में इटली में समिट प्रस्तावित थी. लेकिन पीएम मोदी के आग्रह पर समिट 2022 में भारत में होगी.

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